Tamil Nadu Assembly Polls: तमिल फिल्म सुपरस्टार थलापति विजय राजनीति में कदम रखने के लिए तैयार हैं। इसके लिए उन्होंने अपनी राजनीतिक पार्टी लॉन्च करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। अभिनेता ने फरवरी के पहले सप्ताह में नई दिल्ली में अपनी राजनीतिक पार्टी को पंजीकृत करने की योजना बनाई है। हालांकि, अभी पार्टी को कोई नाम नहीं दिया गया है। सूत्रों ने मंगलवार को इस बात के संकेत दिए।

अभिनेता के करीबी सूत्रों ने कहा कि हम चुनाव आयोग के साथ पार्टी को पंजीकृत करने की प्रक्रिया में हैं। जो आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने के बजाय 2026 के विधानसभा चुनावों में विजय की संभावित शुरुआत के लिए मंच तैयार कर रहा है।

सूत्रों ने कहा कि अभिनेता का पंजीकृत फैन क्लब विजय मक्कल इयक्कम, जो कई सामाजिक कल्याण गतिविधियों में संलग्न है। उसको एक पूर्ण राजनीतिक दल में परिवर्तित किया जा रहा है। अभिनेता के करीबी लोगों के अनुसार, केरल और कर्नाटक में उनके मजबूत और संगठित प्रशंसक आधार को देखते हुए पार्टी की पहुंच तमिलनाडु से आगे बढ़ने की उम्मीद है।

अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि पार्टी का गठन इस समय सावधानीपूर्वक तैयारी के चरण में है। अभिनेता के एक सूत्र ने कहा, “अब और अधिक प्रशासनिक कार्य हो रहा है। 100 से अधिक लोगों से आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र और शपथ पत्र एकत्र किए जा रहे हैं, जिसमें घोषणा की गई है कि वे किसी अन्य राजनीतिक संगठन से जुड़े नहीं हैं, जिसे अगले सप्ताह के आसपास दिल्ली में चुनाव आयोग को सौंपा जाएगा।”

तमिल फिल्म इंडस्ट्री में विजय को उनके फैन थलापति के नाम से जानते हैं। उनको तमिल सिनेमा में अगले रजनीकांत के रूप में देखा जाता है। लंबे वक्त से उन्हें एक शर्मीले व्यक्ति के रूप में माना जाता है, लेकिन उनकी छवि एकदम विपरीत है। जिसमे उनका ऑन एक्शन हीरो और व्यक्तित्व शामिल है। राजनीति में एंट्री उन्हें एक महत्वपूर्ण स्थान देगी। जो उनके करियर में एक नए अध्याय का संकेत है।

इसके साथ ही थलापति विजय तमिलनाडु में अभिनेता से नेता बने लोगों की एक लंबी सूची में शामिल हो जाएंगे। जिसमें एमजीआर के नाम से मशहूर एम जी रामचंद्रन, शिवाजी गणेशन, जयललिता, दिवंगत कैप्टन विजयकांत और कमल हासन शामिल हैं।

49 वर्षीय अभिनेता राज्य के औसत राजनेता से काफी कम उम्र के हैं। वह द्रमुक के उदयनिधि स्टालिन (46) और राज्य भाजपा अध्यक्ष के अन्नामलाई (38) जैसे युवा राजनेताओं के ग्रुप में शामिल होंगे। इस ग्रुप में फिल्म निर्देशक से आक्रामक तमिल राष्ट्रवादी बने नाम तमिलर काची के 57 वर्षीय नेता सीमान सबसे बड़े हैं।

राजनीति में एंट्री करने के विजय के फैसले को हमेशा उनके महत्वाकांक्षी पिता और फिल्म निर्देशक एस ए चंद्रशेखर से जोड़ा जाता रहा है। उनकी योजनाओं का प्रत्यक्ष संकेत पहली बार पिछले जून में सामने आया था। जब कई महीनों बाद उन्होंने अपने पिता से दूरी बना ली थी और चेन्नई में एक छात्र रैली में भाग लिया था। वहां थलपति विजय ने स्कूली छात्रों को संबोधित करते हुए कहा था कि वे अपने माता-पिता से कहें कि वे राजनेताओं से वोट के बदले नकदी न लें। साथ ही कहा कि वो खुद को बी आर अंबेडकर, पेरियार ई वी रामासामी और के कामराज जैसे नेताओं के बारे पढ़ें और उस पर व्यापक चर्चा करें।

यह देखते हुए कि वह युवा हैं और एमजीआर या रजनीकांत जैसे फिल्मी सितारों के समान लोकप्रिय हैं, और उनके प्रशंसकों की संख्या कमल हसन या यहां तक कि दिवंगत कैप्टन विजयकांत से कहीं ऊपर है। हालांकि, रिपोर्ट आने पर शीर्ष राजनेता उनके राजनीतिक प्रवेश के बारे में अफवाहों पर प्रतिक्रिया देने में सतर्क रहे हैं।

एआईएडीएमके नेता एडप्पादी पलानीस्वामी से लेकर उदयनिधि और अन्नामलाई तक की हस्तियों ने उनके इस कदम का स्वागत किया है। सीमन ने राज्य की राजनीति में वैकल्पिक आवाज़ों को बढ़ावा देने के लिए विजय के प्रवेश की भी आशंका जताई।

रजनीकांत की बहुचर्चित राजनीतिक एंट्री को तीन साल पहले खुद स्टार ने रद्द कर दिया था। इसकी तुलना में रजनीकांत के प्रशंसक आधार के पुराने जनसांख्यिकीय के विपरीत, विजय तुलनात्मक रूप से सुरक्षित स्थिति में है, जो विभिन्न आयु ग्रुपों के प्रशंसकों से उत्साहित है। रजनीकांत के विपरीत, विजय की मजबूत तमिल पहचान भी उन्हें अलग करती है, क्योंकि रजनीकांत की मराठी जड़ें और भाजपा और आरएसएस के साथ संबंध उस राज्य में विवाद का मुद्दा रहे हैं जहां द्रविड़ राजनीति प्रमुख है।

कई सालों से रजनीकांत के फॉलोअर्स की तरह विजय के प्रशंसकों पर भी बड़े बजट की फिल्म रिलीज के दौरान अभिनेता की मार्केट वैल्यू को बढ़ाने और प्रचार करने के लिए उनके राजनीतिक प्रवेश के बारे में अफवाहें फैलाने का आरोप लगाया गया है।

विजय की आखिरी फिल्म लियो थी और वेंकट प्रभु द्वारा निर्देशित ग्रेटेस्ट ऑफ ऑल टाइम उनकी अगली रिलीज होने वाली है। 2017 में विजय ने अपनी फिल्म मर्सल में जीएसटी के बारे में डॉयलाग के साथ भाजपा को परेशान कर दिया था। इससे एक राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया था। जिसमें राहुल गांधी और पी. चिदंबरम जैसे कांग्रेस नेताओं ने भाजपा की आलोचना की थी।