लद्दाख के प्रमुख नेताओं ने संविधान की छठी अनुसूची के तहत इस क्षेत्र को एक आदिवासी क्षेत्र घोषित करने की केंद्र से गुहार लगाते हुए कहा कि यहां के लोगों की सबसे बड़ी चिंता अपनी जमीन और पहचान की रक्षा करना है। स्थानीय लोगों ने हालांकि केंद्र के अनुच्छेद 370 के प्रावधान हटाने के फैसले का स्वागत किया है, लेकिन उन्हें डर है कि बाहरी लोगों के यहां आने से इस क्षेत्र की जनसांख्यिकी में बदलाव आएगा, जिससे उनकी संस्कृति एवं पहचान को खतरा पैदा होगा।
पहचान, संस्कृति, भूमि और रक्षा करना आदिवासी आबादी की सबसे बड़ी चिंताः लद्दाख के सांसद जमयांग सेरिंग नामग्याल ने जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा को एक ज्ञापन में कहा कि यह मुख्य रूप से आदिवासी क्षेत्र है, जहां 98 प्रतिशत आबादी आदिवासी है। भाजपा सांसद ने शनिवार (17 अगस्त) को यहां नौ दिवसीय ‘आदि महोत्सव’ के शुभारंभ पर कहा, ‘‘ लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश घोषित करने के केंद्र के फैसले के बाद आदिवासी आबादी की सबसे बड़ी चिंता अपनी पहचान, संस्कृति, भूमि और अर्थव्यवस्था की रक्षा करना है।’’ नामग्याल ने मुंडा से अपील की कि संविधान की छठी अनुसूची के तहत इसे आदिवासी क्षेत्र घोषित करके लोगों के हितों की रक्षा करें।
Delhi, Himachal Pradesh, Punjab Rains, Rajasthan, Kerala Flood Weather Forecast Today Live Updates: दिनभर की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
[bc_video video_id=”6068133251001″ account_id=”5798671092001″ player_id=”JZkm7IO4g3″ embed=”in-page” padding_top=”56%” autoplay=”” min_width=”0px” max_width=”640px” width=”100%” height=”100%”]
अर्जुन मुंडा ने किया वादाः अनुच्छेद 244(2) और 275(1) के आधार पर, छठी अनुसूची असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम में स्वायत्तशासी जिले और क्षेत्रीय परिषदों की स्थापना के बाद जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन के गठन की अनुमति देती है। नामग्याल ने कहा, ‘‘ मैं आपसे अपील करता हूं कि गृह मंत्री अमित शाह के समक्ष लद्दाख की जनसांख्यिकी और संस्कृति की रक्षा के लिए हमारा प्रतिनिधित्व करें।’’ इस दौरान मुंडा ने कहा, ‘‘ मुझे पता चला है कि लद्दाख की 95 से 97 प्रतिशत आबादी आदिवासी है और मैं वादा करता हूं कि उनकी रक्षा के लिए संवैधानिक दृष्टिकोण से जो भी आवश्यक होगा, हम करेंगे।’’