कोरोना वायरस संकट के बीच देश में महंगाई की मार बेकाबू सी होती जा रही है। शनिवार (17 जुलाई, 2021) को मध्य प्रदेश में पेट्रोल के दाम रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गए। वहां के बालाघाट में पेट्रोल की कीमत 112 रुपए 41 पैसे प्रति लीटर पर जा पहुंची।
कांग्रेसी नेता सचिन पायलट ने शुक्रवार को तेल के दामों में इजाफे पर कहा था कि सरकारी आंकड़ों के हिसाब से बीते सात सालों (मोदी काल) में पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी 250 फीसदी बढ़ी, जबकि डीजल पर 800 प्रतिशत का इजाफा हुआ। सरकार ने इससे 25 लाख करोड़ का राजस्व जुटाया। यह सीधा-सीधा आम आदमी की जेब पर डाका है। उन्होंने आगे कहा- यह कल्पना से भी परे है कि तेल के दाम 250 से अधिक शहरों में 100 के पार जा चुके हैं। सिर्फ इस साल सरकार ने अभी तक कुल 66 बार तेल के दाम बढ़ाए हैं।

इसी बीच, नए पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने तेल की ऊंची कीमतों को लेकर सऊदी अरब और यूएई के सामने भारत की चिंता जताई है। उन्होंने ओपेक के प्रमुख देशों को फोन कर उनसे भारत की यह इच्छा जताई कि उपभोक्ताओं को वहनीय दरों पर पेट्रोलियम ईंधन मिलना चाहिए। पुरी ने ट्विटर पर लिखा, “सऊदी अरब के ऊर्जा मंत्री महामहिम शहजादे अब्दुल अजीज बिन सलमान अल सऊद के साथ वैश्विक ऊर्जा बाजारों में द्विपक्षीय ऊर्जा साझेदारी और विकास को मजबूत करने पर गर्मजोशी से और मैत्रीपूर्ण चर्चा हुई।”
उन्होंने कहा, “मैंने वैश्विक तेल बाजारों को अधिक भरोसेमंद और स्थिरतापूर्ण बनाने के लिए तथा खनिज तेल की दरों को अधिक मुनासिब बनाने के लिए शहजादे अब्दुल अजीज के साथ काम करने की अपनी इच्छा व्यक्त की।” बता दें कि सऊदी अरब दुनिया में कच्चे तेल का सबसे बड़ा निर्यातक है और इराक के बाद भारत के लिए दूसरे सबसे बड़ा स्रोत है। तेल की बढ़ती कीमतों से चिंतित भारत पश्चिम एशिया के प्रमुख तेल उत्पादक देशों से बराबर संपर्क कर रहा है।
उधर, उद्योग मंडल पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने तेल के बढ़ते दाम को काबू में लाने के लिए सरकार को सोच-विचार कर कीमत नियंत्रण व्यवस्था बनाने और पेट्रोलियम उत्पादों को माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाने समेत अन्य सुझाव दिये। पीएचडी चैंबर ने एक बयान में कहा कि तेल की कीमतों में मौजूदा वृद्धि ने समस्या पैदा की है क्योंकि इसका अन्य आवश्यक वस्तुओं की कीमतों पर भी व्यापक प्रभाव पड़ने की आशंका है। (PTI-Bhasha इनपुट्स के साथ)