अर्णब गोस्वामी के टीवी शो में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर दर्ज एफआईआर को निरस्त करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इस मामले की सुनवाई के दौरान कांग्रेस शासित तीन राज्यों के वकील ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई कि ऐसे लोगों को सुरक्षा ना दी जाए। वकीलों का कहना था कि ऐसे लोग देश को बांटना चाहते हैं। अगर कोर्ट से ऐसे लोगों को सुरक्षा मिलेगी तो गलत संदेश जाएगा। और ऐसे लोग देश को बांटने का काम करते रहेंगे। महाराष्ट्र , छत्तीसगढ़ और राजस्थान के वकील ने कोर्ट से यह गुहार लगाई।

बता दें कि कोर्ट ने अर्णब को अग्रिम जमानत अर्जी दाखिल करने के लिए 3 हफ्ते का समय दिया है। ऐसे में अर्णब गोस्मवामी पर और साथ ही मुंबई पुलिस कमिश्नर को अर्णब गोस्वामी के दफ्तर को सुरक्षा देने की भी बात कही है। अर्णब की तरफ से कोर्ट में वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी और सिद्धार्थ भटनागर ने दलील दी।

अर्णब के वकीलों का कहना था कि उनपर एफआईआर प्रेस की स्वतंत्रता को दबाने के लिए की गई है। टीवी पर बहस होगी तो सवाल तो पूछे ही जाएंगे। रोहतगी ने अपनी दलील इस बात से शुरू की कि उनके  क्लाइंट राजनीतिक हस्ती नहीं है और राहुल गांधी से उनकी तुलना नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि अर्णब ने कोई धर्म को लेकर टिप्पणी नहीं की वह बस पालघर लिंचिंग पर पुलिस और कांग्रेस की चुप्पी पर सवाल उठा रहे थे।

कांग्रेस के तरफ से कपिल सिब्बल ने कहा कि अगर कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने एफआईआर दर्ज कराई है तो इसमें क्या समस्या है। अर्णब कोई विशेष हस्ती  तो नहीं हैं कि उनसे सवाल नहीं किया जाएगा। क्या उनके खिलाफ एफआईआर नहीं होनी चाहिए? कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी मानहानी के मुकदमें में कोर्ट में पेश हो चुके हैं। यहां किसी को बचाने का क्या मतलब है?

पालघर में दो साधुओं और एक ड्राइवर की हुई लिंचिंग मामले पर अर्णब के टीवी शो में कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा को लेकर कई राज्यों में एफआईआर दर्ज की गई थी।अर्णब ने कोर्ट से इन एफआईआर को निरस्त करने की मांग की थी।

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