पिछले तीन महीने से अधिक समय देशभर से आए किसान दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं। किसान केंद्र सरकार द्वारा पारित किए गए तीनों कृषि कानून को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। इसी बीच मेघालय के राज्यपाल और भाजपा नेता सत्यपाल मलिक ने कहा है कि मैं थोड़े दिनों पहले एक वरिष्ठ पत्रकार से मिला जो PM नरेंद्र मोदी का करीबी दोस्त हैं. मैंने उनसे कहा कि मैं तो कोशिश कर चुका हूं लेकिन अब तुम प्रधानमंत्री मोदी को समझाओ कि किसानों का अपमान ना करें। साथ ही उन्होंने कहा कि अब किसान दिल्ली से वापस नहीं जाएंगे और इसको 300 साल तक नहीं भूलेंगे।
एक कार्यक्रम में मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा कि कल मैं एक वरिष्ठ पत्रकार से मिलकर आया हूं जो प्रधानमंत्री के बहुत अच्छे दोस्त हैं। मैंने उनसे कहा कि मैं तो कोशिश कर चुका हूं लेकिन अब तुम उन्हें समझाओ कि ये गलत रास्ता है। किसानों को दबाकर और अपमानित करके दिल्ली से भेजना गलत कदम है। आगे उन्होंने कहा कि पहले तो किसान दिल्ली से जाएंगे नहीं, क्योंकि ये जाने के लिए नहीं आए हैं। अगर ये चले गए तो 300 वर्ष तक नहीं भूलेंगे। अगर सरकार एमएसपी को क़ानूनी मान्यता दे देती है तो मैं अपनी जिम्मेवारी लेकर सारे मामले को निपटा दूंगा।
मैं अभी एक वरिष्ठ पत्रकार से मिला जो PM नरेंद्र मोदी का करीबी दोस्त है, मैंने उनसे कहा कि मैं तो कोशिश कर चुका हूं, अब तुम उन्हें समझाओ कि किसानों का अपमान करना और उन पर दबाव डालना गलत कदम है: सत्यपाल मलिक, राज्यपाल #PMModi #FarmersProtest pic.twitter.com/CuOKPqFAzx
— News24 (@news24tvchannel) March 14, 2021
आगे सत्यपाल मलिक ने कहा कि अगर ये आंदोलन ज्यादा चलता रहा तो नुकसान बहुत होगा। साथ ही उन्होंने कहा कि मैं सिखों को जानता हूं। जब इंदिरा गांधी ने ऑपरेशन ब्लू स्टार किया था तो एक महीने तक उन्होंने अपने फार्म हाउस पर महामृत्युंजय जाप करवाया था। ये जानकारी मुझे अरुण नेहरू ने दी थी. जब अरुण नेहरू ने उनसे जाप करवाने का कारण पूछा तो इंदिरा गांधी ने कहा कि मैंने सिखों का अकाल तख़्त तोड़ा है ये मुझे छोड़ेंगे नहीं। इंदिरा गांधी को इस बात का इल्म पहले ही था। इन लोगों ने तो जनरल वैद्य को पूना में जाकर मारा था।
इसके अलावा सत्यपाल मलिक ने कहा आमतौर पर गवर्नर चुप रहते हैं लेकिन मुझे किसी भी मुद्दे पर बोलने की आदत है। अभी किसानों को लेकर जो हो रहा है उसपर मैंने प्रधानमंत्री और गृहमंत्री से भी बात की। मैंने दोनों लोगों से दो आग्रह किया। पहला ये कि किसानों को दिल्ली से खाली मत भेजना क्योंकि सिख लोग 300 सालों तक किसी चीज को नहीं भूलते हैं। दूसरा इन लोगों पर कभी बल प्रयोग मत करना। इसलिए जिस दिन टिकैत पर गिरफ़्तारी की तलवार लटक रही थी तो मैंने 11 बजे रात को फ़ोन करके उनकी गिरफ़्तारी रूकवाई।
पिछले 108 दिन से आंदोलनकारी किसान दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं। फिलहाल किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच बातचीत का दौर भी थम चुका है। वर्तमान में अधिकांश किसान नेता बंगाल के दौरे पर हैं। किसान नेता बंगाल के लोगों से भाजपा को वोट ना देने की अपील कर रहे हैं।