पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने कोरोना वायरस रोधी टीकों पर कर न घटाने के जीएसटी परिषद (GST Council) के फैसले को ‘‘जन विरोधी’’ करार दिया है। उन्होंने इसके साथ शनिवार को आरोप लगाया कि जब उन्होंने आपत्ति दर्ज कराने की कोशिश की तो उनकी आवाज दबा दी गई।
मित्रा ने बैठक के बाद केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखा, ‘‘जीएसटी परिषद द्वारा हमारी आवाज को दबाने का यह बिल्कुल जनविरोधी फैसला है। जन प्रतिनिधि होने के नाते इस कठोर फैसले को उचित ठहराने का हमारे पास कोई रास्ता नहीं है।’’ इन फैसलों के खिलाफ अपनी ‘‘असहमति’’ दर्ज कराते हुए मित्रा ने कहा कि उन्होंने अपनी आपत्ति दर्ज कराने की पूरी कोशिश की, पर मीटिंग खत्म होने लगी और डिजिटल बैठक के लिए लिंक भी टूट गया। मित्रा का यह भी आरोप है कि कोविड-19 से लड़ने के लिए जरूरी सामग्री पर जीएसटी के संबंध में दो रचनात्मक विकल्पों के उनके सुझावों पर भी ध्यान नहीं दिया गया।
अंग्रेजी अखबार ‘दि टेलीग्राफ’ को मित्रा ने बताया, “”मैंने बताया कि अधिकांश मौतें 16 जनवरी के बाद हुईं। उनमें से कम से कम 40% टाली जा सकती थीं, अगर हमारे पास एक प्रभावी टीका नीति होती और हमें नदी में तैरती लाशें न देखने पड़तीं।” यह टिप्पणी यूपी के लिए “आईना दिखाने” जैसी साबित हुई, जो गंगा के तट पर शवों को दफनाने और नदी में तैरती हुई लाशों के बाद काफी आलोचना का सामना कर चुका है। यूपी के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना इसके बचाव में बोल पड़े और उन्होंने मांग उठाई कि मित्रा की टिप्पणी को खारिज कर दिया जाए। सीतारमण ने इस पर हां में हां मिलाई और जल्दबाजी में मीटिंग खत्म कर दी।
बकौल बंगाल के वित्त मंत्री, “मुझे जवाब देने की अनुमति दी जानी चाहिए थी, क्योंकि यूपी के मंत्री ने मेरी टिप्पणियों का जिक्र किया था। लेकिन उन्होंने (सीतारामण) ऐसा नहीं किया और बैठक बंद कर दी गई। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ…यह सहकारी संघवाद के सिद्धांत पर आघात है।”
मित्रा के आरोपों पर केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा, बंगाल के वित्त मंत्री के वीडियो की कनेक्टिविटी खराब थी। उन्होंने इस मसले पर कुछ सिलसिलेवार ट्वीट्स करते हुए सफाई जारी कीः
The Finance Minister has never stifled dissent in the GST Council.
It is unbecoming of a senior member of the Council to suggest tht this has happened.
The GST Council embodies the collective spirit of all states towards debate in a healthy manner; it has been & shall continue.
— Anurag Thakur (@ianuragthakur) June 12, 2021
बता दें कि जीएसटी परिषद ने कोविड-19 की दूसरी लहर के बीच इस महामारी के इलाज में काम आने वाली कुछ दवाओं और उपकरणों पर कर की दर में कटौती का फैसला किया है। हालांकि, कोविड के टीके पर पांच प्रतिशत की कर की दर ही बनी रहेगी।
सीतारमण की अध्यक्षता में शनिवार को हुई जीएसटी परिषद की 44वीं बैठक में कोविड-19 के इलाज में काम आने वाली दवाओं रेमडेसिविर और टोसिलिजुमैब तथा ऑक्सीजन कन्सनट्रेटर और अन्य उपकरणों पर कर की दर को घटाया गया है। लेकिन टीकों पर कर घटाने की मांग को नजरअंदाज कर दिया गया। (पीटीआई-भाषा इनपुट्स के साथ)