राज्यसभा से भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा है कि विराट भारत जल्द उभरने वाला है। यह ‘रसगुल्लों’ से बना नहीं होगा। उन्होंने इसके साथ ही वह भी तरीका सुझाया है, जिसके जरिए चीन को यह बात बताई जा सके।
उन्होंने इस बाबत रविवार (20 जून, 2021) को ट्वीट किया, “विराट हिंदुस्तान उभर रहा है, जो कि ‘रसगुल्लों’ (जब तक वे हमारे कब्जे वाले क्षेत्र को वापस नहीं कर देते) का नहीं होगा। चीन को यह बात बताने का एक तरीका ये है कि अटल बिहारी वाजपेयी की साल 2003 की सेलऑउट ट्रीटी (तिब्बत के चार तरह के विभाजन पर रजामंदी और तीन भागों को आसन्न प्रांतों के साथ विलय करना) खत्म हो चुकी है।”
A way to tell China that Virat Hindustan is soon emerging which will not be of Rosogollas (unless they return our grabbed territory) is to announce that Vajpayee’s 2003 sellout Treaty (agreeing to 4 way partition of Tibet& merging 3 parts with adjacent provinces) is scrapped.
— Subramanian Swamy (@Swamy39) June 20, 2021
पूर्व केंद्रीय कैबिनेट मंत्री ने अगले ट्वीट में यह भी लिखा, “यह बिल्कुल साफ हो रहा है कि चीन की पीएलए (पीपल्स लिब्रेशन आर्मीः सेना) वहां की “लाइफ लाइन” चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से अधिक शक्तिशाली है।”
विराट भारत को लेकर किए गए स्वामी के ट्वीट पर लोगों ने भी अपनी प्रतिक्रियाएं दीं। @AravindhBala90 ने पूछा, “सर, पर आपने तो पहले चेताया था कि यह संभव नहीं है, क्योंकि हम पीछे नहीं जा सकते। खासकर अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में।”
बीजेपी सांसद ने इस पर जवाब दिया- चूंकि, चीन 1993 की LAC संधि अस्वीकार कर चुका है। मैं अपनी “हिमालयी चुनौती” पुस्तक में दिए गए कारणों के कारण 1954 की नेहरू की संधि को रद्द करने के पक्ष में नहीं हूं। भारतीय इस भ्रम में हैं कि तिब्बत ऐतिहासिक रूप से भारत के अनुकूल था। पर उसने मैकमोहन रेखा या अरुणाचल के कुछ हिस्सों को स्वीकार नहीं किया।
@adk_bharat ने लिखा, “विराट हिंदुस्तान? नेपाल की जमीन हड़प कर।” @SrinivasaChava ने सुझाव दिया- हमें गंधर्व की नीति की जरूरत है। उदाहरण के तौर पर क्वाड का इस्तेमाल कर चीन को चित किया जाए।
@SushantPant16 के हैंडल से कहा गया- हां, तिब्बत को कबूलना चाहिए, पर भारत द्वारा उसे भी जल्द स्वतंत्र मुल्क माना जाना चाहिए। यह चीन की “बायो वेपन” पॉलिसी के बाद उनके लिए जवाब होगा।