उत्तर प्रदेश के कासगंज जिले में एक युवक की पुलिस हिरासत में हुई मौत के बाद राज्य का सियासी तापमान बढ़ गया है। चुनाव के मुहाने पर खड़े राज्य के राजनीतिक दल इस मामले को लेकर उत्तर प्रदेश पुलिस के साथ साथ राज्य की सरकार को भी कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव और AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने सवाल खड़े किए हैं।

अखिलेश यादव ने घटना को संदेहास्पद करार देते हुए कहा कि कासगंज में पूछताछ के लिए लाए गए युवक की थाने में मौत का मामला बेहद संदेहास्पद है। लापरवाही के नाम पर कुछ पुलिसवालों का निलंबन सिर्फ़ दिखावटी कार्रवाई है। उन्होंने कहा कि इस मामले में इंसाफ़ व भाजपा के राज में पुलिस में विश्वास की पुनर्स्थापना के लिए न्यायिक जांच होनी ही चाहिए।

दूसरी तरफ असदुद्दीन ओवैसी ने इंसाफ की मांग करते हुए कहा है कि इस केस में शामिल पुलिस वालों को तुरंत गिरफ्तार किया जाना चाहिए और अल्ताफ के परिवार को मुआवजा भी दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में पुलिस का अत्याचार दिन ब दिन बढ़ता जा रहा है।

बता दें कि एक किशोरी को अगवा करने के आरोप में अल्ताफ पुत्र चाहत मियां को पुलिस ने हिरासत में लिया था। बीते मंगलवार को कोतवाली के हवालात में अल्ताफ की मौत हो गई। इसको लेकर पुलिस का कहना है कि युवक ने हवालात के टॉयलेट में फांसी लगा ली। जिस टोटी के जरिए फांसी लगाने की बात कही गई है वह महज 2 फीट की ऊंचाई पर होगी, ऐसे में पुलिस के तर्क सवालों के घेरे में हैं, वहीं पीड़ित परिवार इसे हत्या बता रहा है।

मामले की गंभीरता को देखते हुए जिले के एसपी ने 5 पुलिसकर्मियों को लापरवाही बरतने के आरोप में निलंबित कर मामले की जांच के आदेश दिये हैं। इस मामले को लेकर यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष श्रीनिवास बीवी ने एक ट्वीट में यूपी पुलिस पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, “थाने की बाथरूम में लगी नल की टोंटी से लटककर कोई आत्महत्या कैसे कर सकता है उत्तर प्रदेश पुलिस? क्या आरोपी की लंबाई 1-2 फ़ीट थी?”