उन्नाव जिले में गंगा में बहती मिली लाशों को लेकर रिटायर्ड आईएएस सूर्य प्रताप सिंह ने बीते दिनों एक ट्वीट किया था। जिसमें उन्नाव की गंगा नदी में बहती लाशों का जिक्र था। जिसके बाद प्रशासन ने सूर्य प्रताप सिंह पर आईटी एक्ट सहित विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था। इस मामले में मंगलवार को सूर्य प्रताप सिंह उन्नाव जिले के सोहरामऊ थाने अपना बयान देने पहुंचे जहां उन्होंने अधिकारियों द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब दिया और कहा कि उनका मकसद किसी को भड़काना नहीं था बल्कि सरकार को आइना दिखाना था।

ये था मामला- रिटायर्ड आईआएस सूर्य प्रताप सिंह ने अपने ट्वीटर एकाउंट पर लिखा था कि 67 शवों को योगी सरकार ने गंगा के तट पर जेसीबी से गड्ढा खोदकर दफना दिया। शवों का अंतिम संस्कार हिन्दू रीति रिवाज से न करना हिंदुओ के लिए कलंक जैसा है। यह ट्वीट सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ था। इसके बाद उनके खिलाफ 15 मई को मुकदमा आईटी एक्ट के तहत सदर कोतवाली मे मुकदमा दर्ज किया गया था। मामले की विवेचना की जा रही है।

जानकारी अनुसार मंगलवार को सोहरामऊ थाने पहुंचे रिटायर्ड आईएएस सूर्य प्रताप सिंह ने जांच अधिकारी के सवालों के जवाब के दौरान बताया की ट्विटर पर उनके अकाउंट से और उनके द्वारा ही वायरल पोस्ट किया गया था। जिसे बाद में सरकार के विरोध पर ट्वीट को डिलीट कर दिया गया था।

 

इस दौरान सूर्य प्रताप सिंह से पूछा कि उनके द्वारा फोटो पोस्ट करने का मतलब क्या था जिसके जवाब में उन्होंने बताया की वायरल फोटो 2014 के बलिया जिले का था जिसे टि्वटर पर पोस्ट करते समय  प्रतीकात्मक लिखा गया था। वही इस बीच कई बड़े समाचार पत्रों एवं न्यूज़ चैनलों में गंगा में उतराती लाशों का जिक्र किया गया था। इसी के चलते 2014 में बलिया जिले में नदी में तैरती लाशों का एक फोटो वायरल किया गया जिस पर प्रतीकात्मक शब्द लिखा गया था।

 

उनका मकसद किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं था फिर भी सरकार को ऐसा लगा तो वायरल पोस्ट को डिलीट कर दिया गया था लेकिन उनका मकसद सिर्फ सरकार को आइना दिखाना था उन्होंने यह भी कहा कि हिंदू रीति रिवाज के अनुसार शवों का अंतिम संस्कार नहीं किया जा रहा था। यह बात भी उन्हें अखर रही थी। ताकि लोग मरने वालों का सही तरीके से धर्मानुसार अन्तिम संस्कार करें इसलिए भी यह पोस्ट किया गया था।