जनता दल यूनाइटेड (JDU) के सांसद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलना चाहते थे। पर उनसे कहा गया कि वे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिल लें। हालांकि, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि पीएम से वक्त मिले, तब तो मिलें।
दरअसल, सीएम गुरुवार को पटना हवाई अड्डे पर गुरुवार (पांच अगस्त, 2021) को पटना, नालंदा, गया और जहानाबाद जिले के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण करने के बाद पत्रकारों से कहा कि उन्होंने पीएम को खत लिखकर जातीय जनगणना के मसले पर सर्वदलीय शिष्टमंडल के साथ उनसे मिलने का वक्त मांगा है। पीएम से भेंट के लिए जदयू सांसदों को वक्त न मिलने और बिहार की गठबंधन सरकार में शामिल हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (जीतन राम मांझी का दल) से मंत्री संतोष कुमार सुमन के पीएम से मिलने के बारे में पूछे जाने पर बिहार सीएम नीतीश ने कहा, ‘‘हमारी पार्टी के सांसदों ने अमित शाह से मिलकर भी अपनी बातें रखी है।’’ बता दें कि जदयू सांसदों की केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह से भेंट हुई थी।
आगे फोन टैपिंग से जुड़े सवाल पर सीएम बोले कि केस उच्चतम न्यायालय में पेडिंग है और उसके फैसले का इंतजार है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के सर्वेक्षण के दौरान मुख्यमंत्री ने दक्षिण बिहार की नदियों के जलस्तर की स्थिति, ओवरटॉपिंग, नदियों के कटाव की स्थिति, क्षतिग्रस्त स्थलों पर बाढ़ से राहत-बचाव कार्य, सहित तमाम स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने पटना जिले के दनियांवा, फतुहा, धनरुआ प्रखंड, नालंदा जिले के हिलसा, करायपरसुराय, एकंगरसराय, रहुई प्रखंड, जहानाबाद जिले के हुलासगंज, मोदनगंज प्रखंड तथा गया जिले के बोधगया, टेकारी प्रखंडों का हवाई सर्वेक्षण किया।
हवाई सर्वेक्षण के बाद पत्रकारों से बातचीत में मुख्यमंत्री ने कहा कि इन जिलों के कई इलाके बाढ़ से बहुत ज्यादा प्रभावित हैं और अगर गंगा नदी का जलस्तर और बढ़ता है तो इन इलाकों में बाढ़ का खतरा और ज्यादा बढ़ जायेगा। नीतीश ने कहा, ‘‘अगले सप्ताह हम फिर इन क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण करेंगे। बाढ़ को नियंत्रित करने के लिए विभाग ने कार्य शुरु कर दिया है लेकिन फिर से वर्षा होने पर गंगा नदी का जलस्तर और ज्यादा बढ़ेगा, जिससे इन क्षेत्रों में और पानी फैल सकता है।’’ नदियों को जोड़ने के सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि छोटी नदियों को जोड़ने से काफी लाभ होगा, जल संग्रहण हो सकेगा और जल संकट दूर किया जा सकेगा।
इसी बीच, नीतीश सरकार ने अफसरशाही के मसले पर अफसरों को खुली चेतावनी दी है। अफसरों द्वारा सुनवाई न किए जाने की शिकायत को लेकर सरकार ने कहा कि वे ऐसा कतई न करें। दरअसल, हाल-फिलहाल के दिनों में प्रदेश में यह तक कहा गया कि अफसरशाही इस कदर हावी है कि आलाधिकारी विधायकों और सांसदों तक की नहीं सुनते हैं। ऐसे में मुख्य सचिव त्रिपुरारि शरण ने इस बाबत एक पत्र लिखकर कहा है कि सांसद और विधानमंडल सदस्य लोकतांत्रिक ढांचे में अहम भूमिका रखते हैं। निर्धारित निर्देशों के उल्लंघन को गंभीरता से लिया जाएगा।