Maharashtra Politics: कर्नाटक कांग्रेस के बड़े नेता और स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडू राव ने विनायक राव सावरकर को लेकर बयान दिया, जिसके बाद से एक बार फिर सावरकर देश की राजनीतिक चर्चा में आ गए हैं। कांग्रेस नेता ने कहा कि सावरकर ब्राह्मण थे लेकिन गोमांस खाते थे। उन्होंने गो हत्या का विरोध नहीं किया। कांग्रेस नेता के इस बयान को लेकर सियासी पारा चढ़ गया है।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से ठीक पहले हुए इस विवाद को लेकर सबसे असहज स्थिति पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे के गुट की शिवसेना यूबीटी की हो सकती है, जबकि बीजेपी और शिंदे गुट की शिवसेना के लिए एक पॉजिटिव मुद्दा हो सकता है, जिसके चलते बीजेपी इस मुद्दे को पूरे चुनाव में भुनाने की कोशिश कर सकती है।
कांग्रेस नेता द्वारा दिए गए बयान के चलते बड़े विवाद के बीच सावरकर के पोते रंजित सावरकर की भी प्रतिक्रिया आई। उन्होंने कहा कि सावरकर को बार-बार बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। सावरकर के पोते ने कहा है कि पहले राहुल गांधी ऐसा कर रहे थे। वहीं अब उनके नेता बयानबाजी कर रहे हैं।
सावरकर के पोते ने करेंगे मानहानि का केस
कांग्रेस नेता के बयान पर सावरकर के पोते ने कहा है कि वे अब इस मामले में मानहानि का केस दर्ज कराएंगे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस हिंदू समाज को जातियों में बांटकर चुनाव जीतना चाहती है। यह अंग्रेजों की फूट डालो और राज करो की नीति की तरह है। सावरकर के बीफ खाने और गोहत्या का समर्थन करने का बयान गलत है। मैं उनके खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराऊंगा।
BJP नेता अनुराग ठाकुर ने खोला कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा
वहीं इस मुद्दे पर बीजेपी नेता अनुराग ठाकुर ने कांग्रेस सरकार में मंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि वह राहुल गांधी ‘टुकड़े-टुकड़े’ की विचारधारा को बढ़ावा दे रहे हैं। राहुल पूरी दुनिया में देश को बदनाम करते हैं, तो उनकी पार्टी स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान करने में पीछे नहीं रहेगी।
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अनुराग ठाकुर ने कहा कि जब कांग्रेस की सरकार थी तो किताबों में सरदार भगत सिंह को अलगाववादी कहा जाता था। राहुल गांधी देश को तोड़ने की ताहत रखने वाले लोगों को कांग्रेस में शामिल कर ‘टुकड़े-टुकड़े’ की विचारधारा आगे बढ़ावा दे रहे हैं।
शिवसेना ने उठाए उद्धव ठाकरे के गुट पर सवाल
कांग्रेस नेता दिनेश गुंडू राव की सावरकर पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुट की शिवसेना ने भी आक्रोश जाहिर किया। ठाणे से शिवसेना नेता नरेश म्हास्के ने कहा था कि अगर राव 24 घंटे में माफी नहीं मांगेंगे तो उनको महाराष्ट्र में नहीं घुसने दिया जाएगा।
इसके साथ ही उन्होंने इस मामले पर उद्धव ठाकरे की चुप्पी पर भी सवाल उठाए थे। दिनेश गुंडू राव का कहना है कि उन्होंने सच बोला है। वहीं महाराष्ट्र में पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे से लेकर उनकी पार्टी की तरफ से कोई बयान नहीं आया है।
एनसीपी और कांग्रेस का क्या है सावरकर पर रुख
सावरकर को लेकर काफी विवाद है। एक तरफ जहां बीजेपी और दक्षिणपंथी संगठन उन्हें एक स्वतंत्रता सेनानी के तौर पर देखते हैं जबकि कांग्रेस और वामपंथी इतिहासकारों का कहना है कि सावरकर कोई देशभक्त नहीं थे बल्कि वह महात्मा गांधी की हत्या में शामिल थे और अंग्रेजों से माफी मांगकर जेल से छूटे थे। कांग्रेस ने कुछ साल पहले एक बुकलेट ‘वीर सावरकर, कितने वीर’ जारी की थी और इसे लेकर जबरदस्त विवाद हुआ था। कुछ ऐसा ही रुख शरद पवार की एनसीपी का भी रहा है।
उद्धव ठाकरे और शिवसेना के लिए टेंशन क्यों?
वीर सावरकर को लेकर जो रुख बीजेपी का है वही पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे कीे गुट की शिवसेना का भी है। उद्धव से लेकर आदित्य ठाकरे से लेकर संजय राउत, आदित्य ठाकरे सभी खुलकर यह मांग करते रहे हैं कि सावरकर को भारत रत्न दिया जाए। इसको लेकर ही उद्धव बीजेपी को घेरते रहे हैं लेकिन उनका गठबंधन ऐसे दलों (कांग्रेस-एनसीपी) के साथ है, जो कि सावरकर विरोधी सोच के हैं और महात्मा गांधी की हत्या के पीछे सावरकर का हाथ मानते हैं।
ऐसे में शिवसेना इस मुद्दे पर खुलकर कुछ भी बोलने से बच रही है जबकि MVA के अन्य घटक दल कांग्रेस और एनसीपी पिछले कुछ वर्षों में महाराष्ट्र की राजनीति में, उद्धव ठाकरे को अपने साथ बनाए रखने के लिए सावरकर से जुड़े मुद्दे पर या तो बातचीत करने से कतराते हैं, या या फिर उनका जिक्र ही नहीं करते हैं। यह बताता है कि सावरकर का यह मुद्दा तीनों ही दलों के लिए सबसे सेंसेटिव है।
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बीजेपी विधानसभा चुनाव में उठा सकती है मुद्दा
महाराष्ट्र विधानसा चुनाव में बीजेपी खुलकर सावरकर का जिक्र कर सकती है। पिछले कुछ वर्षों की सियासत में दोनों ही गठबंधनों ने प्रतीक चिन्हों पर ज्यादा फोकस किया है। इसमें छत्रपति शिवाजी महाराज से लेकर मराठा साम्राज्य के तमाम लड़ाकों की मूर्तियों की स्थापना से लेकर उनके लिए म्यूजियम बनाना शामिल रहा है।
सावरकर को संभावना है कि इस बार बीजेपी खुलकर उद्धव ठाकरे को घेर सकती है। यह ऐसा मुद्दा है जिसके चलते एनसीपी-कांग्रेस के साथ उद्धव गुट की शिवसेना का गठबंधन काफी तनावपूर्ण भी हो सकता है, जिसके चलते महाराष्ट्र का यह विधानसभा चुनाव काफी दिलचस्प हो सकता है।
