हरियाणा के महेंद्रगढ़ में गुरुवार सुबह को एक भीषण सड़क हादसा हुआ। एक प्राइवेट स्कूल की बस तेज रफ्तार में आगे बढ़ रही थी, रफ्तार 120 प्रति घंटा किलोमीटर थी, देखते देखते वो तेज रफ्तार बस पलट गई, बस के चीथड़े उड़ गए और मौके पर ही 6 बच्चों ने दम तोड़ दिया, दो बच्चों की हालत अभी भी गंभीर बताई जा रही है, कल 20 बच्चे इस हादसे में जख्मी है। पुलिस ने एक्शन लेते हुए प्राइवेट स्कूल के प्रिंसिपल को गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन ये बात एक गिरफ्तारी की नहीं है, यहां बात सिर्फ एक हादसे की भी नहीं है, ये बात हो रही है उस गुनाह की जिसने 6 मासूमों की हमेशा के लिए जिंदगी छीन ली।
ये हादसा हुआ कैसे?
इस समय हर कोई इस हादसे को एक बड़ी लापरवाही बता रहा है, लेकिन असल में ये लापरवाही नहीं बल्कि गुनाह है। ये गुनाह इसलिए है क्योंकि सभी नियमों को ताक पर रखा गया। अब सबसे पहले यह समझते हैं कि महेंद्रगढ़ में इतना भीषण सड़क हादसा हुआ कैसे। छुट्टी वाले दिन भी स्कूल खुला था, ईद के दिन बच्चों को स्कूल आने को मजबूर किया गया। जिस बस से ये बच्चे स्कूल जा रहे थे, उसके ज्यादातर डॉक्यूमेंट एक्सपायर हो चुके थे। बस का जो ड्राइवर था, वो अपने होश में नहीं था, अपनी धुन में तेज रफ्तार में बस चला रहा था। हर गाड़ी को उसने ओवरटेक किया, ऐसी ही एक अन्य गाड़ी को ओवरटेक करते हुए वो बस से नियंत्रण खो बैठा और बस पलट गई। सड़क पर ही बच्चों के बैग बिखर गए, चारों तरफ चीख पुकार मची और 6 बच्चों की जान चली गई।
बच्चों के लिए काल बनीं ये 4 वजह
शुरुआती जांच के बाद पता चलता है कि चार बड़े कारण थे जिस वजह से इतना भीषण बस हादसा हुआ। पहला कारण- ईद के दिन जब पूरे देश में छुट्टी है, सभी सरकारी दफ्तर से लेकर शिक्षण संस्थान भी बंद रखे गए हैं, ये निजी स्कूल खोला गया। दूसरा कारण- जो ड्राइवर बस चल रहा था वो शराब के नशे में था। तीसरा कारण- ड्राइवर ने नियमों को तोड़ते हुए जरूरत से ज्यादा स्पीड में बस चलाई। चौथा कारण- स्कूल का फिटनेस सर्टिफिकेट कई महीने पहले ही एक्सपायर हो चुका था।
अब स्कूल प्रशासन पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं, जिस बस का फिटनेस सर्टिफिकेट एक्सपायर हो चुका था, वो सड़क पर कैसे दौड़ रही थी। अब ऐसे सड़क हादसों के बाद मां-बाप फिर दहशत में हैं, अपने बच्चों को स्कूल बस से भेजने में वे कतरा रहे हैं, डर रहे हैं। उनका ये डर गलत भी नहीं है क्योंकि पिछले कुछ महीनो में कई ऐसे सड़क हादसे हुए हैं जिनमें मासूमों की जान गई है. वे जख्मी हुए हैं और जिम्मेदार ये स्कूल बसें है।
कब जागेंगे स्कूल, हादसों की लिस्ट लंबी
इसी महीने 2 अप्रैल को यूपी के बाराबंकी में पिकनिक बनाकर लौट रहे छात्रों से भरी स्कूल बस पलट गई थी, तीन बच्चों की उसमें मौत हो गई। 11 जनवरी को राजस्थान के पाली में एक स्कूल बस और ट्रक की जोरदार टक्कर हो गई, हादसे में 20 बच्चे घायल हुए। इसी तरह पिछले साल दिसंबर में गोरखपुर में भी ओवरटेक करने की वजह से ही एक स्कूल बस हादसे का शिकार हो गई और दो बच्चों की मौत हुई। थोड़ा और पीछे चलेै तो 30 अक्टूबर को यूपी के बदायूं में एक स्कूल बस और वैन में टक्कर हुई, चार बच्चे दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह गए। अब ये जो हादसे हुए हैं, इनमें ज्यादातर में ड्राइवरों की गलती सामने आई है, नियमों की अनदेखी भी हुई है, यानी की स्कूल प्रशासन जिम्मेदार है, पुलिस जिम्मेदार है।
बसों के लिए सुप्रीम गाइडलाइन जानते हैं?
अब सुप्रीम कोर्ट भी इस मामले की गंभीरता को समझता है, बच्चों की जिंदगी की अहमियत उसे भी पता है। इसी वजह से कई साल पहले ही स्कूल बसों को लेकर एक सख्त गाइडलाइन जारी की जा चुकी है। उस गाइडलाइन के मुताबिक स्कूल बस पीले रंग की होनी चाहिए, स्कूल की बस पर स्कूल का नाम और उसका नंबर लिखा होना चाहिए, स्कूल की खिड़कियां होरिजौंटल वाली होनी चाहिए, बस के दरवाजे ठीक तरह से लॉक होने चाहिए अरे इमरजेंसी के लिए अलग से दरवाजे होने चाहिए, स्कूल बसों की रफ्तार 40 किलोमीटर प्रति घंटे से ज्यादा नहीं होनी चाहिए, स्कूल बस में सीसीटीवी होना भी अनिवार्य है, किसी भी स्कूल बस में क्षमता से ज्यादा बच्चे भी नहीं बैठ सकते हैं।