हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने रविवार को उन लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित की जिन्होंने देश के विभाजन के दौरान अपनी जान गंवाई। इस मौके पर उन्होंने अपने परिवार को याद किया जो मौजूदा पाकिस्तान से विस्थापित होकर भारत आया था। खट्टर ने ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ के मौके पर कुरुक्षेत्र में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि यह केवल जमीन के टुकड़े का बंटवारा नहीं था बल्कि हमारी भावनाओं का बंटवारा था।

सीएम खट्टर ने बंटवारे के दौरान अपनी जान गंवाने वालों की याद में कुरुक्षेत्र में एक स्मारक बनाने की भी घोषणा की। आजादी के सात साल बाद जन्मे भाजपा नेता खट्टर ने बताया कि उनका परिवार साल 1947 में खाली हाथ ही मौजूदा पाकिस्तान के झांग जिले से भागकर आया था और बाद में हरियाणा के रोहतक जिले के निंदाना गांव में बस गया। उन्होंने याद किया कि विस्थापित होने के बाद लोग कैसे रेलगाड़ियों, पैदल और दूसरे साधनों से आए।

जो किसान भारत आए उन्हें बंजर जमीन के टुकड़े मिले: मनोहर लाल खट्टर ने दावा किया कि बंटवारे के बाद जो किसान भारत आए उन्हें बंजर जमीन के टुकड़े आवंटित किए गए थे। मुख्यमंत्री ने कहा,‘‘उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से ऐसी जमीन को उपजाऊ बना दिया। पर दुर्भाग्य से आजादी के 75 साल होने के बाद भी उन्हें उन जमीनों पर अपना अधिकार नहीं मिला।’’ उन्होंने कहा कि उनकी सरकार इस मुद्दे को देखेगी। सीएम खट्टर ने कहा, ‘‘हम इस पर विचार करेंगे। कम से कम जो लोग ऐसी जमीनों को पिछले 75 सालों से जोत रहे हैं, उनके उन जमीनों पर कुछ अधिकार बनते हैं।’’

मुख्यमंत्री खट्टर ने बताई अपनी कहानी: इस मौके पर एक डॉक्यूमेंटरी दिखायी गयी जिसमें हरियाणा के विभिन्न हिस्सों में बसे कई वरिष्ठ नागरिकों ने विभाजन के दौरान हुई पीड़ा और संघर्ष को याद किया है। डॉक्यूमेंटरी में मुख्यमंत्री खट्टर ने भी अपनी कहानी बताई। उन्होंने बताया कि कैसे उनके पिता और चाचा भेष बदलकर सहनेवाल से ट्रेन से लुधियाना आए। जिसके बाद वो परिवार के दूसरे सदस्यों से मिले जो पहले ही भारत आ चुके थे। खट्टर ने विभाजन की विभीषिका को बताते हुए कहा कि अपनी बेटियों और बहनों की इज्जत बचाने के लिए कुछ परिवारों ने अपने ही हाथों से परिवार की महिलाओं की हत्या कर दी थी।

मुख्यमंत्री ने बताया, ‘‘जिस तरह से जलियांवाला बाग में अपनी जान बचाने के लिए कई लोग कुएं में कूद गए थे, उसी तरह कई महिलाओं ने अपनी इज्जत बचाने के लिए कुएं में छलांग लगा दी थी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जब मैं स्कूल और कॉलेज में पढ़ रहा था, तब मेरी दादी उन दिनों की कहानियां सुनाती थी जिसका मेरे जीवन पर असर पड़ा।’’ सीएम खट्टर यह बताते हुए काफी भावुक हो गए कि उनके दादाजी ने विभाजन के दौरान कितना संघर्ष किया था।