UP Block Panchayat Chief Polls Results: यूपी ब्लॉक प्रमुख चुनाव में मतदान के बीच शनिवार (10 जुलाई, 2021) को प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में हिंसा हुई।

कानपुर से सटे उन्नाव के मियागंज ब्लॉक में सीडीओ दिव्यांशु पटेल ने कृष्णा तिवारी नाम के पत्रकार पर हमला कर दिया। दौड़ाने के बाद उन्हें पकड़ कर पीटा। हैरत की बात है कि इस दौरान भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के विधायक बंबा लाल के गुर्गों ने भी पत्रकार की पिटाई की। घटना के दौरान पूरे तमाशे का वीडियो बनता रहा, पर पत्रकार को बचाने की किसी ने पहल न की। फोटो खिंचते रहे, वीडियो बनते रहे और पिटाई की पूरी घटना कैमरे में कैद होती रही। तिवारी की पिटाई के विरोध में उन्नाव के पत्रकार धरने पर भी बैठे।

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यूपी के इसी घटनाक्रम पर वरिष्ठ टीवी पत्रकार रवीश कुमार ने एक फेसबुक पोस्ट के बहाने तंज कसा कि गोदी मीडिया के पत्रकारों से अपनी बेटी मत ब्याहना। NDTV से जुड़े कुमार ने लिखा, “यूपी में जैसे हिंसा हो रही है, उसे छोड़कर दिल्ली के पत्रकारों को लिखने का टॉपिक दिया जा रहा है कि वे मोदी मंत्रिमंडल विस्तार को मंडल के दौर से जोड़ें। जल्दी ही मंडल से जोड़कर कई लेख मिलेंगे, क्योंकि ऐसा लिखने को थीम सप्लाई हुई है।”

बकौल रवीश, “गोदी मीडिया के पत्रकारों को भी अफसर पीट रहे हैं। उनके चैनल ख़ामोश हैं। इन चैनलों के पत्रकारों को गुमान रहा होगा कि उनका एंकर सरकार की जूती चाटता है तो अफसर थप्पड़ लप्पड़ नहीं मारेगा। अपने पत्रकार के पीटे जाने के बाद भी इन चैनलों ने उफ़्फ़ तक नहीं की। आम लोग इस डिज़ाइन को ठीक से समझें। इसके बदले हीरा-मोती नहीं मिलेगा। एक ऐसी व्यवस्था मिल रही है जहां आपकी औक़ात मच्छर के समान हो गई है।”

उन्होंने आगे यह भी लिखा- लड़की वालों से अनुरोध है कि शादी ब्याह तय करते समय गोदी मीडिया के चैनलों के पत्रकारों से अपनी बेटी का रिश्ता तय न करें। आपका दामाद सरकार की गाएगा तो आपको अच्छा लगेगा लेकिन सरकार से लात जूता खा कर आएगा तो अच्छा न लगेगा। सैलरी भी खराब मिलती है। आप पत्रकार समझ कर शादी करेंगे, लेकिन वो निकलेगा दलाल और उसके बाद भी जो अफसर चाहेगा चौराहे पर कूट देगा।

कुमार के इस पोस्ट पर फैंस, फॉलोअर्स और अन्य लोगों ने मिली जुली प्रतिक्रियाएं दीं। विवेक कोठारी के अकाउंट से कमेंट किया गया, “हे “चीनी वायरस”, तुम्हें बंगाल में चुनाव बाद हिंसा न दिखाई दी थी? वहां हजारों बंगाली मानुष को सिर्फ इसलिए मार दिया, क्योंकि उन्होंने विरोधी पार्टी को वोट दिया। सैकड़ों महिलाओं के साथ यौनाचार हुआ और जान बचाने के लिए दो लाख लोग पड़ोसी राज्यों में शरण लिए हैं?”

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नितेश तिवारी ने लिखा, “सभ्य समाज में हिंसा कहीं भी हो, वो स्वीकार नहीं किया जा सकता। पर अपने आप को निष्पक्ष पत्रकार कहने वाले बंगाल हिंसा पर सांप सूंघ गया। ऐसा दोहरा मापदंड क्यों? क्या बंगाल के लोग इंसान नहीं? जिसे आप गोदी मीडिया कहते हैं, न वह बंगाल की हिंसा और यूपी में जो हो रहा है उसे भी दिखाया। पर आप ने बंगाल की हिस्सा पर चुप्पी साध ली ऐसा क्यों? वास्तव में आप गोदी मीडिया हो। बधाई।”

सोमदत्त दीक्षित ने कहा, “यही बात मैग्सेसे पाए पत्रकार (रवीश) के लिए भी लागू है। पता नहीं एक प्रतिष्ठित पुरस्कार के एवज में क्या क्या आय-बाय सटाए करनी पड़ती है…पर एक चीज है, उस पुरुस्कार से अंडे पिल्ले बहुत मिल जाते हैं, जो आपको सच की आवाज़ निडर ठा-ठूं कुछ भी बता देंगे।”

मनोज शर्मा बोले, “जिन्हें आप गोदी मीडिया बता रहे हैं, उन्होंने तो बंगाल भी रिपोर्ट किया था और आज यूपी भी पर हां…एक दलाल कुमार जरूर है, जो बंगाल में हुई हत्याओं पर तो फेवीकोल पीकर पड़ा था, पर आज यूपी के प्रत्याशियों के बीच होने वाले झगड़ों पर नंगा नाच रहा है।” श्याम अग्रवाल ने लिखा, आपकी आलोचनाओं से तर्क-वितर्क नहीं करना, क्योकि एजेंडा आपका सेट है। मेरा केवल यही सवाल है कि क्या केवल लड़के सांप्रदायिक हैं। लड़कियां नहीं? क्यों हर बात का दोष लड़कों पर ही डाल देते हो? यहां तो बात बराबर की करो, रविश जी।

सूरज तिवारी ने कहा, “इस बार टिकट ले कर कांग्रेस से इलेक्शन लड़ लो आप…सीधे खुलकर आओ।” वहीं, सौरव राय ने लिखा, बंगाल की हिंसा पर भी कुछ लिखिए, रवीश बाबू। एजेंडा तो आप सेट किए हैं। बेशर्म मत बनें।

बता दें कि वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार देश-दुनिया से लेकर बुनियादी मुद्दों पर समय-दर-समय बेबाकी से अपनी राय रखते हैं। फेसबुक अकाउंट पर पोस्ट्स के जरिए वह जरूरी सवाल उठाते रहते हैं। हालांकि, बंगाल में दो मई, 2021 को चुनावी नतीजे आने के बाद वहां हुई हिंसा के मसले पर उनके अकाउंट पर तब से खबर लिखे जाने तक बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा पर केंद्रित एक भी पोस्ट नहीं मिला।