Covid Outbreak in Punjab: पंजाब के लुधियाना में राजेश कुमार और पिंकी अपने बच्चों राधिका (10) शिवांशु (8) और राघव (3) के साथ गुरु नानक स्टेडियम के बाहर बैठे हैं। शहर में तापमान 38 डिग्री सेल्सियस (रिपोर्टिंग के समय) है, इन सभी के गले प्सास से सूख चुके हैं मगर पास में सिर्फ पानी की खाली बोतल ही है। इस परिवार के आसपास ऐसे बहुत से प्रवासी मजूदर बैठे हैं जो उस एसएमएस का इंतजार कर रहे हैं जिससे उन्हें उत्तर प्रदेश के हरदोई में जाने वाली श्रमिक ट्रेन में चढ़ने की अनुमति मिलेगी।
चिलचिलाती धूप में पानी के लिए रोते बच्चों के बीच बैठे राजेश उस समय क्रोधित हो गए जब उन्हें प्रदेश के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा मोबाइल पर भेजा एसएमएस याद आया। इसमें कहा गया, ‘प्रिय प्रवासी मित्र, मैं आपसे शांति और धैर्य बनाए रखने का आग्रह करता हूं। धैर्य बनाएं रखे।’ राजेश के अलावा हजारों की तादाद में प्रवासी मजदूरों को ये एसएमएस भेजा गया। सीएम कैप्टन के इस संदेश पर नाराजगी जाहिर करते हुए राजेश पूछते हैं, ‘और कितना धैर्य रखे? क्या कोई बताएगा कि हमें और कितना धैर्य रखना है अभी?’ राजेश ने पांच मई को श्रमिक ट्रेन के लिए पंजीकरण कराया था और 11 मई को उन्हें मुख्यमंत्री का संदेश मिला।
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श्रमिक ट्रेन के लिए पंजीकरण कराए हुए 13 दिन बीत चुके हैं मगर राजेश को अभी भी अंदाजा नहीं है कि उनके परिवार को ट्रेन में चढ़ने का अवसर का मिलेगा। सोमवार को उन्हें शिवपुरी में क्षेत्र स्थित किराए का कमरा भी खाली करना पड़ा, क्योंकि उनके पास दो हजार रुपए महीने का किराया देने के पैसा नहीं थे। गारमेंट फैक्ट्री में कपड़ों पर प्रेस करने का काम वाले राजेश कहते हैं, ‘मकान मालिक ने हमने कमरा खाली करने के लिए कहा। तीन महीने का किराया पहले ही बकाया था। लॉकडाउन शुरू होने के बाद से मुझे वेतन नहीं मिला है। मेरे नियोक्ता का भी कोई निर्देश नहीं मिला। इसलिए मैं अपनी पत्नी और बच्चों के साथ सड़क पर बैठा हूं… और हमसे धैर्य रखने के लिए कह रहे हैं। गरीब हैं इसलिए कोई सुनवाई नहीं है यहां।’
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राजेश और उनकी पत्नी पिंकी को यकीन नहीं है कि वो पंजाब लौट भी सेकेंगे या फिर उनके बच्चे कभी स्कूल भी जा पाएंगे या नहीं। पिंकी पूछती हैं, ‘यहां खाने को नहीं है, स्कूल कहां से भेजेंगे?’ राजेश की तरह सैकड़ों की तादाद में प्रवासी मजदूर स्टेडियम के बाहर बैठे हैं, जहां ट्रेन में सवार होने से पहले स्वास्थ्य कर्मी उनकी स्क्रीनिंग करते हैं और मेडिकल किट जारी करते हैं।
बिहार के बेतिया जाने के इंतजार में स्टेडियम के बाहर बैठे रामजीसा (38) कहते हैं, ‘हमारे पंजीकरण की स्थिति की पुष्टि करने के लिए कोई जानकारी नहीं है। मगर वो हमने से धैर्य रखने के लिए कह रहे हैं। धैर्य रखते-रखते सड़क पर आ गए हम। दो हफ्ते हो गए हैं बुकिंग किए हुए, मगर कोई जवाब नहीं मलिा।’