उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव से पहले किसानों के आंदोलन को लेकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) चुनावी नफा-नुकसान पर बंटी हुई नजर आ रही है। जहां एक ओर पार्टी के कुछ नेताओं को लगता है कि तीन कृषि कानूनों को लेकर अड़े अन्नदाताओं के मुद्दे चुनावी संभावनाओं पर असर नहीं डाल पाएंगे। पर पीलीभीत से बीजेपी सांसद वरुण गांधी की इस पर राय कुछ और ही है। उन्होंने इस मसले पर किसानों से बातचीत की वकालत की है। हालांकि, बीजेपी ने गांधी की टिप्पणी पर आधिकारिक तौर पर बयान नहीं दिया।

रविवार (पांच सितंबर, 2021) को मुजफ्फरनगर में हुई किसान महापंचायत के बाद बीजेपी के एक सांसद ने दावा किया, “चूंकि इसे जाट आंदोलन के रूप में देखा जाता है, इसलिए इसके खिलाफ गैर-जाट समुदायों का एकीकरण हो सकता है। इन किसानों को संपन्न माना जाता है और राज्य के छोटे किसानों ने अब तक कोई संकेत नहीं दिखाया है कि वे इस आंदोलन का समर्थन करते हैं।

बकौल पार्टी सांसद, “इस आंदोलन में टिकैत और अन्य लोग अपने समर्थकों को खो रहे हैं और अब महापंचायत में नेताओं ने जिस तरह के बयान दिए हैं, उससे उनका नैतिक अधिकार भी खत्म हो जाएगा।” एक अन्य नेता बोले, “भारी भीड़ और भाजपा के खिलाफ मतदान का आह्वान कुछ हद तक प्रभावित हो सकता है, लेकिन उस स्तर तक नहीं जिसकी विपक्षी पार्टियों को उम्मीद है। राज्य का एक आम किसान यह नहीं समझता कि यह किसलिए है। उन्हें एमएसपी मिल रहा है और कृषि कानूनों ने अब तक उन्हें चोट नहीं पहुंचाई है।”

वहीं, यूपी के कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह बोले कि राज्य सरकार किसानों का लगभग सभी बकाया चुका चुकी है। उनके अनुसार, “अब जो शेष है वह निर्यात बकाया है, जिसका भुगतान भी अक्टूबर तक किया जाएगा। जहां तक ​​अच्छे एमएसपी पर उत्पादों की खरीद का संबंध है, हमने अपनी सभी प्रतिबद्धताओं का सम्मान किया है। हमने पिछली सपा और बसपा सरकारों की तुलना में बहुत अधिक कीमत दी है।”

उधर, वरुण ने किसानों को ‘अपना ही भाई बंधु’ बताया। कहा कि सरकार को उनसे दोबारा बातचीत करनी चाहिए ताकि सर्वमान्य हल तक पहुंचा जा सके। गांधी ने कार्यक्रम स्थल पर जुटे किसानों की भीड़ से जुड़ा एक वीडियो ट्विटर पर साझा करते हुए लिखा था, ‘‘मुजफ्फरनगर में विरोध प्रदर्शन के लिये लाखों किसान इकट्ठा हुए। वे हमारे अपने ही हैं। हमें उनके साथ सम्मानजनक तरीके से फिर से बातचीत करनी चाहिए और उनकी पीड़ा समझनी चाहिए। उनके विचार जानने चाहिए और किसी समझौते तक पहुंचने के लिए उनके साथ मिल कर काम करना चाहिए।’’ गांधी की मां मेनका ने भी बेटे के ट्वीट को रीट्वीट किया।