नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार का सफल चुनावी अभियान चला कर चर्चा में आए प्रशांत किशोर को लेकर नई चर्चा चल रही है। बताया जा रहा है कि राहुल गांधी ने एक बार फिर उन्‍हें अपनी कोर टीम में ले लिया है। इस बार वह उनकी मदद से यूपी में सत्‍ता पाना चाहते हैं। यूपी में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। इसके लिए राहुल गांधी और प्रशांत किशोर में कई मुलाकातें हो चुकी हैं। इन मुलाकातों में हुई बातचीत के आधार पर कांग्रेस जल्‍द ही सौ उम्‍मीदवारों के नाम घोषित कर सकती है। अभी बड़ा सवाल यह है कि राज्‍य में कांग्रेस का चेहरा किसे घोषित किया जाए? स्‍थानीय स्‍तर पर कांग्रेस को कोई नाम नजर नहीं आ रहा है। ऐसे में इस विकल्‍प पर भी विचार चल रहा है कि प्रियंका या राहुल में से किसी एक के नाम पर चुनाव लड़ा जाए। इस बारे में अंतिम फैसला होना बाकी है। फैसला हो जाएगा तब प्रशांत किशोर का काम तेजी पकड़ेगा।

किशोर अमेठी में कांग्रेस उपाध्‍यक्ष की कोर टीम में हुआ करते थे। पर किन्‍हीं कारणों से उनसे अलग हो गए। इसके बाद वह 2014 में भाजपा (नरेंद्र मोदी) का लोकसभा चुनाव कैंपेन संभालने के लिए चले गए।  फिर पिछले साल बिहार में नीतीश कुमार के साथ हो लिए। बताया जाता है कि उनका सक्‍सेस रेट और यूपी में कांग्रेस की खस्‍ता हालत देख कर राहुल गांधी ने उनकी सेवाएं लेने का फैसला किया है। वैसे राहुल और प्रशांत नवंबर में भी मिले थे। लेकिन तब कांग्रेस के लोगों ने इसे बिहार चुनाव में जीत के बाद की औपचारिक मुलाकात बताया था। बिहार में कांग्रेस ने जेडीयू और राजद के साथ मिल कर चुनाव लड़ा था।

प्रशांत किशोर आजकल बिहार के सीएम नीतीश कुमार के एडवाइजर हैं। उन्‍हें जनवरी में यह पद दिया गया है। किशोर को मंत्री का दर्जा मिला हुआ है। वे सरकारी कार्यक्रमों व नीतियों के लागू करने की दिशा में सीएम के सलाहकार के तौर पर काम कर रहे हैं। विधानसभा चुनाव के दौरान किशोर नीतीश कुमार के पब्‍ल‍िसिटी मैनेजर की भूमिका में थे।

बिहार में राजद-जेडीयू-कांग्रेस गठबंधन की जीत के बाद प्रशांत किशोर ने कहा भी था कि कांग्रेस के पास आज भी देश का 20 फीसदी वोट शेयर है। इसलिए कांग्रेस को अगले कदम पर काम करने की जरूरत है।

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