India-China Border News Live Updates: भारत और चीन के बीच पिछले पांच महीनों से एलएसी पर तनाव जारी है। इस बीच एक बड़ा खुलासा हुआ है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन ने सर्दी का मौसम शुरू होने से पहले ही बड़ी मात्रा में एलएसी पर हथियार जुटा लिए हैं। इन हथियारों में मध्यम दूरी तक मार करने वाली मिसाइलें भी शामिल हैं। इतना ही नहीं चीन एलएसी पर जमीन के नीचे सुरंग भी बना रहा है, ताकि आगे हथियारों को इन जगहों पर ही छिपाया जा सके और यह सैटेलाइट की जद में भी न आ सकें।
चीन, तिब्बत की सांस्कृतिक विरासत को खत्म करने की साजिश रच रहा है। रायटर्स की एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि चीन बड़ी संख्या में तिब्बती लोगों को मिलिट्री स्टाइल ट्रेनिंग सेंटर में ट्रेनिंग दे रहा है और फिर उन्हें फैक्ट्री वर्कर्स बनाकर देश के बाकी हिस्सों में ट्रांसफर कर रहा है। कुछ इसी तरह से चीन उईगर मुस्लिम बहुल शिनजियांग प्रांत में भी कर रहा है। जिसकी पूरी दुनिया में आलोचना हो रही है।
रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने तिब्बत के करीब 5 लाख लोगों को रोजगार की ट्रेनिंग दी है। इनमें से सिर्फ 50 हजार के करीब ही तिब्बत में काम कर रहे हैं और बाकी लोगों को चीन के अलग-अलग हिस्सों में ट्रांसफर कर दिया है। तिब्बत के लोगों को टैक्सटाइल, निर्माण और खेती के कामों में लगाया गया है। इस तरह से चीन ने तिब्बत के लोगों के पारंपरिक रोजगार को बंद करने का काम किया है।
भारत और चीन के बीच बातचीत में ऐसा जान पड़ता है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर टकराव के क्षेत्रों से सैनिकों की वापसी पर बात आगे नहीं बढ़ी। बयान में कहा गया कि दोनों सेनाएं जमीनी स्तर पर आपस में संपर्क मजबूत करने और गलतफहमी तथा गलत निर्णय से बचने और दोनों देशों के नेताओं के बीच बनी महत्वपूर्ण सहमति के ईमानदारी से क्रियान्वयन पर भी सहमत हुईं।
भारत और चीन के अग्रिम मोर्चे पर और अधिक सैनिक न भेजने पर सहमत होने के निर्णयों की घोषणा मंगलवार देर शाम को भारतीय सेना और चीनी सेना के एक संयुक्त बयान में की गयी। इसे चार महीने से अधिक समय से जारी सीमा गतिरोध को सुलझाने की दिशा में एक प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। एक दिन पहले ही भारत और चीन के सैन्य कमांडरों के बीच हुई छठे दौर की वार्ता 14घंटे तक चली थी।
पूर्वी लद्दाख में तनाव कम करने के मदृदेनजर भारत और चीन मंगलवार को अग्रिम मोर्चे पर और अधिक सैनिक नहीं भेजने, जमीनी स्थिति को एकतरफा ढंग से न बदलने एवं मामले को और जटिल बनाने वाले कदमों से बचने पर राजी हुए।
अमेरिका की सिक्योरिटी एंड इंटेलिजेंस कंसल्टेंसी स्ट्राटफोर ने मंगलवार को जारी अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि चीन ने भारत से सटी सीमा के नजदीक पिछले 3 साल में 13 नए सैन्य ठिकाने बनाए हैं। इनमें तीन एयरबेस, 5 एयर डिफेंस यूनिट्स और पांच हेलिपैड शामिल हैं। बताया गया है कि चीन ने 2017 में हुए डोकलाम विवाद के बाद इन ठिकानों को तैयार करना शुरू किया था। चीन ने तिब्बत में मानसरोवर झील के किनारे सतह से सतह पर वार करने वाली मिसाइल साइट बना ली है। इसके अलावा, डोकलाम और सिक्किम के विवादित इलाकों में भी ऐसी ही साइट तैयार कर रहा है।
पाकिस्तान FATF के प्लेनेरी सेशन से ठीक पहले एक बार फिर चीन की मदद की उम्मीद कर रहा है। दरअसल, एफएटीएफ ने पाक को ग्रे लिस्ट में रखा है, जिसके चलते उसके कुछ संदिग्ध आर्थिक लेन-देनों को बंद कर रखा है। एजेंसी ने पाक से आतंकी गतिविधियों को रोकने के लिए भी कहा है, हालांकि कश्मीर में आतंकियों को भेजने के एवज में पाकिस्तान ने अब तक ग्रे लिस्ट की शर्तों को पूरा नहीं किया है। इसी के चलते इमरान सरकार ने अब चीन, मलेशिया और तुर्की से समर्थन मांगा है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, डोकलाम विवाद के बाद चीन ने भारत के खिलाफ अपनी रणनीति बदल दी है। उसने भारत की सीमा से सटे जगहों पर सैन्य ठिकानों की संख्या दोगुनी करनी शुरू कर दी है। चीन की मिलिट्री ने पहले से मौजूद एयरबेस पर चार एयर डिफेंस सिस्टम लगाए हैं। इसने कई रनवे तैयार किए हैं और लड़ाकू विमानों को छिपाने के लिए शेल्टर्स भी बनाए हैं। वह अपने सैन्य ठिकानों पर तैनात किए जाने वाले लड़ाकू विमानों की संख्या में भी इजाफा कर रहा है।
मोदी सरकार जल्द ही भारत में बिजनेस कर रही चीनी फिनटेक कंपनियों पर बैन लगा सकती है। इसके लिए डेटा और प्राइवेसी उल्लंघनों के लिए इन कंपनियों की जांच हो सकती है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन फिनटेक कंपनियों का मुख्य कारोबार डिजिटल तरीके से उधारी का है। भारत में केवल 2019 में इसका ट्रांजेक्शन वैल्यू 110 बिलियन डॉलर (8.09 लाख करोड़ रु.) का रहा, जो 2023 तक दोगुना से ज्यादा बढ़कर 350 बिलियन डॉलर (25.75 लाख करोड़ रु.) तक पहुंचने का अनुमान है। हालांकि यह मोबाइल यूजर्स की संख्या पर भी निर्भर करेगा। इससे पहले सरकार ने 224 चीनी मोबाइल ऐप को बैन किया था।
अमेरिका की सिक्योरिटी एंड इंटेलिजेंस कंसल्टेंसी स्ट्राटफोर ने मंगलवार को जारी अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि चीन ने भारत से सटी सीमा के नजदीक पिछले 3 साल में 13 नए सैन्य ठिकाने बनाए हैं। इनमें तीन एयरबेस, 5 एयर डिफेंस यूनिट्स और पांच हेलिपैड शामिल हैं। बताया गया है कि चीन ने 2017 में हुए डोकलाम विवाद के बाद इन ठिकानों को तैयार करना शुरू किया था। चीन ने तिब्बत में मानसरोवर झील के किनारे सतह से सतह पर वार करने वाली मिसाइल साइट बना ली है। इसके अलावा, डोकलाम और सिक्किम के विवादित इलाकों में भी ऐसी ही साइट तैयार कर रहा है।
संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के 75 साल पूरे होने के मौके पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने अपने भाषण के दौरान कहा कि कोरोनावायरस के प्रसार के लिए संयुक्त राष्ट्र को चीन को जिम्मेदार ठहराना चाहिए। उन्होंने यूएन के मंच से विश्व स्वास्थ्य संगठन पर भी जमकर हमला बोला। ट्रंप ने कहा कि इस संस्थान पर चीन का पूरा नियंत्रण है। इसलिए डब्लूएचओ ने झूठ कहा कि कोरोना वायरस के मानव निर्मित होने के सबूत नहीं हैं।
पाकिस्तान FATF के प्लेनेरी सेशन से ठीक पहले एक बार फिर चीन की मदद की उम्मीद कर रहा है। दरअसल, एफएटीएफ ने पाक को ग्रे लिस्ट में रखा है, जिसके चलते उसके कुछ संदिग्ध आर्थिक लेन-देनों को बंद कर रखा है। एजेंसी ने पाक से आतंकी गतिविधियों को रोकने के लिए भी कहा है, हालांकि कश्मीर में आतंकियों को भेजने के एवज में पाकिस्तान ने अब तक ग्रे लिस्ट की शर्तों को पूरा नहीं किया है। इसी के चलते इमरान सरकार अब चीन, मलेशिया और तुर्की से समर्थन मांगा है।
चीन ने कमांडर स्तर की बैठक में मांग की है कि एलएसी पर किसी भी तरह का तनाव कम करने के लिए भारत पहले 29 अगस्त को घेरी गई चोटियों को खाली करे। हालांकि, भारत की ओर से अब भी पहले चीन की ओर से कदम उठाने की मांग की गई है। इसी जद्दोजहद में बैठक करीब 14 घंटे लंबी चली और दोनों देशों के बीच एक बार फिर सैन्य स्तर की वार्ता पर सहमति बनी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आत्मनिर्भर भारत की अपील का सबसे ज्यादा नुकसान चीन को उठाना पड़ा है। यह बात सामने आई है। यह बात कही है छोटे व्यापारियों के संगठन कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स- CAIT ने। बताया गया है कि इस साल अप्रैल से अगस्त के बीच चीन से होने वाले आयात में 27.63 फीसदी की कमी आई है। हालांकि, इस दौरान देश में लॉकडाउन का भी बुरा असर रहा और भारत के आयात-निर्यात, दोनों में ही खासी कमी रही थी।
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि चीन अपने शिनजियांग और तिब्बत को जोड़ने वाले हाइवे की सुरक्षा के लिए डेपसांग के इलाके में अपना दबदबा बनाना चाहता है और भारतीय सेना को पीछे धकेलना चाहता है। हालांकि, अभी तक यह बात सिर्फ अनुमान के आधार पर कही जा रही है लेकिन चीन के बढ़ते खतरे को देखते हुए इसकी आशंका से इंकार भी नहीं किया जा सकता। दरअसल, डेपसांग के नजदीक ही भारतीय वायुसेना के रणनीतिक रूप से अहम दौलत बेग ओल्डी एयरबेस है। जो कि एलएसी की सुरक्षा और चीन से बढ़ते खतरे के लिहाज से काफी अहम माना जाता है।
भारतीय सेना और चीनी सेना लद्दाख के कई इलाकों में आमने-सामने है और तनाव की स्थिति बनी हुई है लेकिन सबसे ज्यादा तनाव पैंगोंग त्सो इलाके में है। अब कुछ रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि हो सकता है कि चीन भारतीय सेना को पैंगोंग त्सो में उलझाकर रखना चाहता है और उसकी असल नजर लद्दाख के देपसांग इलाके पर है। बता दें कि देपसांग में भी दोनों सेनाओं के बीच स्टैंड ऑफ है लेकिन गौरतलब है कि देपसांग में मई से भी पहले से चीन की सेना भारतीय सैनिकों को पेट्रोलिंग से रोक रही है।
भारत और चीन के बीच लद्दाख स्थित एलएसी पर जारी टकराव के बीच अब डीआरडीओ सेना के लिए नई तकनीक मुहैया करा रही है, ताकि सैनिकों के लिए खाने की समस्या न पैदा हो। डीआरडीओ का डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ हाई-एल्टीट्यूड रिसर्च (DIHAR) टुकड़ियों के लिए सब्जी उगाने की तकनीक बना रहा है, जिसका इस्तेमाल भारत-चीन सीमा पर सर्दी के मौसम में किया जाएगा।
चीन मिसाइलों को छिपाने के लिए जमीन के अंदर ठिकाने बना रहा है। इससे वे सैटलाइट की पकड़ में नहीं आएंगी और किसी हमले में नष्ट भी नहीं होंगी। बता दें कि सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें भी इन चीन सैन्य ठिकानों पर देखी गई हैं। इसका खुलासा होने के बाद भारत ने भी अपनी तैयारी मजबूत कर ली है।
चीनी सेना अब बड़े पैमाने पर घातक हथियारों की तैनाती में जुट गई है। पीपल्स लिबरेशन आर्मी लद्दाख से सटे चीनी कब्जे वाले अक्साई चिन इलाके में मध्यम दूरी तक मार करने वाली किलर मिसाइलें तैनात कर रहा है। इन मिसाइलों की रेंज और संख्या इतनी ज्यादा है कि चीनी सेना पूरे भारत को निशाना बना सकती है। उधर, चीनी सेना का मुकाबला करने के लिए भारतीय सेना ने भी बड़े पैमाने पर घातक हथियारों की तैनाती है। रिपोर्ट के मुताबिक चीन भारत को धमकाने के लिए अक्साई चिन में बड़ी संख्या में मध्यम दूरी तक मार करने वाली मिसाइलें तैनात कर रहा है।
लद्दाख में इतनी ऊंचाई पर पानी की मौजूदगी भी एक बड़ी समस्या होने वाली है। कई फॉरवर्ड एरिया में तो पाइप से पानी पहुंचाया जाता है, पर भीषण ठंड में पाइप में भी पानी जम जाता है। ऐसे में चुशुल में रहने वाले स्थानीय लोग भी सेना के लिए पानी पहुंचाते हैं। सेना सर्दी में बर्फ को पानी के स्रोत के तौर पर इस्तेमाल करती है। बर्फ को हीटर पर पिघलाकर पानी के रूप में रख लिया जाता है।
लद्दाख में जिस जगह पर भारत और चीन की सेनाओं के बीच टकराव की स्थिति बनी है, वहां अक्टूबर के मध्य से ही भीषण ठंड का माहौल पैदा हो जाता है। ऐसे में भारतीय सेना अब इस सर्दी को काटने के लिए तैयारियां पूरी करने में जुटी है। जानकारी के मुताबिक, भारतीय सेना एलएसी पर सर्दी का सामना करने के लिए रूसी टेंट्स इस्तेमाल करेगी। इसके अलावा खाने के लिए सैनिक शक्करपारे लेंगे, जो खराब मौसम में भी उनकी ऊर्जा का अहम स्रोत होंगे। पढ़ें पूरी खबर...
भारत और चीन के बीच सोमवार को हुई कमांडर स्तर की वार्ता 14 घंटे तक चली। हालांकि, इसका कोई नतीजा नहीं निकला। ऐसे में माना जा रहा है कि सभी बिंदुओं पर चर्चा के लिए दोनों देश अभी कम से कम दो बार और बैठक करेंगे। इसके बाद ही एलएसी पर तनाव कम होने की संभावना है। सूत्रों का कहना है कि दोनों देश अपने-अपने दावों पर अड़े हैं। लेकिन भारत ने साफ कर दिया है कि शांति के लिए पहले चीन को ही पीछे हटना होगा।
बीते दिनों नेपाल ने विवादित नक्शे वाली एक किताब को स्कूल पाठ्यक्रम में शामिल करने का फैसला किया था। इस किताब के नक्शे में भारत के कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधारा इलाके को अपना क्षेत्र बताया गया था। हालांकि भारत की आपत्ति के बाद अब नेपाल सरकार ने इस किताब के प्रकाशन और वितरण पर रोक लगा दी है।
भारत की तरफ से बैठक का नेतृत्व 14वीं कॉर्प कमांडर प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह द्वारा किया गया। लेफ्टिनेंट जनरल सिंह के अलावा इस बैठक में लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन भी शामिल हुए। बता दें कि अक्टूबर में लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन ही 14वीं कॉर्प कमांडर के प्रमुख बनेंगे। इनके अलावा विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव नवीन श्रीवास्तव, आईटीबीपी के एक अधिकारी दीपम सेठ और सेना के कई वरिष्ठ अधिकारी भी बैठक में शामिल रहे।
एलएसी पर जारी तनातनी के बीच सोमवार को भारत चीन के बीच शीर्ष सैन्य कमांडर स्तर की बातचीत हुई। इस बातचीत के दौरान भारत की तरफ से चीन को दो टूक कहा गया है कि वह पेंगोंग त्सो समेत एलएसी पर सभी स्थानों पर अप्रैल की स्थिति बहाल करे और अपनी सेना को तुरंत पीछे हटाए। सेना के सूत्रों के हवाले से भारत की तरफ से मजबूती से अपना पक्ष रखा गया है। पैंगोंग और रेजांग ला इलाकों में तनातनी के बाद अब देपसांग, गोगरा, हाट स्प्रिंग इलाकों में भी चीनी सेना अपना दबदबा बनाने का प्रयास कर रही है, जिससे तनाव और ज्यादा बढ़ रहा है।
चीन का हाल के समय में भारत के खिलाफ आक्रामक रुख रहा है। अगर सीमा विवाद से इतर सोचें तो कई जानकारों का मानना है कि चीन आने वाले समय में खुद को दुनिया की सबसे बड़ी ताकत के रूप में देख रहा है। लेकिन उसे भारत से चुनौती मिलने की आशंका है। यही वजह है कि वह भारत को रणनीतिक, कूटनीतिक और सैन्य तरीके से घेरकर उसके प्रभाव को कम करना चाहता है। ऐसे में सीमा पर चीन के आक्रामक रुख को लेकर ऐसी आशंकाएं भी जतायी जा रही हैं।
भारत और चीन सीमा पर तनाव को कम करने के लिए दोनों देशों के बीच सैन्य कमांडर स्तर की अभी और बातचीत हो सकती हैं। दरअसल सोमवार को हुई बैठक में विवाद और मतभेद के सभी बिंदुओं को शामिल नहीं किया जा सका। ऐसे में दोनों देशों की बीच अभी और बातचीत संभव है।
लद्दाख में घुसपैठ से पहले चीन ने भारत से निपटने के लिए पुख्ता स्तर पर तैयारी की है। एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि चीन ने बीते तीन सालों में भारत से लगती सीमा पर अपने हवाई ठिकानों की संख्या बढ़ाकर दोगुनी कर दी है। इसके साथ ही अपने एयर डिफेंस सिस्टम को भी दुरुस्त किया है।
अमेरिका की न्यूयॉर्क सिटी पुलिस विभाग ने अपने एक अधिकारी को चीन के अवैध एजेंट के रूप में काम करने के आरोप में गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार अधिकारी बैमाडाजिए अंगवांग तिब्बती मूल का है और वह न्यूयॉर्क में मौजूद चीनी नागरिकों की गतिविधियों पर नजर रख रहा था और इससे जुड़ी जानकारी चीन को दे रहा था।
चीनी सेना के एक प्रोपेगैंडा वीडियो की पोल खुल गई है। दरअसल चीनी वायुसेना ने हाल ही में एक वीडियो जारी किया था। अब खुलासा हुआ है कि इस वीडियो में कई क्लिप नकली थी और कुछ हॉलीवुड की फिल्मों से शामिल की गई थीं। सोशल मीडिया पर भी चीन की इस प्रोपेगैंडा वीडियो की आलोचना हो रही है।
लद्दाख के ऊंचाई वाले इलाकों में गश्त के लिए जल्द ही भारतीय सेना दो कूबड़ वाले ऊंटों का इस्तेमाल शुरू करेगी। बता दें कि दो कूबड़ वाला ऊंट लद्दाख का स्थानीय जानवर है। इसके साथ ही यह 17,000 फीट की ऊंचाई पर भी 170 किलो का भार ले जाने में सक्षम है। डीआरडीओ की रिसर्च में यह खुलासा हुआ है। इसके साथ ही दो कूबड़ वाला ऊंट तीन दिन तक बिना खाए पिए रह सकता है। फिलहाल इन दो कूबड़ वाले ऊंटों की आबादी बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है। जिसके बाद इन्हें सेना में शामिल कर लिया जाएगा।
चीन के लिए चुशुल सेक्टर की अहमियत की बात करें तो यहां चीन का कब्जा होने का मतलब है कि पूर्वी लद्दाख में चीनी सेना रणनीतिक तौर पर काफी मजबूत हो जाएगी। इसके अलावा चुशुल पर चीन का कब्जा होने से उसके लिए लेह तक पहुंचना आसान हो जाएगा। यही वजह है कि भारत और चीन के लिए चुशुल सेक्टर काफी अहम है।
भारत के लिए चुशुल सेक्टर की अहमियत इस बात से समझी जा सकती है कि यहां भारतीय वायुसेना की एयरस्ट्रिप है, जो कि यहां लॉजिस्टिक सप्लाई के लिए बेहद अहम है। 1962 की भारत चीन लड़ाई में भी चुशुल सेक्टर की इस एयरस्ट्रिप ने काफी अहम भूमिका निभायी थी। इसके साथ ही चुशुल सेक्टर में कई ऊंची पहाड़ियां और समतल इलाका भी है, जिससे यहां टैंक भी तैनात किए जा सकते हैं और ऊंची पहाड़ियों से चीन की सेना पर नजर भी रखी जा सकती है।
पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग त्सो इलाके में भारत और चीन की सेनाओं के बीच बीते पांच माह से तनाव चल रहा है। दोनों ही सेनाएं इस इलाके में एलएसी को लेकर अलग अलग दावे कर रही हैं। पैंगोंग त्सो झील के दक्षिण में एक चुशुल सेक्टर है, जो कि सैन्य रणनीति के हिसाब से भारत और चीन दोनों के लिए ही अहम है। फिलहाल भारत का इस सेक्टर में दबदबा है लेकिन चीन की सेना की तरफ से भी इस जगह अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश की जा रही है। ऐसे में भारत और चीन के इस तनाव में चुशुल सेक्टर काफी अहम हो गया है।
कोर कमांडर स्तर की छठे दौर की यह वार्ता पूर्वी लद्दाख में भारत के चुशूल सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पार मोल्डो में चीनी क्षेत्र में सुबह करीब नौ बजे शुरू हुई और रात नौ बजे के बाद भी जारी थी। समझा जाता है कि भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने 10 सितंबर को मास्को में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक के इतर विदेश मंत्री एस जयशंकर तथा उनके चीनी समकक्ष वांग यी के बीच हुए समझौते को निश्चित समय-सीमा में लागू करने जोर दिया। भारतीय प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई भारतीय सेना की लेह स्थित 14 कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हंिरदर ंिसह ने की। पहली बार, सैन्य वार्ता से संबंधित भारतीय प्रतिनिधिमंडल में विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी हैं।
विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव नवीन श्रीवास्तव इस प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा हैं।
चीन के साथ वरिष्ठ सैन्य कमांडर स्तर की छठे दौर की वार्ता के दौरान सोमवार को भारत ने पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले स्थानों से चीनी सैनिकों को शीघ्र और पूर्ण रूप से हटाये जाने पर बल दिया। यह वार्ता सीमा पर लंबे समय से जारी टकराव को दूर करने के लिए पांचसूत्री द्विपक्षीय समझौते के क्रियान्वयन पर केंद्रित रही। सरकारी सूत्रों ने यह जानकारी दी है।
सीमा पर चीन के साथ जारी तनाव के बीच भारत ने एक अहम कदम उठाते हुए अमेरिका और इजरायल से हाथ मिलाया है। दरअसल अब ये तीनों देश मिलकर 5जी तकनीक को विकसित करने की दिशा में काम करेंगे। बता दें कि अभी दुनिया में 5जी तकनीक के मामले में चीन का दबदबा है। यही वजह है कि चीन की तरफ से भारत पर साइबर अटैक का खतरा बना हुआ है। अब भारत ने चीन को काउंटर करने और तकनीक के क्षेत्र में दबदबा बनाने के लिए अमेरिका और इजरायल से हाथ मिलाया है। तीनों देश मिलकर 5 जी तकनीक विकसित करने की दिशा में काम करेंगे। ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के हवाले से यह जानकारी सामने आयी है।
चीन के साथ तप्रतिनिधिमंडल में विदेश मंत्रालय का एक संयुक्त सचिव स्तर का अफसर और लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन भी शामिल रहे, जो अगले महीने 14 कोर के कमांडर के तौर पर सिंह का स्थान ले सकते हैं। यह पहली बार है जब इस पर्वतीय क्षेत्र में तनाव कम करने के लिए उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता में विदेश मंत्रालय का एक वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल है। वहीं, चीनी पक्ष की अगुवाई दक्षिणी शिनजियांग सैन्य क्षेत्र के कमांडर मेजर जनरल लियू लिन ने की।
भारत के साथ सीमा पर जारी तनाव के बीच चीन की सेना अपने इलाके में युद्धाभ्यास भी कर रही है। इस दौरान चीनी तोपें जहां गोले बरसाने का अभ्यास कर रही हैं। वहीं जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइलों का भी परीक्षण किया गया। चीनी सेना ने अपने एयर डिफेंस सिस्टम की तैयारियों को भी परखा।
चाइनीज एयरफोर्स का एक नया वीडियो सामने आया है, जिसमें उसने खुद को ताकतवर दिखाने की कोशिश की है। हालांकि इस वीडियो को लेकर चीन सोशल मीडिया पर बुरी तरह से ट्रोल हो गया है। दरअसल एयरफोर्स की वीडियों में कुछ क्लिप हॉलीवुड फिल्मों की इस्तेमाल की गई हैं। जिसके चलते यूजर्स सोशल मीडिया पर चीन पर निशाना साध रहे हैं।
सूत्रों ने बताया कि प्रतिनिधिमंडल में विदेश मंत्रालय का एक संयुक्त सचिव स्तर का अफसर और लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन भी शामिल रहे, जो अगले महीने 14 कोर के कमांडर के तौर पर सिंह का स्थान ले सकते हैं। यह पहली बार है जब इस पर्वतीय क्षेत्र में तनाव कम करने के लिए उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता में विदेश मंत्रालय का एक वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल है। वहीं, चीनी पक्ष की अगुवाई दक्षिणी शिनजियांग सैन्य क्षेत्र के कमांडर मेजर जनरल लियू लिन ने की।
सरकारी सूत्रों ने बताया कि सोमवार की वार्ता का एजेंडा 10 सितंबर को मास्को में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक के इतर विदेश मंत्री एस जयशंकर तथा उनके चीनी समकक्ष वांग यी के बीच बनी सहमति को लागू करने के लिए विशिष्ट समय-सीमा तय करने का है। इस सहमति में चार महीने से सीमा पर चल रहे गतिरोध को खत्म करना, सैनिकों को तेजी से हटाना, ऐसी कार्रवाइयों से बचना जिससे तनाव बढ़ सकता हो, सीमा प्रबंधन पर सभी समझौतों और प्रोटोकॉल का पालन करना तथा वास्तविक नियंत्रण रेख पर शांति बहाली के लिए कदम उठाना शामिल है।