यूपी का चुनाव आने में अब कुछ ही समय रह गए हैं। ऐसे में सभी दलों में अपनी-अपनी गोटियां सेट करने और जीत-हार का आंकड़ा तय करने में रणनीतियां बनने लगी हैं। उत्तर प्रदेश की अगले चार-पांच महीनों में क्या तस्वीर बनेगी और कौन सी पार्टी का नेता किस पार्टी में शामिल होगा, इसको लेकर भी विचार-विमर्श शुरू हो गया।

समाचार चैनल न्यूज-24 पर इसको लेकर हुए डिबेट में एंकर विपनेश माथुर के साथ पैनलिस्ट में शामिल भाजपा, सपा, बसपा और चैनल के राजनीतिक रिपोर्टरों का मानना है कि यूपी में बिना जातीय समीकरण के कोई भी दल सत्ता में नहीं आ सकता है। सभी दल खुद को सभी जाति और वर्ग को साथ लेकर चलने का दावा कर रहे हैं, सभी दलों में जाति के प्रतिनिधित्व के नाम पर असंतोष खुलकर सामने आता रहा है।

सपा प्रवक्ता डॉ. अजीज खान ने कहा कि 2017 में यूपी में जनता ने बड़ी उम्मीद के साथ भाजपा को वोट दिया था, लेकिन भाजपा ने उनको धोखा दिया। भाजपा ने पिछड़ी जाति के नाम पर चुनाव लड़ा लेकिन पिछड़ों के नेता केशव प्रसाद मौर्य को मुख्यमंत्री क्यों नहीं बनाया।

सपा और बसपा के नेता एक-दूसरे को कमजोर बताने में लगे हैं। सपा का कहना है कि भाजपा और बसपा के कई कद्दावर नेता सपा के संपर्क में हैं, लेकिन उनकी घोषणा जैसे ही चुनाव आचार संहिता लागू होगी, तब की जाएगी। कहा कि सभी नेता अपने दल छोड़कर इसलिए समाजवादी पार्टी की ओर आ रहे हैं क्योंकि उनको हमारी पार्टी में ही उम्मीद दिख रही है। अखिलेश यादव की सरकार ने जो विकास कार्य किया है, वे मिसाल बन गए हैं।

बसपा के नेता डॉ. सतीश प्रकाश ने कहा कि जो लोग बसपा छोड़कर सपा में जा रहे हैं, वे दरअसल अपना आधार बनाना चाहते हैं, क्योंकि उनका कोई जनाधार नहीं है। ऐसे में बसपा को कोई खतरा नहीं है। बसपा के बारे में बताया जा रहा है कि पश्चिमी यूपी में मुस्लिम यादव गठजोड़ के तहत सारे वोट सपा की तरफ जाएंगे, वे बताएं कि पश्चिम के किस जिले में यादव वोट सपा को जा रहे हैं। पश्चिम में यादव कहां है?

दूसरी तरफ भाजपा के नेता आनंद दुबे का कहना है कि योगी का पांच साल का काम जनता को साफ दिख रहा है। भाजपा ने सभी जाति-धर्म और समुदाय के लिए काम किया है। किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं किया गया है।