बीजेपी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सदस्य सुब्रमण्यम स्वामी ने बजट से पहले देश की अर्थव्यवस्था पर तीखी टिप्पणी की। कहा कि जीडीपी काफी कम है और इसको बढ़ाना लगभग मुश्किल हो गया है। देश में निवेशकों को आकर्षित करने के लिए कर व्यवस्था में बदलाव की सख्त जरूरत है। उन्होंने ट्वीट कर अपनी ही पार्टी की सरकार पर तंज कसा। कहा “चार साल बचे हैं। 18.6 फीसदी सालाना जीडीपी ग्रोथ चाहिए। यह असंभव है।” पूछा कि सरकार इसको कैसे करेगी।
स्वामी ने हाल ही में कहा था कि देश की अर्थव्यवस्था “काफी खराब स्थिति” में है। उन्होंने आयकर को खत्म किए जाने की वकालत की थी। कहा था कि “हमारे देश में टैक्स टेररिज्म पर लगाम कसने की जरूरत है। टैक्समैन से लोग डर रहे हैं। यह खत्म हो जाए तो निवेशक आसानी से देश में निवेश करने की सोचेंगे।”
उन्होंने कहा, “वर्तमान में हमारे पास अच्छी आपूर्ति है, लेकिन मांग की कमी है। देश के सामने यह एक बड़ी समस्या है। कहा कि बेहतर होगा कि सरकार नोट छापे और इसे लोगों के हाथों में दे, जिससे मांग बढ़े। कहा कि अर्थव्यवस्था नीचे की ओर जा रही है। यदि ऐसा ही जारी रहा तो बैंकों का कामकाज बंद हो जाएगा। एनबीएफसी बंद हो जाएगी और इसके परिणाम काफी खराब होंगे।”
उन्होंने कहा कि देश में हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं और जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) इसका एक बड़ा केंद्र बन गया है। कहा कि इसको “दो वर्ष के लिए बंद” कर दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अमेरिका की तरह यहां भी विश्वविद्यालय में पुलिस की तैनाती होनी चाहिए। कहा कि जेएनयू में हिंसा की वजह से अच्छे छात्रों की पढ़ाई-लिखाई बाधित हो रही है। उनको व्यवस्था का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। यह रोका जाना चाहिए।

