कोरोना वायरस संकट को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि हम लोगों ने 2020 के मैच में तेज़ी के साथ बहुत कुछ बदलते देखा है। देश, दुनिया इतने उतार-चढ़ाव से गुजरी है कि कुछ वर्षों बाद जब हम कोरोना काल को याद करेंगे तो शायद यकीन ही नहीं आएगा। जितनी तेज़ी से हालात बिगड़े उतनी ही तेज़ी के साथ सुधर भी रहे हैं।

शनिवार को FICCI के 93वें वार्षिक सम्मेलन के दौरान वह बोले- आज अर्थव्यवस्था के सूचक (इंडिकेटर) उत्साह बढ़ाने वाले हैं। देश ने संकट के समय जो सीखा उसने भविष्य के संकल्पों को और दृढ़ किया है। इस महामारी के समय भारत ने अपने नागरिकों के जीवन को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। ज़्यादा से ज़्यादा लोगों का जीवन बचाया। आज इसका नतीज़ा देश और दुनिया देख रही है। भारत ने जिस तरह बीते कुछ महीनों में एकजुट होकर काम किया, स्थितियों को संभाला है उसने पूरी दुनिया को चकित कर दिया।

मोदी के मुताबिक, दुनिया का जो विश्वास बीते छह वर्षों में भारत पर बना था, वो बीते महीनों में और मजबूत हुआ है। FDI हो या FPI, विदेशी निवेशकों ने भारत में रिकॉर्ड निवेश किया है और निरंतर कर रहे हैं। अनुभव रहा है कि पहले के समय की नीतियों ने कई क्षेत्रों में अदक्षता को संरक्षण दिया, नए प्रयोग करने से रोका, जबकि आत्मनिर्भर भारत अभियान हर क्षेत्र में दक्षता को बढ़ावा देता है।

कृषि कानूनों के संदर्भ में उन्होंने आगे बताया- कृषि क्षेत्र और इससे जुड़े अन्य सेक्टर के बीच की दीवारों को हटाया जा रहा है। इन रिफॉर्म्स के बाद किसानों को नए बाज़ार, नए विकल्प और तकनीक का ज़्यादा लाभ मिलेगा। इन सब से कृषि क्षेत्र में ज़्यादा निवेश होगा और इसका सबसे ज़्यादा फायदा देश के किसान को होगा।

उनके अनुसार, “पहले की नीतियां जो भी रही हों लेकिन आज की नीतियां, ग्रामीण कृषि आधारित अर्थव्यवस्था विकसित करने के लिए बहुत अनुकूल है। नीति और नीयत से सरकार किसानों का हित करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।” पीएम ने यह भी दावा किया, “नए कृषि सुधार किसानों को नए मार्केट्स, टेक्नोलॉजी तक पहुंच मुहैया कराएंगे, जिससे कृषि क्षेत्र में निवेश लाने में मदद मिलेगी और किसानों को भी लाभ मिलेगा।

इसी बीच, पूर्व Congress चीफ राहुल गांधी ने उन 11 किसानों की जान जाने जुड़ी खबर का हिस्सा ट्वीट किया, जो किसान आंदोलन में शामिल होने के दौरान किन्हीं वजहों से जिनकी मौत हो चुकी है। राहुल ने ट्वीट में पूछा- कृषि क़ानूनों को हटाने के लिए हमारे किसान भाइयों को और कितनी आहुति देनी होगी?

कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने भी इसी खबर का उल्लेख करते हुए दावा किया, ‘‘ पिछले 17 दिनों में 11 किसान भाईयों की शहादत के बावजूद निरंकुश मोदी सरकार का दिल नहीं पसीज रहा।’’ उन्होंने यह सवाल भी किया, ‘‘सरकार अब भी अन्नदाताओं नहीं, अपने धनदाताओं के साथ क्यों खड़ी है? देश जानना चाहता है – “राजधर्म” बड़ा है या “राजहठ”?’’

कांग्रेस के दोनों नेताओं ने जिस खबर का हवाला दिया उसके मुताबिक, दिल्ली के निकट चल रहे किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान पिछले कुछ दिनों में बीमार होने के बाद 11 किसानों की मौत हो चुकी है।