पेगासस जासूसी कांड में ब्रिटिश न्यूज मीडिया वेबसाइट द गार्डियन (The Guardian) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इजरायल दौरे का जिक्र किया है।
माइकल सैफी की लिखी “की मोदी राइवल राहुल गांधी अमंग पोटेंशियल इंडियन टारगेट्स ऑफ एनएसओ क्लाइंट” शीर्षक वाली रिपोर्ट में बताया गया है कि भारतीय नंबरों का चयन मोटे तौर पर मोदी की साल 2017 की इजराइल यात्रा के समय शुरू हुआ था। यह किसी भारतीय पीएम द्वारा इजरायल का पहला दौरा था, जो कि दोनों देशों के बीच तेजी से बढ़े रिश्ते को दर्शाने वाला था। इसमें दिल्ली और इजरायल के बीच अरबों डॉलर के सौदे शामिल हैं।
खबर के मुताबिक, मोदी और तत्कालीन इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू का जब नंगे पैर समुद्र तट के किनारे वॉक वाला फोटो आया था, उसके थोड़े दिन पहले ही भारतीय निशाने पर आने लगे थे।
उधर, सोमवार (19 जुलाई, 2021) को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जासूसी के आरोपों को लेकर कांग्रेस और वैश्विक संगठनों पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “विघटनकारी और अवरोधक शक्तियां अपने षड्यंत्रों से भारत की विकास यात्रा को नहीं रोक पायेंगी। मानसून सत्र देश में विकास के नये मापदंड स्थापित करेगा।”
क्या है इजरायली स्पाइवेयर Pegasus, जो WhatsApp के जरिए लोगों पर रखता है निगरानी?
गृह मंत्री के मुताबिक, “संसद का मानसून सत्र शुरू हुआ औरआज के घटनाक्रम को पूरे देश ने देखा। देश के लोकतंत्र को बदनाम करने के लिए मानसून सत्र से ठीक पहले कल देर शाम एक रिपोर्ट आती है, जिसे कुछ वर्गों द्वारा केवल एक ही उद्देश्य के साथ फैलाया जाता है कि कैसे भारत की विकास यात्रा को पटरी से उतारा जाए और अपने पुराने नैरेटिव के तहत अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत को अपमानित करने के लिए जो कुछ भी करना पड़े किया जाए।”
संसद के मॉनसून सत्र की शुरुआत में इस मसले पर हुए हो-हल्ले को लेकर वह बोले, “जब प्रधानमंत्री लोकसभा और राज्यसभा में अपने नए मंत्रिपरिषद का परिचय कराने के लिए उठे, जो संसद की एक पुरानी व समृद्ध परंपरा है, तो कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष के नेताओं ने दोनों सदनों के वेल में आकर सदन की कार्यवाही की बाधित की। क्या वे हमारे लोकतंत्र के मंदिर और उसकी गरिमा का ऐसे ही सामान करते हैं? यही व्यवहार उन्होंने तब भी जारी रखा जब सूचना और प्रसारण मंत्री इस मुद्दे पर बोलने के लिए आए।”
शाह के अनुसार, “इस वाक्य को अक्सर लोग हल्के-फुल्के अंदाज में मेरे साथ जोड़ते रहे हैं, लेकिन आज मैं गंभीरता से कहना चाहता हूं कि इस तथाकथित रिपोर्ट के लीक होने का समय और फिर संसद में ये व्यवधान…आप क्रोनोलोजी समझिए! यह भारत के विकास में विघ्न डालने वालो की भारत के विकास के अवरोधकों के लिए एक रिपोर्ट है। कुछ विघटनकारी वैश्विक संगठन हैं, जो भारत की प्रगति को पसंद नहीं करते हैं। ये अवरोधक भारत के वो राजनीतिक षड्यंत्रकारी हैं जो नहीं चाहते कि भारत प्रगति कर आत्मनिर्भर बने। भारत की जनता इस क्रोनोलोजी और रिश्ते को बहुत अच्छे से समझती है।”
बकौल शाह, “मैं देश की जनता को आश्वस्त करना चाहता हूं कि मोदी सरकार की प्राथमिकता स्पष्ट है – ‘राष्ट्रीय कल्याण’ और हम इसकी सिद्धि के लिए निरंतर कार्य करते रहेंगे चाहे कितनी भी बाधाएं आएं।” दरअसल, विपक्षी दलों ने इजराइली पेगासस स्पाइवेयर के जरिए कुछ नामी शख्सियतों के कथित फोन टैपिंग के लिए सरकार की आलोचना की और एक स्वतंत्र न्यायिक या संसदीय समिति से जांच कराने की मांग की है।
बता दें कि एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया संगठन ने खुलासा किया है कि केवल सरकारी एजेंसियों को ही बेचे जाने वाले इजराइल के खुफिया जासूसी साफ्टवेयर पेगासस के जरिए भारत के दो केंद्रीय मंत्रियों, 40 से अधिक पत्रकारों, विपक्ष के तीन नेताओं और एक मौजूदा न्यायाधीश सहित बड़ी संख्या में कारोबारियों और अधिकार कार्यकर्ताओं के 300 से अधिक मोबाइल नंबर हो सकता है कि हैक किए गए हों। यह रिपोर्ट रविवार को सामने आई थी।
संघ ने सोमवार को बताया कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, भारतीय जनता पाार्टी (भाजपा) के मंत्रियों अश्विनी वैष्णव और प्रह्लाद सिंह पटेल, पूर्व निर्वाचन आयुक्त अशोक लवासा और चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर उन लोगों में शामिल हैं, जिनके फोन नंबरों को इजराइली स्पाइवेयर के जरिए हैकिंग के लिए सूचीबद्ध किए गए थे। ‘द वायर’ न्यूज पोर्टल ने पेगासस प्रोजेक्ट नामक अंतरराष्ट्रीय संयुक्त पड़ताल के खुलासे के दूसरे भाग में बताया कि बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे और टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी और भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई पर अप्रैल 2019 में यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली उच्चतम न्यायालय की कर्मचारी और उसके रिश्तेदारों से जुड़े 11 फोन नंबर हैकरों के निशाने पर थे।
हालांकि, सरकार ने किसी भी व्यक्ति की निगरानी करने के आरोपों को खारिज कर दिया है। लोकसभा में स्वत: संज्ञान के आधार पर दिए गए अपने बयान में सूचना प्रौद्योगिकी और संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि जब देश में नियंत्रण एवं निगरानी की व्यवस्था पहले से है तब अनधिकृत व्यक्ति द्वारा अवैध तरीके से निगरानी संभव नहीं है।