पटना से राघोपुर की दूरी 30 किलोमीटर है। अगर कोई वहां तक पहुंचना चाहता है तो उसे छह लेन वाले अटल पथ, चार लेन वाले जेपी गंगा एक्सप्रेसवे और हाल ही में बने छह लेन वाले कची दरगाह-बिदुपुर हाईवे से होकर गुजरना होगा। ये सभी निर्माण नीतीश कुमार के 20 साल के कार्यकाल में हुए हैं।
लेकिन 30 किलोमीटर बाद जब राघोपुर में दाखिल होते हैं, तो इस तरह का विकास नदारद दिखाई देता है। टूटी हुई सड़कें लोगों का स्वागत करती हैं। बिहार की राघोपुर सीट यादव बाहुल्य है और खेती-बाड़ी यहां सबसे ज्यादा की जाती है। इस सीट को राजद का गढ़ माना जाता है। लालू प्रसाद यादव 1995 में यहां से जीत चुके हैं। अगर 2010 से 2015 के कार्यकाल को छोड़ दिया जाए, तो इस सीट पर हमेशा राजद का कब्ज़ा रहा है।
इस बार जरूर कुछ समीकरण बदले हैं। जनसराज मूवमेंट के प्रमुख प्रशांत किशोर भी राघोपुर से ताल ठोक सकते हैं। साथ ही, वे लगातार तेजस्वी यादव को सीधी चुनौती भी दे रहे हैं। 11 नवंबर को इस सीट पर वोटिंग होने वाली है।
लोगों से बातचीत में आज भी लालू प्रसाद यादव के लिए अप्रत्याशित समर्थन दिखाई देता है। एक समर्थक का नाम ही लाल यादव है। वे कहते हैं, “मेरे पिता ने मेरा नाम लाल यादव पूर्व मुख्यमंत्री के नाम पर ही रखा था।” 29 वर्षीय लालू अपने तीन बड़े भाइयों के साथ एक अंडर कंस्ट्रक्शन ब्रिज पर काम करते हैं। उनके मुताबिक अब सही समय आ चुका है कि नीतीश कुमार को सत्ता से हटाया जाए। “वह 20 साल से मुख्यमंत्री रहे हैं, लेकिन उन्होंने राघोपुर के लिए कुछ नहीं किया। उन्होंने तो एक करोड़ नौकरियों का वादा किया था, लेकिन आखिर कहां हैं?”
लालू के एक अन्य समर्थक भी कहते हैं, “हम तेजस्वी को वोट देंगे, लेकिन उनके वादों पर ज्यादा भरोसा नहीं है। यहां हर परिवार को सरकारी नौकरी देने की बात हो रही है। मैं तो कक्षा दसवीं के बाद पढ़ाई नहीं कर पाया। मुझे सरकारी नौकरी कैसे मिल सकती है? हमें फैक्ट्री की जरूरत है, जिससे फॉर्मल एजुकेशन के बिना भी हमारे लिए काम के अवसर पैदा हो सकें।”
मिनटी देवी नाम की एक स्थानीय महिला नीतिश सरकार की योजनाओं से नाराज हैं। वे कहती हैं, “मेरे पति 2023 में चल बसे, लेकिन अभी भी मुझे विधवा पेंशन नहीं मिली है। मैं तो ब्लॉक ऑफिस से लेकर कोर्ट तक के चक्कर काट चुकी हूं। इतनी पढ़ी-लिखी भी नहीं हूं तो मैं किसी दूसरे को काम के लिए पैसे दिए थे, लेकिन वो मेरे पैसे लेकर भाग गया।” मिनती देवी के मुताबिक उन्हें सत्तारूढ़ या किसी दूसरी पार्टी से कोई समर्थन नहीं मिला।
सरकार की योजनाओं के लिए कम मिलता समर्थन भी लोगों को आक्रोशित कर रहा है। राघोपुर के जाफराबाद इलाके में कुछ महिलाएं दावा कर रही हैं कि सरकार की योजना उनके पास नहीं पहुंच रही है। चानू देवी कहती हैं कि उन्होंने स्कीम के तहत लोन के लिए आवेदन किया था, लेकिन अभी तक पैसे नहीं मिले। इसी तरह, जीविका स्कीम से जुड़ी अंजली कुमारी कहती हैं, “नीतीश जी ने महिलाओं के लिए काम काफी किया है, लेकिन फिर भी मुझे अभी तक अपने ₹10,000 नहीं मिल पाए हैं, जो मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत मिलने थे। तेजस्वी का वादा है कि ₹2,500 हर घर को मिलेंगे, लेकिन क्या वह सच में ऐसा कर पाएंगे?”
इस समय सुमित राय और अविनाश राय जैसे लोग सड़कों की खराब हालत को एक बड़ी समस्या बता रहे हैं। वे कहते हैं, “हर साल लोग अपने घर और खेत खो रहे हैं। अगर हमारे पास अपनी जमीन नहीं होगी तो विकास कैसे होगा? नेता चुनाव के समय बात करते हैं, वादे करते हैं, लेकिन जीतने के बाद कुछ नहीं करते।”
65 वर्षीय अरविंद कुमार राय लालू, नीतीश और तेजस्वी के कार्यकाल को देख चुके हैं। इस समय वे प्रशांत किशोर को भी बेहतर विकल्प के तौर पर देख रहे हैं। उनके मुताबिक प्रशांत के पास अभी पर्याप्त समर्थन नहीं है। ऐसे में वोट आरजेडी को ही जा सकता है। संजय कुमार भी प्रशांत किशोर की तारीफ कर रहे हैं, लेकिन उनका मानना है कि वर्तमान स्थिति में वोट किया गया तो यह वोट बर्बाद हो जाएगा। राजनेता के रूप में उनका कोई ट्रैक रिकॉर्ड फिलहाल नहीं है और उनके सिद्धांतों को समझने में समय लगेगा।
किशोर को लेकर मिथिलेश कुमार कहते हैं, “मैंने उन्हें सोशल मीडिया पर देखा है। जो बातें वे कहते हैं, मैं उन्हें पसंद कर रही हूं। पलायन और बेरोजगारी एक बड़ा मुद्दा है। मोदी और नीतीश कुमार ने इसे नजरअंदाज किया। चिराग पासवान सांसद हैं, लेकिन वे दिल्ली और पटना में ही रहते हैं। अभी बिहार फर्स्ट-बिहारी फर्स्ट की बात करते हैं, लेकिन हम भी तो बिहारी हैं। भ्रष्टाचार बहुत बढ़ चुका है। अगर 10 से 15 गांवों में सोलर लाइट आती भी है, तो उसे तीन से चार जगहों पर ही इंस्टॉल किया जाता है।”
सुशीला देवी भी प्रशांत किशोर को पसंद कर रही हैं। उनका कहना है, “सिर्फ चुनाव के समय नेता आते हैं, वरना कोई झांक कर भी नहीं देखता। तेजस्वी यादव इस क्षेत्र में आते हैं, लेकिन तब स्थानीय नेता और समर्थक उन्हें घेर लेते हैं। आम जनता उनसे कैसे बात कर पाएगी? नेताओं को सभी को समान देखना चाहिए और सभी की समस्याओं का हल करना चाहिए।”
राघोपुर सीट पर जनरल कैटेगरी के लोग तेजस्वी यादव से नाराज दिखाई दे रहे हैं। उनका कहना है कि तेजस्वी यहां से 10 साल से विधायक हैं। उनका परिवार सक्रिय है, लेकिन फिर भी कोई कॉलेज या हॉस्पिटल नहीं बना। आज भी अगर जरूरत पड़े तो पटना या हाजीपुर जाना पड़ता है। कुछ लोगों के मुताबिक इस वजह से एक बार फिर नीतीश कुमार को मौका दिया जा सकता है।
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