प्रशांत किशोर को भारत की राजनीति का नया शो मैन जाता है और उन्हें सबसे चर्चित चुनावी रणनीतिकार भी कहा जाता है। प्रशांत किशोर ने अबतक नौ चुनावों में अलग अलग पार्टियों के साथ काम किया है। जिसमें से उन्होंने करीब 8 चुनावों में जीत हासिल की है। प्रशांत किशोर ने सबसे पहले चुनावी रणनीति भाजपा के लिए ही बनाई थी। 2014 में हुए लोकसभा चुनावों में भाजपा और नरेंद्र मोदी के पूरे कैंपेन में मुख्य भूमिका प्रशांत किशोर ने ही निभाई थी। जिसमें भाजपा को जबरदस्त जीत मिली थी और नरेंद्र मोदी दिल्ली की सत्ता पर काबिज हुए थे।

प्रशांत किशोर ने चुनाव लड़ने और जीतने के लिए अपनाई जाने वाली पूरी तकनीक ही बदल डाली। प्रशांत किशोर ने ही 2014 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान नरेंद्र मोदी को चाय पर चर्चा और थ्रीडी होलोग्राम रैली का इनोवेटिव आइडिया दिया था। जिसकी वजह से नरेंद्र मोदी अपनी बात देश के अलग अलग हिस्सों में रह रहे लोगों तक पहुंचाने में सफल रहे। 2014 में हुए लोकसभा चुनावों के बाद प्रशांत किशोर ने जिन भी पार्टियों के साथ काम किया वहां इस तरह के कैंपेन लांच किए जिसका फायदा उन पार्टियों को मिला।

ताजा उदाहरण पिछले दिनों ममता बनर्जी को पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में मिली जीत का है। प्रशांत किशोर ने ही ममता बनर्जी के लिए चुनावी रणनीति बनाई थी। प्रशांत किशोर की देखरेख में ही पश्चिम बंगाल चुनाव से पहले ‘बांग्ला निजेर मेके चाय’ और ‘दीदी के बोलो’ जैसे कार्यक्रम शुरू हुए। इन कार्यक्रमों के जरिए ममता बनर्जी को वोटरों को अपने पक्ष में खींचने में मदद मिली।

साल 2014 में भाजपा को लोकसभा चुनाव में शानदार जीत दिलाने वाले प्रशांत किशोर ने थोड़े समय के बाद भाजपा का साथ छोड़ दिया था। कहा जाता है कि भाजपा के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह प्रशांत किशोर के भाजपा में बढ़ते हस्तक्षेप से नाराज थे। अमित शाह की रणनीति का भी कई राजनीतिक दिग्गज लोहा मानते हैं।  2014 के लोकसभा चुनाव में उत्तरप्रदेश में मिली प्रचंड जीत से लेकर पूर्वोत्तर के राज्यों में भाजपा सरकार बनाने के पीछे भी अमित शाह की बड़ी भूमिका रही है।

अमित शाह और प्रशांत किशोर के अलावा कई और राजनीतिक दिग्गजों ने भी भाजपा के लिए रणनीति बनाई है. इनमें अरुण जेटली और प्रमोद महाजन का नाम प्रमुख रूप से शामिल है। 2004 के राष्ट्रीय चुनाव अभियान में भाजपा के चुनाव प्रबंधन और महाराष्ट्र में शिवसेना-भाजपा गठबंधन के पीछे प्रमोद महाजन की बड़ी भूमिका थी। इतना ही नहीं भाजपा में डिजिटल तौर तरीके अपनाने की शुरुआत भी प्रमोद महाजन ने ही की थी। प्रमोद महाजन को बीजेपी का टेक्नोक्रेट कहा जाता था।

इसके अलावा दिवंगत भाजपा नेता अरुण जेटली को एक भी समय पार्टी का चाणक्य कहा गया था। 2005 में लालू प्रसाद यादव को मिली करारी हार के बाद जब जदयू-भाजपा गठबंधन की सरकार बिहार में बनी थी तो अरुण जेटली ही चुनाव प्रभारी थे। इतना ही नहीं मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री बनाने का श्रेय भी अरुण जेटली को ही जाता है। इसके अलावा उन्होंने पहली बार भारत के दक्षिणी राज्य कर्नाटक में भी भाजपा का कमल खिलाने में अहम भूमिका निभाई थी।