Citizenship Amendment Act: जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने राहुल गांधी को थैंक्स कहा है। दरअसल सोनिया गांधी, मनमोहन सिंह और कांग्रेस के कई शीर्ष नेताओं ने हाल ही में नागरकिता संशोधन कानून के खिलाफ हल्ला बोला है। कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने कुछ दिनों पहले दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजित रैली में एनआरसी और सीएए को लेकर केंद्र सरकार पर जबरदस्त हमला बोला था। इसके बाद अब प्रशांत किशोर ने राहुल गांधी को ट्वीट किया और नेशनल रजिस्ट ऑफ सिटिजन्स पर कड़ा स्टैंड लेने के लिए शुक्रिया कहा।
उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि ‘#CAA_NRC के खिलाफ मूवमेंट में हिस्सा लेने के लिए धन्यवाद..लेकिन जैसा की आपको बता है कि लोगों के प्रदर्शन के बाद अब राज्यों को भी एनआरसी को ना बोलने की जरुरत है। हमे आशा है कि आप कांग्रेस अध्यक्ष को इस बात के लिए राजी कर पाएंगे कि वो आधिकारिक तौर पर कांग्रेस शासित राज्यों को एनआरसी ना अपनाने के संबंध में ऐलान करें।’
प्रशांत किशोर एनआरसी और नागरिकता संशोधन कानून को लेकर पहले ही अपना विरोध जता चुके हैं। हालांकि नागरिकता संशोधन कानून को लेकर उनकी पार्टी जेडीयू ने केंद्र सरकार का समर्थन किया था। एनआरसी के मुद्दे पर जेडीयू के अध्यक्ष नीतीश कुमार ने भी कहा है कि वो इसे बिहार में लागू नहीं करेंगे।
नीतीश कुमार के अलावा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक, पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह, मध्य प्रदेश के सीएम कमलनाथ, राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत और केरल के सीएम पिनाराई विजयन ने भी एनआरसी को अपने राज्य में नहीं लागू होने देने की बात कही है।
Thanks @rahulgandhi for joining citizens’ movement against #CAA_NRC. But as you know beyond public protests we also need states to say NO to #NRC to stop it.
We hope you will impress upon the CP to OFFICIALLY announce that there will be #No_NRC in the #Congress ruled states.
— Prashant Kishor (@PrashantKishor) December 24, 2019
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर असम में एनआरसी किया गया था लेकिन इसके बाद इसपर उस वक्त विवाद हो गया जब भाजपा के कुछ नेताओं ने इसे नागरिकता कानून से जोड़ा था। केंद्र सरकार ने हाल ही में नागरिकता संशोधन कानून को अस्तित्व में लाया है।
इस कानून के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना का शिकार होकर भारत आने वाले हिंदू, सिख, क्रिश्चन, बौद्ध, पारसी और जैन समुदाय के लोगों को भारत की नागरिकता देने की बात कही गई है। हालांकि इस कानून में मुसलमानों को शामिल नहीं किया गया है।