Maharashtra Vidhan Sabha Chunav 2024: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 को लेकर महायुति गठबंधन में भी, महाविकास अघाड़ी गठबंधन की तरह ही कई सीएम दावेदार भी हैं। महायुति में फिलहाल तो मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे हैं, जो कि महज 40 विधायक लेकर आए थे लेकिन चुनाव के बाद यह तय नहीं है कि गठबंधन में मुख्यमंत्री कौन होगा। डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस अपने बगल में बैठे एकनाथ शिदे को सीएम बताते हैं, तो वहीं बीजेपी आलाकमान इस मामले में चुनाव बाद डिसीजन की बात करता है।

महाराष्ट्र चुनाव को लेकर हालिया घटनाक्रम बताता है कि बीजेपी मुख्यमंत्री वाले सवाल को बरकरार रखना चाहती है। पार्टी पूरी तरह से यह मानकर चल रही है कि अगर नतीजों में महायुति गठबंधन को बहुमत मिलता है, तो सबसे बड़ी पार्टी बनने और बिग ब्रदर वाली भूमिका के तहत ही देवेंद्र फडणवीस को फिर से मुख्यमंत्री बना सकती है।

अमित शाह बोले- चुनाव बाद तय करेंगे

मुख्यमंत्री के सवाल पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा है कि अभी हमारे मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे हैं लेकिन चुनाव के बाद जब महायुति गठबंधन की जीत होगी, तो महायुति के तीनों घटक दलों के नेता बीजेपी, शिवसेना और एनसीपी एक साथ एक मेज पर बैठेंगे और यह तय करेंगे कि मुख्यमंत्री किसे बनाना है।

अब खास बात यह है कि ये पहली बार नहीं था कि जब बीजेपी के कथित चाणक्य अमित शाह ने ‘मुख्यमंत्री के मुद्दे पर’ पर बात की है। पिछले हफ़्ते सांगली में एक रैली में उन्होंने दावा किया कि जनता ‘महायुति और फडणवीस’ की वापसी देखना चाहती है, और यह वापसी जरूर होगी।

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BJP महाराष्ट्र के लिए चाहती है ‘देवेंद्र’

बीजेपी के कई वरिष्ठ नेता खुले तौर पर देवेंद्र फडणवीस को समर्थन करते दिखे थे। नाम न पब्लिश करने की शर्त पर बीजेपी के एक नेता ने कहा कि जमीनी स्तर पर दक्षिणपंथी विचारधारा के भीतर भावना यह है कि देश के लिए नरेंद्र और महाराष्ट्र के लिए देवेंद्र अहम हैं।

इतना ही नहीं, हाल ही में इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में महाराष्ट्र बीजेपी अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि इस समय मुख्यमंत्री पद हमारे एजेंडे में नहीं है।

शिवसेना एकनाथ शिंदे को हो CM बनाने पर अड़ी

बीजेपी भले ही देवेंद्र फडणवीस के ही सीएम बनने को लेकर आश्वस्त दिखाने की कोशिश कर रही है लेकिन दूसरी ओर शिवसेना इस बात को लेकर मुखर रही है कि अगर राज्य में महायुति गठबंधन की जीत होती है, तो मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ही होंगे। फिलहाल, शिवसेना के एक वरिष्ठ नेता और शिंदे कैबिनेट में शामिल एक मंत्री ने कहा कि हमारे लिए एकनाथ शिंदे ही सीएम हैं और चुनाव के बाद भी सीएम रहेंगे।

कुछ भी बोलने से बच रही है NCP

दूसरी ओर अजित पवार की पार्टी एनसीपी की बात करें तो वह इसको लेकर सतर्क रुख अपनाती दिख रही है। महाराष्ट्र एनसीपी अध्यक्ष सुनील तटकरे ने दावा किया है कि अभी पूरा ध्यान महायुति को सत्ता में वापस लाने पर है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री आदि जैसे बड़े मुद्दों को चुनाव के बाद शीर्ष नेतृत्व पर छोड़ देना ही बेहतर है।

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इतना ही नहीं, दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली विश्वविद्यालय और संबंधित छात्रों को 10 दिनों के भीतर उच्च न्यायालय की रजिस्ट्री में एक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया, जिसमें ये पुष्टि की गई कि अदालत को बताया गया कि सभी प्रॉपर्टी को बहाल कर दिया गया है। बता दें कि यह फैसला प्रशांत मनचंदा द्वारा याचिका पर सुनवाई के बाद आया, जिन्होंने चुनाव अवधि के दौरान संपत्तियों के नुकसान के बारे में चिंता जताई थी।

अभी मुख्यमंत्री के मुद्दे पर चर्चा करने का कोई मतलब नहीं

हालांकि, शिवसेना और एनसीपी दोनों के सूत्र कहते हैं कि गठबंधन की राजनीति में सीएम का चेहरा कई कारकों पर निर्भर करता है, खासकर तब जब किसी एक पार्टी को अकेले बहुमत न मिले। एक सूत्र ने यह भी कहा है कि अभी मुख्यमंत्री पद को लेकर चर्चा में पड़ने का कोई मतलब ही नहीं है।

महायुति विपक्षी महा विकास अघाड़ी के खिलाफ चुनाव में एकजुट मोर्चा बना रही है, जिसमें कांग्रेस, उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना और एनसीपी (शरदचंद्र पवार) शामिल हैं, लेकिन सत्तारूढ़ सहयोगियों के बीच आंतरिक सत्ता संघर्ष को नजरअंदाज करना मुश्किल है।

देवेंद्र फडणवीस क्यों मिल रहा है इतना समर्थन

शीर्ष पद के लिए फडणवीस को जो समर्थन मिल रहा है, उसके पीछे दो कारण हैं। इसमें एक बड़ा यह है कि पूरे महाराष्ट्र ने उन्हें 2014 से 2019 के बीच 5 साल चलाते हुए देखा था कि तब उन्होंने राज्य के व्यापक कल्याण के लिए साहसिक प्रशासनिक कदम उठाए थे।

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साथ ही, पार्टी और आरएसएस के कई लोगों का मानना ​​है कि 2022 में एनडीए में शिवसेना को शामिल करने के लिए उन्हें सीएम पद का त्याग करना पड़ा और अगर बीजेपी अपने बल पर सत्ता में लौटती है, तो ऐसा दोबारा नहीं होना चाहिए।

देवेंद्र फडणवीस पर ज्यादा भरोसा कर रही BJP लीडरशिप

सीएम पद को लेकर मतभेद के बाद शिवसेना ने 2019 में एनसीपी और कांग्रेस के साथ एमवीए गठबंधन बनाकर सरकार बनाई थी और मुख्यमंत्री की कुर्सी, अविभाजित शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने संभाली थी। हालांकि, सरकार केवल ढाई साल ही चल पाई, क्योंकि एकनाथ शिंदे ने बगावत कर दी और 56 में से 41 विधायकों के साथ बीजेपी को समर्थन दे दिया था। इसके चलते राज्य में फिर से एनडीए की सरकार बन गई थी। देवेंद्र फडणवीस को इस पूरे सियासी घटनाक्रम का सूत्रधार बताया गया था।

हालांकि देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि एकनाथ शिंदे सीएम होंगे और वे सरकार में शामिल नहीं होंगे लेकिन बीजेपी आलाकमान के आदेश के बाद फडणवीस डिप्टी सीएम बन गए थे। इसके बाद भाजपा ने फडणवीस के नेतृत्व में लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन उसे करारा झटका लगा क्योंकि उसने 2019 में 23 सीटों के मुकाबले 48 में से केवल 9 सीटें जीतीं।

उपमुख्यमंत्री ने एक बार फिर पार्टी से अनुरोध किया कि वह उन्हें सरकार में उनकी भूमिका से मुक्त कर पार्टी संगठन पर ध्यान केंद्रित करने दें, लेकिन उनके अनुरोधों को यह कहते हुए ठुकरा दिया गया कि उनके जाने से सरकार ऐसे समय में “अस्थिर” हो जाएगी, जब केंद्र महाराष्ट्र के लिए बड़ी परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।