पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गुरुवार को पत्र लिखकर आशंका जतायी कि अगर राज्य में टीकों की आपूर्ति नहीं बढ़ाई गई तो कोविड की स्थिति गंभीर रूप ले सकती है। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य का आबादी घनत्व बहुत अधिक होने के बावजूद उसे टीकों की “बहुत कम खुराकें” मिल रही हैं और प्रधानमंत्री से टीकों की आपूर्ति बढ़ाने की अपील की। वहीं राज्य सरकार को आड़े हाथ लेते हुए बीजेपी नेता सुवेंदु अधिकारी ने ममता बनर्जी सरकार की नीतियों को ‘पक्षपातपूर्ण ’ करार दिया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की नीतियों के चलते बंगाल की जनता कोविड-19 का टीका नहीं लगवा पा रही है और परेशान है। अधिकारी ने दावा किया कि केंद्र द्वारा भेजी गयी टीके की कम से कम नौ लाख शीशियां बर्बाद कर दी गयीं।
सुवेंदु अधिकारी ने एक बैठक में भाजपा के स्वास्थ्य स्वयंसेवकों से कहा, ‘‘ अपने पुराने दावों से पूरी तरह पलटी मारते हुए, सीएम ने अपना रुख बदल लिया और अब वह अपने राज्य में टीकाकरण की धीमी रफ्तार का ठीकरा केंद्र सरकार पर फोड़ रही हैं।’’ अधिकारी ने आरोप लगाया, ‘‘तृणमूल कांग्रेस सरकार ने (टीके) महज कुछ लाख शीशियां खरीदी हैं जबकि अन्य राज्यों ने इस मोर्चे पर अच्छा काम किया है। सत्तारूढ़ पार्टी मानव जीवन, पश्चिम बंगाल के 10 करोड़ लोगों के जीवन पर राजनीति करना चाहती है।’’
उन्होंने कहा कि राज्य में टीका संकट ‘तृणमूल कांग्रेस के करीबी’ लोगों को टोकन देने एवं लाइनों में खड़े लोगों को बाट जोहते छोड़ देने के चलते पैदा हुआ। उन्होंने कहा, ‘‘ लाखों भाजपा समर्थकों का क्या होगा? क्या उन्हें कोविड-19 से बचने का हक नहीं है? क्या उनके माता-पिता को स्वस्थ जीवन जीने का अधिकार नहीं है।’’
विधानसभा चुनाव से पहले तृणमूल छोड़कर भाजपा में आये अधिकारी ने पार्टी के स्वास्थ्यस्वयंसेवकों से केंद्र द्वारा संचालित टीकाकरण केंद्रों पर टीका लगवाने की सलाह दी। इससे पहले सीएम ममता ने कहा कि राज्य को सभी पात्र लोगों को टीका लगाने के लिए कोविड टीकों की करीब 14 करोड़ खुराकों की जरूरत है।
बनर्जी ने पीएम को पत्र में लिखा, “वर्तमान में, हम हर दिन चार लाख टीके दे रहे हैं और 11 लाख खुराकें हर दिन देने की क्षमता है। फिर भी, आबादी घनत्व अधिक होने और शहरीकरण की दर ज्यादा होने के बावजूद हमें बहुत कम खुराकें मिल रही हैं।”