मोदी सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) की अधिसूचना जारी कर दी है। वहीं अब इसके खिलाफ इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है। सुप्रीम कोर्ट में सीएए कानून के खिलाफ मुस्लिम लीग ने याचिका दायर की है और इस पर रोक लगाने की मांग की है। याचिका में कहा गया कि कुछ धर्म के लोगों को ही नागरिकता देना संविधान के खिलाफ है।
बता दें कि इससे पहले भी मुस्लिम लीग ने CAA को चुनौती देते हुए रिट पिटीशन दायर की थी। अपनी याचिका में मुस्लिम लीग ने CAA के खिलाफ अंतरिम आवेदन दिया है। मुस्लिम लीग का तर्क है कि किसी कानून की संवैधानिकता तब तक लागू नहीं होगी, जब तक कानून स्पष्ट तौर पर मनमाना न हो।
गृह मंत्रालय ने शुरू की वेबसाइट
गृह मंत्रालय (MHA) ने वेब पोर्टल (https:// Indiancitizenshiponline.nic.in) शुरू किया है। इस पर धार्मिक आधार पर अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से प्रताड़ित लोग भारतीय नागरिकता प्राप्त करने के लिए आवेदन कर सकते हैं। छह अल्पसंख्यक समुदायों (हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई) के लोग आवेदन कर सकते हैं।
CAA पर बीजेपी सांसद रविशंकर प्रसाद ने कहा, ”सीएए के नियम बन गए हैं। इसके लिए हम अपनी भारत सरकार, प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को धन्यवाद देते हैं। मैं बहुत विनम्रता से कहना चाहूंगा कि सीएए देश के अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं है। इसका एकमात्र उद्देश्य पड़ोसी देशों में पीड़ित हिंदू, पारसी, सिख, बौद्ध और जैन लोगों की मदद करना है कि वे भारत आएं और उन्हें सुविधाएं दी जाएं।”
शशि थरूर ने पूछे सवाल
सीएए लागू होने पर कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा, “सीएए के तहत उन लोगों के लिए फास्ट-ट्रैक नागरिकता होगी जो पड़ोसी देशों से शरण मांग रहे हैं। यह एक बहुत अच्छा सिद्धांत है। जो लोग पड़ोसी देशों से भाग रहे हैं जो लोग वहां किसी भी आधार पर उत्पीड़न से डरते हैं, उन्हें हमारे देश में शरण दी जानी चाहिए। मैं इस कानून का स्वागत करता हूं। लेकिन जब आप कहते हैं कि एक धर्म के लोगों को बाहर रखा गया है, तो इसका क्या मतलब है? उन लोगों के बारे में क्या जो पाकिस्तान में पैदा तो मुसलमान हुए होंगे, लेकिन वह देश उन्हें पसंद न हो और जो उस देश में प्रताड़ित हुए हैं?”