राजग की सहयोगी शिवसेना और विपक्षी दलों ने भारत और पाकिस्तान के बीच राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार स्तर की गोपनीय वार्ता को लेकर संसद के भीतर और बाहर मोदी सरकार को घेरा। कांग्रेस ने सरकार पर भारत-पाक रिश्तों को लेकर देश के रुख से मूलभूत विचलन का आरोप लगाया। इस मामले पर सरकार को विरोधियों के साथ ही भाजपा के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा के शब्दबाण का भी सामना करना पड़ा। पूर्व विदेश मंत्री सिन्हा ने सरकार की रणनीति पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि उन्हें देश को स्पष्ट करना चाहिए कि जब सत्तारूढ़ पार्टी यह कहती रही है कि आतंक और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकते तो फिर यह वार्ता क्यों बहाल की गई है।
कांग्रेस के आनंद शर्मा ने शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुए कहा, ‘मैंने नियम 267 के तहत नोटिस दिया है कि प्रधानमंत्री और उनकी सरकार सदन उन घटनाक्रमों और कारणों के बारे में सूचित करे जिनकी वजह से सरकार को अपने रुख से मूलभूत विचलन करना पड़ा। पाकिस्तान के साथ संपर्क को लेकर इसी साल अगस्त में इसी सदन को इस रुख के बारे में सूचित किया गया था।’ शर्मा ने कहा कि हाल में पेरिस जलवायु सम्मेलन से इतर मोदी और उनके पाक समकक्ष नवाज शरीफ की बैठक हुई थी।
उन्होंने कहा कि सरकार को इस बारे में संसद और विपक्ष को विश्वास में लेकर इस संबंध में अपनी दिशा और रूपरेखा के बारे में बताना चाहिए। अब विदेश मंत्री सुषमा स्वराज इस्लामाबाद जा रही हैं। यह संसद का अपमान है कि जो घटनाक्रम हो रहे हैं उनके बारे में सदन को सूचित नहीं किया जा रहा। यह उम्मीद की जा रही थी कि दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों की बैठक से पहले देश की संसद और विपक्ष के नेता को विश्वास में लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि हाल में दोनों देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की मुलाकात हुई थी। इस अवसर पर दोनों देशों के विदेश सचिव भी मौजूद थे।
शर्मा की बात का जवाब देते हुए संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर सरकार की मजबूत प्रतिबद्धता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आपकी ओर से उठाए गए मुद्दे पर मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि 10 दिसंबर को विदेश मंत्री सदन में आएंगी और आपकी ओर से उठाए गए मुद्दों पर सूचित करेंगी। जद(एकी) के केसी त्यागी ने कहा कि सरकार को यह बताना चाहिए कि कश्मीर के मामले में उसकी नीति क्या है। उन्होंने कहा कि भारत-पाक संबंधों के लिए यह महत्त्वपूर्ण है। कांगे्रस के राजीव शुक्ल ने कहा कि जब प्रधानमंत्री और अन्य स्तरों पर भारत-पाक संपर्क कायम हो रहे हैं तो भारत-पाक क्रिकेट मैचों का विरोध क्यों किया जा रहा है।
विपक्षी दलों के साथ ही सरकार के कुछ अपने लोगों ने ही उसको घेरा। यशवंत सिन्हा ने कहा कि भाजपा यह कहती आ रही है कि आतंक और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकते। आतंकवादी हमले किए जा रहे हैं। भारत खुद कहता है कि इनके पीछे पाकिस्तान है। फिर बातचीत करने का क्या मतलब है। सरकार को इस देश की जनता को बताना होगा कि वे बातचीत क्यों बहाल कर रहे हैं।
शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि पाकिस्तान के साथ बातचीत का कोई मतलब नहीं है क्योंकि उसका मुख्य मकसद आतंकवाद को प्रायोजित कर भारत को बर्बाद करना है। उन्होंने यह बताए जाने की मांग की कि पाकिस्तान के साथ बातचीत क्यों हो रही है। इसी मुद्दे पर जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सरकार पर सवाल किया कि अगर पाकिस्तान को आतंकवाद पर बातचीत के लिए तैयार किया गया तो क्या भारत को भी कश्मीर पर बातचीत के लिए तैयार किया गया क्योंकि उफा में जम्मू-कश्मीर का कोई उल्लेख नहीं था?
लाल-पीला विपक्ष:
- राजग में शामिल शिवसेना ने पूछा, क्यों हो रही है बातचीत
- यशवंत सिन्हा ने कहा, पार्टी के उसूलों के खिलाफ है वार्ता
- संसदीय कार्य राज्य मंत्री ने कहा, 10 को सुषमा देंगी जवाब