Lucknow University: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के घंटाघर में नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन पिछले आठ दिनों से चल रहा है वहीं दूसरी तरफ लखनऊ विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान के पाठ्यक्रम में सीएए को शामिल करने तैयारी चल रही है। इसके संबंध में राजनीति विभाग द्वारा फरवरी के महिनें में डिबेट का आयोजन किया जाएगा।
छात्रों को समझाने का सबसे अच्छा तरीका: बता दें कि सीएए के मुद्दे पर लखनऊ विश्वविद्यालय में एक बहस आयोजित की जाएगी जिसके बाद पाठ्यक्रम में सीएए को शामिल करने के लिए एक प्रस्ताव भेजा जाएगा। लखनऊ विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान विभाग के प्रमुख शशि शुक्ला ने यह दावा किया है कि इस विषय को जल्द ही पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा क्योंकि लोगों को इसके बारे में जानकारी की काफी आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि इसके बारे में छात्रों को शिक्षित करने का यह सबसे अच्छा तरीका है।
सीएए को वार्षिक बहस में भी शामिल करे: दरअसल शुक्ला ने कहा कि भारतीय राजनीति विषय में ‘समकालीन मुद्दा’ के तहत एक पेपर के लिए प्रस्ताव रखा गया है। इस पेपर में CAA मुद्दे को भी शामिल करने पर विचार किया जा रहा है। हम इसे पाठ्यक्रम में शामिल करेंगे और एक प्रस्ताव के रूप में बोर्ड में रखेंगे। यदि प्रस्ताव परित हो जाता है तो इसे अकादमिक परिषद को भेजा जाएगा। वहां से पास होने के बाद इसकी पढ़ाई शुरू होगी। साथ ही छात्रों ने मांग की है कि सीएए को वार्षिक बहस प्रतियोगिता में भी शामिल किया जाए।
बसपा ने अनुचित बताया: गौरतलब है कि बसपा चीफ मायावती ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून पर बहस तो ठीक है लेकिन कोर्ट में इस पर सुनवाई जारी रहने के बावजूद लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा इस अतिविवादित व विभाजनकारी कानून को पाठ्यक्रम में शामिल करना पूरी तरह गलत और अनुचित है। बसपा इसका सख्त विरोध करती है और यूपी की सत्ता में आने पर इस पर रोक लगाएगी।
राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय ने सीएए का पाठ्यक्रम शुरू: बता दें कि इससे पहले यूपी के प्रयागराज में राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय ने सीएए और अनुच्छेद 370 के मुद्दे पर जागरूकता अभियान चलाया था और उन्होंने कॉलेज के पाठ्यक्रम में भी शामिल किया था जो इस साल जनवरी से लागू हुआ था।

