पश्चिम बंगाल के चुनाव में ऐतिहासिक जीत दर्ज करने के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली TMC चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर से आगे भी नारा बरकरार रख सकती है। पार्टी ने किशोर के इंडियन पॉलिटिकल ऐक्शन कमेटी (I-PAC) को 2026 में होने वाले अगले विधानसभा चुनाव तक के लिए बोर्ड में शामिल कर लिया है।

सूत्रों के हवाले से अंग्रेजी वेबसाइट News 18 ने बताया, “किशोर का संगठन पहले की तरह उसी सेट अप पर काम करता रहेगा, जिस पर वह दफ्तर और फील्ड से काम कर रहा था।” हालांकि, यह भी कहा जा रहा है कि इस बार रोजमर्रा के ऑपरेशंस में I-PAC का नेतृत्व पीके की ओर से नहीं किया जाएगा। वैसे, यह घटनाक्रम तब सामने आया है, जब पीके ने बंगाल के चुनावी परिणाम आने के बाद दावा किया था कि वह अपना काम (इलेक्शन मैनेजर का) छोड़ रहे हैं।

ऐसे में यह देखना रोचक होगा कि आई-पैक और उसके नए नौ सदस्यों वाली नेतृत्व टीम क्या किशोर के बगैर पहले की तरह टीएमसी और बाकी क्लाइंट्स के लिए सुचारू ढंग से काम कर पाएगी या नहीं।

वैसे, बंगाल का हालिया चुनाव सियासी गलियारों में किशोर के लिए सबसे तगड़ी परीक्षा के तौर पर देखा जाता है, क्योंकि इस चुनाव में बीजेपी ने पूरा दम-खम झोंक दिया था, जबकि चुनाव से पहले ताश के पत्तों की तरह टीएमसी के कई नेता बिखरते हुए बागी हो बीजेपी में आ गए थे।

साल 2015 में पीके की रणनीति की वजह से बिहार में बीजेपी विरोधी सफल महागठबंधन उभरकर सामने आया था। बाद में उन्होंने आंध्र प्रदेश में जगन मोहन रेड्डी, तमिलनाडु में एमके स्टालिन और दिल्ली में अरविंद केजरीवाल को सत्ता में लाने के लिए अहम भूमिका निभाई थी।

किशोर की कुछ हफ्तों पहले मुंबई में एनसीपी चीफ शरद पवार से भी मुलाकात हुई थी, जिसके बाद राजनीतिक गलियारों में अटकलों और कयासों का बाजार गर्म हो गया था। हालांकि, एनसीपी नेताओं और किशोर ने इसे “निजी मुलाकात” बताया था।