आम आदमी पार्टी के एक सांसद जमानत पर बाहर आए। निराशा में आशा का कुछ संचार हुआ, लेकिन चैनलों ने यह बताकर सारे उत्साह पर पानी फेर दिया कि जमानत ‘सशर्त’ है, मुकदमा चलना है। फिर आया हाइकोर्ट का मुख्यमंत्री की अपील पर फैसला। कोर्ट ने कहा कि दस्तावेज कहते हैं कि शराब घोटाले में मुख्यमंत्री की भूमिका दिखती है… अदालत राजनीतिक स्थिति देख फैसला नहीं देती… और बचा-खुचा उत्साह भी ठंडा हो गया।

इसके आगे ‘सुप्रीम कोर्ट शरणम् गच्छामि’ होना था, सो हुआ। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देखेंगे… जल्दी क्या है..! पहले कहते थे कि हम जेल जाने से नहीं डरते, लेकिन अब कह रहे हैं कि तिहाड़ ‘गैस चेंबर’ है। यह कैसा गजब का ‘गैस चैंबर’ है कि मुख्यमंत्री का वजन ‘एक किलो बढ़ा’ बताया जाने लगा!

फिर आया चैनलों पर महाराष्ट्र के कांग्रेस से निष्कासित किए गए नेता संजय निरुपम का ‘उवाच’ कि कांग्रेस में ‘पांच पावर सेंटर’ हैं। गांधीजी की धर्मनिरपेक्षता धर्मविरोधी नहीं थी, नेहरू की धर्मनिरपेक्षता में धर्म का विरोध है, राहुल गांधी के आसपास ज्यादातर वामपंथी हैं, जो राम मंदिर का विरोध करते हैं।

रामलला के कार्यक्रम में सब बुलाए गए थे, उसके जवाब में सारे उत्सव को ही निशाना बनाया गया… राम के अस्तित्व पर ही सवाल उठाया गया… कांग्रेस वैचारिक आधार पर दिशाहीन हो गई है। जब मैंने शिवसेना पर हमला करने के लिए कांग्रेस पर जोर डाला तो मुझे निकाल दिया गया… कब कौन निकाल दिया जाएगा, नहीं मालूम… कहां से लाते हैं ये ऐसे अंहकार..!

देर तक चैनलों में ‘संजय उवाच’ छाया रहा। तिस पर यह कि उसी शाम कांग्रेस के एक प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने भी पार्टी छोड़ दी और भाजपा में शामिल हो गए। यहां भी सनातन का ‘दर्द’ था। गौरव बोले कि न मैं सनातन के विरोध में बोल सकता था, न ‘वेल्थ क्रिएटर्स’ के खिलाफ बोलना चाहता था, इसलिए छोड़ दी।

फिर आया कांग्रेस का ‘पांच गारंटी’ और ‘पच्चीस वादे’ वाला ‘न्याय पत्र’ और चैनल कराने लगे चर्चा पर चर्चा। इसी बीच राहुल भैया ने एक रैली में ऐसा ‘खटाखट’ किया कि सब खटाखट करने लगे। एक रैली में बोले कि हर युवक को साढ़े आठ हजार रुपए महीने और गरीबी रेखा से नीचे की महिला को एक लाख रुपए प्रतिवर्ष देंगे, जो ‘खटाखट खटाखट’ उनके खाते में डाले जाएंगे। ‘खटाखट’ शब्द पर उनको तुरंत तालियां मिलीं। भाजपा प्रवक्ता कहिन कि ऐसे ही दिए तो तिजोरी खाली हो जाएगी।

फिर एक शाम खबर आई कि वायनाड के मतदान के बाद ही अमेठी, रायबरेली सीटों पर कांग्रेसी उम्मीदवारों के नाम तय होंगे। निंदक आनंदित कि क्या वायनाड की सीट भी पक्की नहीं? इसे देख मानो वाड्रा भैया ने तसल्ली दी कि अमेठी चाहती है कि गांधी परिवार का कोई लड़े।

बहरहाल, तमिलनाडु के युवा भाजपा नेता अन्नामलाई उर्फ ‘सिंघम’ के साथ मोदी के एक के बाद एक कई रोड शो में आती भीड़Þ मोदी की बढ़ती लोकप्रियता को दिखाती रही और दो सर्वेे भी कहते रहे कि इस बार तमिलनाडु से भाजपा दो से चार सीट तक निकाल सकती है और केरल में भी खाता खोल सकती है।

इसी बीच दिल्ली सरकार के एक मंत्री राजकुमार आनंद ने ‘आप’ और सरकार से इस्तीफा देकर सबको चौंका दिया। उन्होंने बताया कि ‘पार्टी के भ्रष्टाचार’ से आजिज आकर उन्होंने पार्टी छोड़ी, लेकिन वे किसी पार्टी में नहीं जा रहे। ‘आप’ प्रवक्ता कहिन कि ये ‘डराने’ और ‘तोड़ने’ की साजिश है। फिर गुरुवार की रात को एक चैनल ने ‘सोशल मीडिया’ के हवाले से यह खबर तक चला दी कि आप के कई नेता ऐसे ही ऊहापोह में हैं। भई! बिना प्रमाण के ऐसे ‘सुर्रे’ छोड़ना भी कोई ‘खबरनबीसी’ है क्या?

एक चैनल की गंभीर-सी बहस में एक पत्रकार ने साफ कहा कि मोदी जनता को विश्वास दिलाने में कामयाब रहे हैं कि मेरे साथ चलो। आज वे गारंटी देते हैं। नतीजा कि 2024 की लड़ाई ही नहीं दिखाई पड़ती। लोकतंत्र में मेहनत से जीता जाता है। एक चुनाव विश्लेषक कहे कि विपक्ष की सबसे बड़ी समस्या है किसी बड़े मुद्दे का न होना। मोदी का सबसे बड़ा मुद्दा ‘मोदी की गारंटी’ है।

अन्य चर्चा में एक पत्रकार ने बताया कि एक बैठक में जब राम मंदिर दर्शन करके एक सज्जन आए तो बाकी के लोगों ने उसके ‘चरण स्पर्श’ किए। दूसरे पत्रकार ने बताया कि पश्चिमी यूपी में जब उसने नौजवानों से ‘महंगाई’ और ‘बेरोजगारी’ के बारे में कहा तो वे बोले कि वह सब देख लेंगे, लेकिन वोट मोदी को ही देंगे।मोदी की ‘गारंटियां’ इतनी लोकप्रिय हुई हैं कि नकल में विपक्ष को भी ‘गारंटी’ की बात करनी पड़ रही है।

‘विज्ञापन युद्ध’ भी शुरू है। कांग्रेस के विज्ञापन ‘महंगाई और बेरोजगारी’ की शिकायत करते हैं कि ‘मेरे विकास का दो हिसाब’, जबकि मोदी के विज्ञापन उनकी योजनाओं के लाभार्थियों से कहलवाते हैं कि जो विकास हुआ है, वह तो अभी ‘ट्रेलर’ है… मोदी की गारंटी हमारा विकास है, तो हमारी गारंटी भी मोदी को जिताना है..!