दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार को इंडियन मुजाहिद्दीन (IM) के यासीन भटकल की एक याचिका खारिज कर दी। जिसमें उसने अपनी बीमार मां से मिलने के लिए एक दिन की पैरोल मांगी थी। हालांकि कोर्ट ने उसे एक वीडियो कॉल की अनुमति दी है जिसके जरिए वह अपनी मां से बात कर सकता है। इस महीने की शुरुआत में हार्ट सर्जरी के बाद यासीन भटकल की मां की हालत गंभीर है। एडिशनल सेशन जज हरदीप कौर ने एक आदेश में कहा कि संबंधित जेल अधीक्षक को निर्देश दिया जाता है कि वह आवेदक/आरोपी यासीन भटकल को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अपनी मां से केवल एक बार बातचीत करने की अनुमति दें।
कोर्ट ने वीडियो कॉल को लेकर भी लगाई शर्त
जज ने तिहाड़ जेल में बंद भटकल को वीडियो कॉल पर बात करने की इजाजत देते हुए कुछ शर्तें भी लगाई और कहा है कि वह अपनी मां से केवल हिंदी में बात करेगा और जेल अधिकारी बातचीत को रिकॉर्ड करने के लिए स्वतंत्र होंगे। यासीन भटकल की ओर से वकील एम एस खान, प्रशांत प्रकाश, क़ैसर खान और राहुल साहनी ने पेश हुए। उनकी ओर से तर्क दिया गया कि यासीन को अपनी मां से मिलने दिया जाए क्योंकि इस दुनिया में सबसे बड़ा बंधन मां और बेटे के बीच का होता है। कहा गया कि मां दिल की बीमारी से जूझ रही हैं और वह उससे मिलना चाहती हैं। वकील ने अदालत से सप्ताह में तीन दिन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की अनुमति भी मांगी थी।
यासीन भटकल पर क्या आरोप हैं?
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक यासीन भटकल ने कथित तौर पर इंडियन मुजाहिदीन (IM) के दरभंगा, दिल्ली और रांची मॉड्यूल की स्थापना की और वह 2010 के पुणे में जर्मन बेकरी विस्फोट, दिल्ली जामा मस्जिद गोलीबारी और वाराणसी विस्फोट, 2011 के मुंबई बम विस्फोट और 2013 के हैदराबाद विस्फोटों सहित कई हमलों के लिए जिम्मेदार था। पुलिस के अनुसार भटकल 17 साल की उम्र में इन कामों में शामिल हो गया था। 2013 में भटकल को कथित तौर पर नेपाल से एक अन्य आईएम ऑपरेटिव असदुल्ला अख्तर के साथ गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने कहा था कि उससे पूछताछ में आईएम के कई सदस्यों की पहचान हुई है।