बंबई हाई कोर्ट की नागपुर पीठ ने मशहूर लेखिका अरुंधति राय के खिलाफ आपराधिक अवमानना याचिका पर सुनवाई चार हफ्तों के लिए टाल दी है क्योंकि कार्यवाही को चुनौती देने वाली उनकी अर्जी सुप्रीम कोर्ट में अब तक लंबित है। न्यायमूर्ति भूषण गवई और प्रदीप देशमुख की सदस्यता वाली एक खंडपीठ ने अरुंधति के वकील को सुनने के बाद यह स्पष्ट किया कि न्यायिक अधिकार क्षेत्र यह मांग करता है कि उन्हें लेखिका की ओर से दायर विशेष अनुमति याचिका के नतीजों का इंतजार करना चाहिए जो फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।
हाई कोर्ट के न्यायाधीश अरुण चौधरी ने पिछले साल दिसंबर में राय के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी किया था। नक्सलियों से कथित सहानुभूति रखने वाले व दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जीएन सार्इंबाबा की गिरफ्तारी और पिछले साल की शुरुआत में उनकी जमानत याचिका खारिज होने पर एक साप्ताहिक पत्रिका में प्रकाशित राय के लेख को लेकर यह नोटिस जारी किया गया था। हाई कोर्ट ने कहा था कि राय के लेख में प्रथम दृष्टया न्याय प्रशासन में दखल देने का दुर्भावनापूर्ण इरादा है।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने लेख को लेकर राय के खिलाफ हाई कोर्ट की ओर से जारी आपराधिक अवमानना नोटिस पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। गढ़चिरौली पुलिस ने साल 2014 में सार्इंबाबा को माओवादियों से कथित संपर्क रखने को लेकर गिरफ्तार किया था। उन्हें पिछले साल जून में जमानत मिली थी जिसे बाद में रद्द कर दिया गया था। वह फिलहाल नागपुर जेल में हैं।
उन्होंने अपनी जमानत के रद्द होने को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।