हरियाणा में मंगलवार को अचानक हुए बड़े उलटफेर में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और उनके साथी कैबिनेट मंत्रियों ने प्रदेश के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय को अपना इस्तीफा सौंप दिया। राज्य में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और जननायक जनता पार्टी (JJP) गठबंधन में लोकसभा चुनाव से पहले सीट बंटवारे को लेकर दरार पैदा होने के बीच यह घटनाक्रम सामने आया है।

एक तरफ जहां उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला अमित शाह से मिलने दिल्ली पहुंचे हैं, वहीं भाजपा ने भी अपने विधायक दल की बैठक बुलाई है। सूत्रों के मुताबिक, भाजपा-जेजेपी गठबंधन टूटने की मुख्य वजह दुष्यंत चौटाला की तरफ से दो सीटें मांगना है। बीजेपी आला नेतृत्व एक सीट देने की बात मानने को तैयार था लेकिन दुष्यंत दो सीटों पर अड़े थे। बीजेपी प्रदेश नेतृत्व 10 सीटों पर लड़ना चाहती थी क्योंकि सभी सीटों पर उसके सांसद हैं। बीजेपी का ये कहना था कि हमने सभी सीटें जीती हैं, हम किस लिहाज से उन्हें जीती हुई एक सीट दे दें।

दुष्यंत और नड्डा की बैठक

इससे पहले सोमवार को बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के आवास पर भी दुष्यंत के साथ बैठक हुई थी। नड्डा और चौटाला के बीच यह बैठक तकरीबन 45 मिनट तक चली थी। इस मीटिंग में उन्होंने मांग की थी कि जेजेपी को भिवानी-महेंद्रगढ़ और हिसार की लोकसभा सीटें दे दी जाएं।इस मीटिंग में जेपी नड्डा ने एक भी सीट छोड़ने से साफ इनकार कर दिया। उन्होंने चौटाला से साफ कहा कि हम आपसे अलग होकर भी सारी 10 सीटों पर जीत हासिल कर लेंगे। हालांकि बैठक का नतीजा क्या रहा इस बारे में किसी भी पक्ष से औपचारिक तौर पर कोई जानकारी नहीं दी गई।

हरियाणा में विधानसभा चुनाव से ठीक 6 महीने पहले सरकार बदल रही है। अब भाजपा अकेले ही निर्दलीय विधायकों के साथ सरकार बनाने की प्लानिंग में है। नई सरकार में मनोहर लाल खट्टर ही सीएम रहेंगे या नहीं, इसे लेकर अब तक संशय बरकरार है।

पिछले साल से ही शुरू हुए मतभेद

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि भाजपा और जजपा गठबंधन टूटने की पटकथा जून 2023 में ही लिखी गई थी। उस वक्त इन दोनों दलों के बीच जो दरार आ गई थी वह दरार अभी तक भरी नहीं थी। पिछले साल डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने कहा था कि वे उचाना कलां से ही विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। चौटाला ने ऐसा इसलिए कहा था क्योंकि हरियाणा के भाजपा प्रभारी बिप्लब देब ने पूर्व केंद्रीय मंत्री चौ बीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेमलता को उचाना कलां का अगला विधायक बताया था।

चौटाला के बयान पर बिप्लब देब ने भी पलटवार करते हुए कहा था, “अगर जजपा ने हमारी सरकार का समर्थन दिया है तो कोई एहसान नहीं किया। इसके बदले में उन्हें मंत्रिपद दिए गए हैं।” बिप्लब देब और दुष्यंत चौटाला के बीच छिड़ी इस तकरार के बाद कयास लगने लगे थे कि प्रदेश में भाजपा-जजपा गठबंधन में बड़ी दरार आ सकती है। दोनों दलों के बीच की बात इतनी ज्यादा बढ़ गई थी कि भाजपा ने निर्दलीय विधायक धर्मपाल गोंदर, राकेश दौलताबाद, रणधीर सिंह और सोमवीर सांगवान को दिल्ली बुलाया था।

दुष्यंत चौटाला से नाराज किसान और जाट

सूत्रों की मानें तो बीजेपी के साथ रहने से दुष्यंत चौटाला को भी नुकसान हो रहा था। खासकर किसानों के आंदोलन के चलते पार्टी अपना नुकसान होता देख रही थी। दुष्यंत चौटाला को किसानों और जाटों की नाराजगी झेलनी पड़ रही थी। अब चौटाला किसानों को बीच जाकर ये संदेश दे सकते हैं कि हम इस सरकार से अलग हो चुके हैं।

क्या है हरियाणा विधानसभा की स्थिति

वर्तमान में, 90 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा के 41 विधायक और जजपा के 10 विधायक हैं। सत्तारूढ़ गठबंधन को सात में से छह निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन प्राप्त है। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के 30 विधायक हैं और इंडियन नेशनल लोकदल तथा हरियाणा लोकहित पार्टी के पास एक-एक सीट है। 41 सीटों वाली भाजपा को सरकार बनाने के लिए 5 और सीटों यानी 46 सीटों की जरूरत होगी। कहा जा रहा है कि 5 निर्दलीय विधायक भाजपा को समर्थन दे रहे हैं। इनमें नीलोखेड़ी विधायक धर्मपाल गोंडर, प्रीथला विधायक नयन पाल रावत का नाम शामिल है। इसके अलावा HLP के गोपाल कांडा भी भाजपा का समर्थन कर रहे हैं। जेजेपी से अलग होने के बाद भाजपा के पास करीब 48 विधायकों का समर्थन हो सकता है।