Uniform Civil Code: जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370, अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण और समान नागरिक संहित (UCC) यह तीनों ऐसे मुद्दे थे, जिस पर शिवसेना और बीजेपी की एक राय थी। उद्धव ठाकरे के पिता बाला साहेब ठाकरे और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का सपना था कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाया जाए, अयोध्या में राम मंदिर का भव्य निर्माण हो और देश में समान नागरिक संहिता को लागू किया जाए, लेकिन 2014 से केंद्र की सत्ता मोदी के हाथ में आने के बाद इन मुद्दों पर तेजी से कार्रवाई हुई। अब जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हट चुकी है तो वहीं अयोध्या में राम मंदिर का भव्य निर्माण हो रहा है। अब तीसरा मुद्दा समान नागरिक संहिता का है, जिसको लेकर देश में बहस छिड़ी हुई, उम्मीद जताई जा रही है कि केंद्र सरकार मॉनसून सत्र के दौरान यूसीसी बिल को संसद में पेश कर सकती है।

संसद का मॉनसून सत्र 20 जुलाई से शुरू होगा और 31 अगस्त तक चलेगा। माना यह भी जा रहा है कि केंद्र सरकार इस सत्र में यूनिफॉर्म सिविल कोड पेश कर सकती है। समान नागरिक संहिता कानून संबंधी बिल संसदीय समिति को भी भेजा सकता है।

इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को भोपाल में कहा था कि भारत के मुसलमानों को यह समझना होगा कि कौन से राजनीतिक दल उनको भड़का रहे हैं। उन्होंने कहा था कि एक घर में एक सदस्य के लिए एक कानून हो और दूसरे के लिए दूसरा तो घर चल पायेगा क्या? तो ऐसी दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चल पाएगा? ये लोग हम पर आरोप लगाते हैं। पीएम मोदी ने कहा कि ये अगर मुसलमानों के सही हितैषी होते तो मुसलमान पीछे नहीं रहते। सुप्रीम कोर्ट बार-बार कह रहा है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड लाओ लेकिन ये वोट बैंक के भूखे लोग ऐसा नहीं करना चाहते।

जानिए अनुच्छेद 370 हटने के बाद उद्धव ने क्या कहा था?

बता दें, जम्मू-कश्मीर को अनुच्छेद 370 और 35ए द्वारा दिए गए विशेष दर्जे को हटाने के लिए संसद ने 5 अगस्त, 2019 को मंजूरी दी। तब केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसे – ‘ऐतिहासिक भूल को ठीक करने वाला ऐतिहासिक कदम’ कहा था। इसके एक दिन बाद तत्कालीन शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने पीएम मोदी और अमित शाह को बधाई थी। ठाकरे ने इसको एक एतिहासिक दिन बताया था और कहा था कि सेना के संरक्षक बालासाहेब ठाकरे और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का “सपना” पूरा हो गया है। ठाकरे ने कहा था कि उन्होंने (मोदी और शाह) दुनिया को दिखाया है कि हमारे देश में अभी भी दृढ़ता है। हालांकि 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस है, मैं कहूंगा कि हमारे देश को आज पूर्ण आजादी मिल गई है।’

बाला साहेब ठाकरे के तीन सपने-

महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना (यूबीटी) यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) का समर्थन कर सकती है। सूत्रों ने ये जानकारी दी। औपचारिक तौर पर भले ही उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) की पार्टी के किसी नेता ने यूनिफॉर्म सिविल कोड पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया हो, लेकिन सूत्र बताते हैं कि अगर बिल संसद में लाया जाता है तो इसे उद्धव ठाकरे की पार्टी समर्थन देगी। जिसकी बड़ी वजह है बाला साहेब ठाकरे। क्योंकि बालासाहेब ठाकरे के तीन महत्वपूर्ण सपने रहे हैं- अयोध्या में राम मंदिर, कश्मीर से 370 हटाना और देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करना। उद्धव ठाकरे ने बीती 20 जून को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यूसीसी का समर्थन करने की बात कही थी। साथ ही सवाल भी उठाए थे।

शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत का कहना है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड का ड्राफ्ट नहीं आया है। ऐसे में यह कहना गलत है कि हम उसके विरोध में है। ड्राफ्ट आने के बाद शिवसेना उद्धव बालासाहेब पार्टी अपनी भूमिका स्पष्ट करेगी।

शिवसेना (यूबीटी) की सहयोगी पार्टी एनसीपी के प्रमुख शरद पवार भी यूसीसी के समर्थन को लेकर बयान दे चुके हैं। पवार ने कहा था कि सरकार की ओर से कुछ चीजें स्पष्ट करने के बाद उनकी पार्टी समान नागरिक संहिता पर अपना रुख तय करेगी। पवार ने कहा कि वे यूसीसी का समर्थन करने के इच्छुक नहीं हैं। इसलिए सिख समुदाय की राय पर गौर किये बिना यूसीसी पर फैसला करना उचित नहीं होगा। इसके अलावा महाराष्ट्र कांग्रेस ने समान नागरिक संहिता के प्रभाव का अध्ययन करने के लिए मुंबई विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति बालचंद्र मुंगेकर के नेतृत्व में नौ-सदस्यीय समिति का गठन किया है।

‘राम मंदिर निर्माण बाला साहेब ठाकरे का सपना था’

वहीं महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अप्रैल, 2023 में अयोध्या का दौरा किया था। इस दौरान उन्होंने रामलला के दर्शन किए थे। शिंदे ने बाला साहेब ठाकरे का नाम लेते हुए कहा था कि राम मंदिर का निर्माण उनका सपना था। जिसको पीएम मोदी और सीएम योगी ने पूरा किया।

लेकिन इन सबके बीच सवाल यह उठ रहा है कि महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का यूसीसी पर अगला कदम क्या रहेगा? क्योंकि उद्धव ठाकरे और बीजेपी की कुल मिलाकर हिंदुत्व पर विचारधारा एक ही रही है, लेकिन जब से महाराष्ट्र में उद्धव के हाथ से सत्ता की बागडोर गई है, तब से उद्धव गुट कई तरह के आरोप बीजेपी पर लगाती रही है।

वहीं बीजेपी भी सवाल उठाती रही है कि उद्धव ने उन दलों से समझौता करके सरकार बनाई थी, जिन दलों से बाला साहेब ठाकरे की विचारधारा नहीं मिलती थी। यही वजह है कि बीजेपी उद्धव ठाकरे पर आरोप लगाती रहती है कि उन्होंने सत्ता के लिए शिवसेना (UBT) की विचाराधारा से समझौता किया। ऐसे में सवाल उठता है कि जिन उद्धव ठाकरे पर अब तक विचाराधारा के साथ समझौता करने का आरोप लग रहा था, अब जब बीजेपी ने बाला साहेब ठाकरे के दो सपनों को साकार कर दिया है। वहीं तीसरे पर तैयारी जोरों पर चल रही है। ऐसे में उद्धव पर सियासी प्रेसर ज्यादा है और क्या यही सियासी प्रेसर फिर से उद्धव को बीजेपी के करीब ला सकता है? इसी सवाल के इर्द-गिर्द आगे की राजनीति चलने वाली है।