Maharashtra Political Crisis News: शिवसेना विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने गुरुवार (11 मई) को फैसला सुनाया। एकनाथ शिंदे और 15 अन्य विधायकों की अयोग्यता पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि यह मुद्दा बड़ी बेंच के पास जाएगा। कोर्ट के इस फैसले पर शिवसेना (UBT) गुट के नेता संजय राउत और शिंदे गुट के नेता राहुल शेवाले ने एक-दूसरे पर वार-पलटवार किया है।

व्हिप के मुताबिक शिंदे गुट की सदस्यता निरस्त हो जाएगी- संजय राउत

उद्धव गुट के नेता संजय राउत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शिंदे गुट का व्हिप गैरकानूनी है, इसका मतलब है कि उनका व्हिप गैरकानूनी है और हमारे व्हिप ने जो आदेश दिया वह कानूनी है, तो उस व्हिप के मुताबिक सबकी (शिंदे गुट) सदस्यता निरस्त हो जाएगी। वहीं, राउत के बयान पर पलटवार करते हुए शिवशेना सांसद (शिंदे गुट) ने कहा कि संजय राउत पागल हो गए हैं।

राहुल शेवाले ने राहुल शेवाले ने संजय राउत को कहा पागल

राहुल शेवाले ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हम स्वागत करते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जो व्हिप नियुक्त करने का फैसला है वह राजनीतिक पार्टी ले सकती है और चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे की पार्टी को सभी हक दिए हैं इसलिए अब स्पीकर फैसला लेंगे।” शिवसेना सांसद ने आगे कहा, “संजय राउत पागल हो गए हैं और पागल आदमी पर टिप्पणी करना उचित नहीं है। उन्हें पागल आदमी जैसे बोलने दो।”

मैं मेरे लिए नहीं लड़ रहा- उद्धव ठाकरे

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कहा, “इस देश में प्रजातंत्र की रक्षा करना हमारा काम है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर मैं इस्तीफा नहीं देता तो शायद मैं फिर मुख्यमंत्री बन जाता। मैं मेरे लिए नहीं लड़ रहा, मेरी लड़ाई जनता के लिए, देश के लिए है। राजनीति में मतभेद होते रहते हैं लेकिन हमारा एक मत यह है कि इस देश को बचाना है।”

शिवसेना विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस हिमा कोहली, जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की संविधान पीठ ने महाराष्ट्र विवाद पर फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि स्पीकर को अयोग्यता याचिकाओं पर उचित समय के भीतर फैसला करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि यथास्थिति बहाल नहीं की जा सकती क्योंकि उद्धव ठाकरे ने फ्लोर टेस्ट का सामना नहीं किया और अपना इस्तीफा दे दिया। कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल के पास ऐसा कोई कम्यूनिकेशन नहीं था जिससे यह संकेत मिले कि असंतुष्ट विधायक सरकार से समर्थन वापस लेना चाहते हैं।

अदालत ने कहा कि राज्यपाल ने शिवसेना के विधायकों के एक गुट के प्रस्ताव पर भरोसा करके यह निष्कर्ष निकाला कि उद्धव ठाकरे अधिकांश विधायकों का समर्थन खो चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि आंतरिक पार्टी के विवादों को हल करने के लिए फ्लोर टेस्ट का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। न तो संविधान और न ही कानून राज्यपाल को राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश करने और अंतर-पार्टी या अंतर-पार्टी विवादों में भूमिका निभाने का अधिकार देता है।