NDTV के पत्रकार रवीश कुमार ने कहा है कि हर विरोधी माओवादी है। किसान आंदोलन के बीच उनकी यह टिप्पणी केंद्रीय रेल मंत्री की राय पर आई है। दरअसल, गोयल बोले थे कि ऐसा लगता है जैसे कुछ माओवादी और वामपंथी तत्वों ने इस आंदोलन का नियंत्रण संभाल लिया है। टीवी पत्रकार ने इसी बाबत सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म फेसबुक पर शनिवार को स्टेटस अपडेट किया और अंग्रेजी अखबर में प्रकाशित गोयल से जुड़ी उसी खबर का स्क्रीनशॉट शेयर किया।

उन्होंने इसके साथ ही लिखा, “आख़िर उस लाइन पर आना ही था जिसे गोदी मीडिया ने शुरू की थी। हर विरोधी माओवादी है। शुभकामनाएं, आप सभी को।” बता दें कि विभिन्न मामलों में अरेस्ट सामाजिक और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की रिहाई की मांग से जुड़ी तख्तियां लिए टिकरी बॉर्डर पर कुछ प्रदर्शनकारियों की तस्वीरें वायरल हुई थीं। इसी पृष्ठभूमि में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शुक्रवार को कहा था कि ये ‘असामाजिक तत्व’ किसानों का वेश धारण कर उनके आंदोलन का माहौल बिगाड़ने की साजिश रच रहे हैं।

वहीं, खाद्य, रेलवे और उपभोक्ता मामलों के मंत्री गोयल ने कहीं अधिक मुखरता से आरोप लगाया था। कहा था कि ऐसा लगता है जैसे कुछ माओवादी और वामपंथी तत्वों ने आंदोलन का नियंत्रण संभाल लिया है और किसानों के मुद्दे पर चर्चा करने की जगह कुछ और एजेंडा चला रहे हैं।

एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा, ‘‘देश की जनता देख रही है, उसे पता है कि क्या चल रहा है, समझ रही है कि कैसे पूरे देश में वामपंथियों/माओवादियों को कोई समर्थन नहीं मिलने के बाद वे किसान आंदोलन को हाईजैक करके इस मंच का इस्तेमाल अपने एजेंडे के लिए करना चाहते हैं।’’

कनुप्रिया ने कमेंट किया- माओवाद गाली बन गया है, जबकि वो कॉरपोरेटवाद नहीं जो जल, जंगल और ज़मीन सभी कुछ लूट रहे हैं। कॉरपोरेटवादी सरकारें होना कब गाली बनेगा? बिकी हुई सरकार तय कर रही है, कौन राष्ट्रवादी कौन देशद्रोही।

रेणुका शर्मा ने कहा- तुम दोगले वामपंथी इस देश में अपने आस्तित्व की अंतिम लड़ाई लड़ रहे हो और भोले भाले लोगों को बरगला कर। नास्तिक कम्युनिज्म का इस विश्व से समूल नाश होना बहुत जरूरी है।

पिंटू मीणा पहाड़ी ने प्रतिक्रिया में लिखा- बहुत बढ़िया बस इस बात की ही तो कमी थी। जो भी सरकार के सामने अपनी मांग रखे, वो विपक्षी पार्टियों का प्रोपेगेंडा है। कुछ बोले तो पाकिस्तान चले जाओ, फिर भी बोले तो आतंकवादी की उपाधि से नवाज दिये जाते हैं। अब तो हद ही हो गई, जो किसान इन अंधभक्तों का पेट भरने के लिये अनाज उगा रहा है। वो माओवादी और खालिस्तानी हो गया। शर्म करो गद्दारों पर शर्म तो है ही नहीं।

बिजेंदर दहिया ने लिखा- यकीन मानो दोस्तों…गधा इस बार बहुत बुरी तरह फस गया है, क्योंकि पढ़ाई हिंदू-मुसलमान की और सिलेबस में सरदार आ गए।