जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार अपने एक बयान को लेकर फिर मुश्किलों में घिरते नजर आ रहे हैं। भाजपा युवा मोर्चा (भाजयुमो) ने पुलिस में शिकायत दाखिल कर आरोप लगाया है कि कन्हैया ने ‘देशविरोधी’ बयानबाजी कर अपनी जमानत की शर्तों की अनदेखी की है।
कन्हैया ने मंगलवार रात महिला दिवस के मौके पर छात्रों को संबोधित करते हुए कहा, ‘चाहे आप मुझे रोकने की कितनी भी कोशिश क्यों न कर लें, हम मानवाधिकार हनन के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करेंगे। हम अफस्पा के खिलाफ आवाज उठाएंगे। हमारे सैनिकों के लिए हमारे मन में काफी सम्मान है, लेकिन फिर भी हम इस पर बात करेंगे कि कश्मीर में सुरक्षाकर्मियों की ओर से महिलाओं का बलात्कार किया जाता है’।

जेएनयू के छात्र नेता ने कहा, ‘रवांडा में युद्ध के दौरान 1000 महिलाओं से बलात्कार हुआ। अफ्रीका में जातीय संघर्ष के दौरान जब सेना दूसरे समूह पर हमला करती थी तो पहले महिलाओं से बलात्कार किया जाता था। आप गुजरात का उदाहरण लें, महिलाओं की न सिर्फ हत्या की गई, बल्कि पहले उनसे बलात्कार भी किया गया’।

भाजयुमो ने कन्हैया और जेएनयू की प्रोफेसर निवेदिता मेनन के खिलाफ वसंत विहार पुलिस थाने में मंगलवार को एक शिकायत दाखिल कर आरोप लगाया कि उन्होंने देश विरोधी नारे लगाए। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘हमने शिकायत प्राप्त की है और मामले की जांच की जा रही है। अब तक कोई प्राथमिकी नहीं दर्ज हुई है’।

भाजयुमो ने एक बयान में कहा, ‘अदालत में हलफनामा देने के बाद भी कन्हैया ने एक बार फिर छात्रों की सभा को संबोधित किया और भारतीय थलसेना के खिलाफ जहर उगले और उन्हें कश्मीरी महिलाओं का बलात्कारी करार दिया’। बयान के मुताबिक, ‘जेएनयू की प्रोफेसर निवेदिता मेनन भी जनसभाओं में भारतीय सशस्त्र बलों के खिलाफ नफरत जाहिर करती रही हैं। उन्होंने बयान दिया कि यह दुनिया भर में मान्यता है कि भारत ने कश्मीर पर अवैध कब्जा कर रखा है’।

जेएनयू के स्कूल आॅफ इंटरनेशनल स्टडीज के सेंटर फॉर कॉम्पैरेटिव पॉलिटिक्स एंड पॉलिटिकल थ्योरी में अध्यापन करने वालीं मेनन ने कहा, ‘मैं नहीं मानती कि मैंने जो कुछ कहा वह देश विरोधी था’। कन्हैया की पार्टी एआइएसएफ ने कहा, ‘उन्होंने दुनिया भर में और न सिर्फ कश्मीर में महिलाओं पर हुई यातनाओं के संदर्भ में यह बात कही थी।

उसका मकसद सेना या किसी अन्य को नीचा दिखाना कतई नहीं था और उसने अपने भाषण में इसे स्पष्ट भी किया है। भाजपा-आरएसएस की छात्र शाखा एबीवीपी ने कहा, ‘न्यायाधीश ने अपने आदेश में कन्हैया को सलाह दी थी कि वह सीमा पर कुर्बानी दे रहे जवानों के योगदान को न भूले। उसका बयान भारतीय थलसेना पर हमला है’।

राजनीति नहीं पढ़ाई है पहली प्राथमिकता

देशद्रोह मामले में तिहाड़ जेल से जमानत पर छूट कर आए जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार की पहली प्राथमिकता राजनीति नहीं करियर है। फिलहाल जेएनयू के बाकी दो लोगों (उमर और अनिर्बान) की रिहाई का संघर्ष तेज करने की योजना है। कन्हैया अभी विश्वविद्यालय पर कथित तौर पर देशद्रोही का ठप्पा लगाए जाने के खिलाफ, अपने दो दोस्तों की रिहाई, देशद्रोह के आरोप व उनके सहित आठ छात्रों के निलंबन को वापस लेने के लिए मुहिम चलाने को तैयार हैं।

कन्हैया ने बुधवार को पत्रकारों से बातचीत में इसका संकेत दिया कि पिछले दिनों माकपा महासचिव सीताराम येचुरी की घोषणा पर अमल नहीं कर सकेंगे। उन्होंने संकेत दिया कि आगामी पश्चिम बंगाल और केरल विधानसभा चुनावों में उनके प्रचार करने की संभावना नहीं है। कन्हैया ने कहा कि मैंने पहले ही कहा है कि मुख्यधारा की राजनीति मेरे लिए नहीं है। मैं एक छात्र हूं और अपनी पीएचडी पूरी करने के बाद एक शिक्षक बनना चाहता हूं। बहरहाल, आगे अपनी सक्रियता जारी रखूंगा।

कन्हैया ने पत्रकारों से कहा कि मेरे दो मित्र अभी भी जेल में हैं, हमने रोहित वेमुला मामले से लेकर अब के इलाहाबाद युनिवर्सिटी विवाद सहित कई मुद्दे उठाए हैं। छात्रों के लिए अभी काफी कुछ किया जाना बाकी है और चुनाव प्रचार के लिए दौरा करने में अधिक समय की जरूरत होगी जो मेरे लिए मुमकिन नहीं है।

शोध छात्र ने अपने बारे में दिए गए बयान को लेकर केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू पर भी हमला बोला। नायडू ने कहा था कि जेल से छूटने के बाद कन्हैया मुफ्त के प्रचार का लुत्फ उठा रहा है। कन्हैया ने कहा कि वे उनसे (नायडू) कहना चाहते हैं कि वे लोग जो कुछ कर रहे हैं वह सक्रियता है, लेकिन जो उनकी सरकार जो कर रही है वह राजनीति है। क्या वे इन दोनों के बीच का अंतर जानते हैं? इस तरह की टिप्पणी से पहले उन्हें इनका अंतर जान लेना चाहिए।

कन्हैया ने कहा-पूरा देश जानता है कि जेएनयू में दाखिला पाना कितना मुश्किल है। क्या वे यह सोचते हैं कि हम यहां बिना पढ़ाई के ही टिके हुए हैं? हमारा मुख्य उद्देश्य ‘पढ़ाई और संघर्ष करना’ है और जो जेएनयू के बौद्धिक छात्रों से डर रहे हैं वही इसे राजनीति बता रहे हैं।