दिल्ली भाजपा के नए अध्यक्ष के लिए पार्टी में विचार-मंथन शुरू हो गया है। आम आदमी पार्टी (आप) और उसकी सरकार की कड़ी चुनौतियों से उलझी भाजपा नए अध्यक्ष के चयन के लिए काफी सोच-समझकर कदम उठा रही है। पार्टी को यह अहम फैसला भी लेना है कि मौजूदा अध्यक्ष को एक और मौका दिया जाए, या किसी और को यह जिम्मेदारी सौंपी जाए। भाजपा अगर कोई नया अध्यक्ष लाती है, तो उसे फिर से न केवल संगठन को नए सिरे से खड़ा करना पड़ेगा, बल्कि केजरीवाल सरकार, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस का भी कड़ाई से मुकाबला करना होगा। पिछले दो महीने के दौरान पार्टी ने नए सिरे से समिति और मंडलों का गठन किया है। अब पार्टी को नए प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव करना है।

दिल्ली भाजपा की करीब 10 हजार समितियां, 280 वार्ड और 14 जिले हैं। इन पर ही पार्टी का पूरा संगठन टिका हुआ है। इन सबके ऊपर पार्टी की प्रदेश इकाई है, जिसका मुखिया प्रदेशाध्यक्ष होता है। बीते एक माह से दिल्ली भाजपा के संगठन को मजबूत बनाने पर पार्टी में राष्ट्रीय स्तर पर भी कई बार चर्चाएं हो चुकी हैं। भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती आम आदमी पार्टी के प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल हैं। जल्द ही पंजाब और पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने हैं। हाल ही में बिहार के नतीजों से उत्साहित केजरीवाल का अगला निशाना पंजाब चुनाव है।

केजरीवाल लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरने में भी लगे हुए हैं जिसे लेकर भाजपा आप से नाराज है। दिल्ली भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती अगले साल होने वाले दिल्ली नगर निगम के चुनाव हैं। दिल्ली में तीनों निगमों में भाजपा काबिज है। निगम चुनाव में भी भाजपा को आप की ओर से कड़ी टक्कर मिलने की उम्मीद है। कांग्रेस ने भी दिल्ली में अपने संगठन को नए सिरे से खड़ा किया है। दिल्ली भाजपा लगातार केजरीवाल और आप को घेरने की कोशिशों में लगी है।

पिछले 10 महीने से पार्टी लगातार केजरीवाल और आप के खिलाफ आंदोलनरत है, लेकिन असलियत यह है कि दिल्ली में भाजपा का मौजूदा संगठन कभी भी केजरीवाल के लिए चुनौती नहीं बन पाया है। दिल्ली में सातों लोकसभा सीटों पर भाजपा का कब्जा है। पार्टी ने अपने सातों सांसदों को आप और केजरीवाल सरकार के खिलाफ मैदान में उतारा है, जबकि वास्तविकता ये है कि पार्टी के बड़े नेता केजरीवाल और उनकी सरकार के खिलाफ कोई बड़ा राजनीतिक माहौल नहीं खड़ा कर पाए। इसे देखते हुए अब भाजपा दिल्ली के लिए किसी दमदार और परिपक्व नेता की तलाश में जुट गई है।

दिल्ली में भाजपा की कमान संभालने के लिए इन दिनों कई नामों पर विचार चल रहा है। पार्टी अगर मौजूदा अध्यक्ष सतीश उपाध्याय को एक मौका और देती है, तो उसे नए संगठन बनाने की कवायद में नहीं उलझना पड़ेगा। अगर किसी नए नेता को दिल्ली की कमान सौंपने पर विचार होता है, तो इसके लिए सबसे पहला नाम पवन शर्मा का है। पवन शर्मा दिल्ली भाजपा के संगठन महामंत्री रह चुके हैं और वे आरएसएस की पृष्ठभूमि से हैं।

उनके अलावा पार्टी के सामने रमेश बिधूड़ी, प्रवेश वर्मा, करण सिंह तंवर, और आरपी सिंह के भी नाम हैं। ये सारे नेता बरसों से दिल्ली की राजनीति में सक्रिय हैं। इनमें रमेश बिधूड़ी ओर प्रवेश वर्मा दिल्ली से सांसद हैं। करण सिंह तंवर नई दिल्ली नगर पालिका परिषद के उपाध्यक्ष हैं और आरपी सिंह पूर्व विधायक हैं और फिलहाल संगठन का काम देख रहे हैं। भाजपा आलाकमान को केजरीवाल और उनकी पार्टी का मुकाबला करने के लिए ऐसा प्रदेशाध्यक्ष चाहिए, जो किसी समय पार्टी के बड़े नेता रहे मदन लाल खुराना की तरह संगठन को चला सके और केजरीवाल के सामने कड़ी चुनौती पेश कर सके।