मथुरा संघर्ष की घटना पर बसपा और कांग्रेस की चुप्पी पर तीखा प्रहार करते हुए भाजपा ने शुक्रवार (10 जून) को आरोप लगाया कि राज्यसभा चुनाव में दोनों क्षेत्रीय दलों का कांग्रेस को समर्थन देने की आपसी सहमति के कारण ये दल उत्तरप्रदेश की समाजवादी पार्टी सरकार को बचाने का प्रयास कर रहे हैं। भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने बसपा, कांग्रेस और अजीत सिंह नीत रालोद का जिक्र करते हुए कहा, ‘ऐसा लगता है कि ये सभी दल समाजवादी पार्टी सरकार को बचाने का प्रयास कर रहे हैं… संभवत: इसका कारण यह है कि राज्यसभा चुनाव में सपा कांग्रेस का समर्थन कर रही है और कुछ राज्यों में बसपा भी उसका समर्थन कर रही है।’

उन्होंने सवाल किया कि आप क्यों चुप हैं? सिर्फ मृतक के धर्म और जाति के आधार पर आपको अपनी राजनीतिक आकांक्षा पूरा करने में मदद नहीं मिलेगी। त्रिवेदी ने संवाददाताओं से कहा कि इस घटना पर इन दलों की चुप्पी उतनी ही दोषी है जितनी कि वहां की सरकार। भाजपा प्रवक्ता ने इस मुद्दे पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधते हुए कहा कि वह सामान्य तौर पर सभी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दे पर बोलते हैं लेकिन वे इस मुद्दे पर आश्वचर्यजनक चुप्पी साधे हुए हैं।

एक निजी चैनल पर प्रसारित एक स्टिंग ऑपरेशन को लेकर अखिलेश यादव सरकार पर निशाना साधते हुए त्रिवेदी ने कहा कि उसके पास अब कहने को कुछ नहीं रह गया है। उन्होंने कहा, ‘यह अब स्पष्ट है कि मथुरा में जो कुछ हुआ वह लापरवाही के कारण नहीं बल्कि यह एक साजिश का हिस्सा था।’ भाजपा ने आरोप लगाया कि स्टिंग ऑपरेशन ने मथुरा के जवाहर बाग अतिक्रमणकारियों के साथ सत्तारूढ पार्टी की सांठगांठ को उजागर किया है।

भाजपा ने राज्य सरकार से इस मामले की तत्काल सीबीआई से जांच कराने की सिफारिश करने की मांग की ताकि सचाई सामने आ सके। भाजपा के राष्ट्रीय सचिव श्रीकांत शर्मा ने दावा किया, ‘स्टिंग ऑपरेशन से मुख्यमंत्री और उनकी सरकार का फर्दाफाश हो गया है।’ उन्होंने हिंसा के लिए अधिकारियों को दोषी ठहराया।

शर्मा ने दावा किया कि अब यह बात उभर कर सामने आई है कि सरकार को 80 खुफिया सूचनाएं भेजी गई लेकिन कोई कदम नहीं उठाया गया क्योंकि उसका भू माफिया के साथ सांठगांठ था। स्टिंग ऑपरेशन में खुफिया अधिकारियों को यह कहते दिखाया गया है कि उन्होंने अतिक्रमणकारियों के हथियारबंद होने के कारण उत्पन्न खतरों से राज्य सरकार को आगाह किया था।

भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने एक सदस्यीय आयोग नियुक्त करने के राज्य सरकार के निर्णय को खारिज किया और इसे ‘लीपापोती’ करने का प्रयास बताया। उन्होंने कहा कि राज्य के एक वरिष्ठ मंत्री जो सत्तारूढ़ पार्टी के सदस्य भी है, वह संस्थागत जमीन कब्जा करने की साजिश का हिस्सा हैं।