Hate Speech Case: सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु भाजपा प्रमुख के अन्नामलाई के खिलाफ हेट स्पीच मामले में कार्यवाही पर रोक लगा दी है। यह देखते हुए कि अन्नामलाई की टिप्पणी प्रथम दृष्टया अपराध नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने यह बात सोमवार को सुनवाई के दौरान अपने आदेश में कही।
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने कार्यवाही पर रोक लगाते हुए कहा, “प्रथम दृष्टया कोई हेट स्पीच वाला भाषण नहीं है।” अन्नामलाई की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा और वकील जे साई दीपक ने पक्ष रखा। सुनवाई के दौरान पीठ ने शिकायतकर्ता वी पीयूष को नोटिस जारी किया, जिनकी शिकायत पर सलेम में मजिस्ट्रेट कोर्ट ने भाजपा नेता को तलब किया था।
क्या है पूरा मामला-
तमिलनाडु बीजेपी चीफ अन्नामलाई ने 2022 की दिवाली से दो दिन पहले एक यूट्यूब चैनल को इंटरव्यू दिया था। जिसमें अन्नामलाई ने कहा था कि त्योहार के दौरान पटाखे फोड़ने को सुप्रीम कोर्ट में कानूनी चुनौती देने के पीछे एक ईसाई एनजीओ का हाथ था।
टीएन साइबर सेल द्वारा मामला दर्ज करने का अनुरोध ठुकराए जाने के बाद पीयूष ने मजिस्ट्रेट कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हालांकि अन्नामलाई ने समन आदेश के खिलाफ मद्रास हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन हाई कोर्ट ने इसे रद्द करने से इनकार कर दिया।
हाई कोर्ट ने कहा था कि अन्नामलाई के खिलाफ मामला “सत्ता और प्रभाव के पदों पर बैठे लोगों के लिए एक अनुस्मारक” के रूप में काम करना चाहिए ताकि उनके “शब्दों और कार्यों की इस देश के नागरिकों पर व्यापक पहुंच और प्रभाव हो।
इसके खिलाफ अपील करते हुए भाजपा नेता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उनके शब्दों से कोई सार्वजनिक अव्यवस्था या हिंसा नहीं भड़की और यह घृणास्पद भाषण का आधार नहीं बनेगा। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट इस बात पर विचार करने में विफल रहा कि ये शब्द नफरत फैलाने वाले भाषण से ज्यादा शिकायत के तौर पर कहे गए थे।