कोरोना संकट के बीच खराब टेस्ट किट्स भेजने के आरोप पर चीन की सफाई आई है। कहा गया है कि एंटी-बॉडी रैपिड टेस्ट किट बिल्कुल ठीक हैं। भारतीय स्वास्थ्यकर्मी उनकी सही ढंग से इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं। विवाद पर चीनी कंपनियों ने सलाह देते हुए कहा कि स्वास्थ्य कर्मचारियों को किट्स के मैनुअल को सही से फॉलो करना होगा। हालांकि, भारत ने अपना रुख साफ करते हुए कहा कि ये किट्स जहां से आई हैं, उन्हें वापस भेजा जाएगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन बोले हैं कि ये किट्स वापस की जाएंगी।
दरअसल, भारत ने पांच लाख एंटी-बॉडी रैपिड टेस्ट किट्स दो चीनी कंपनियों (Wondfo Biotech और Livzon Diagnostics) से मंगाई थीं। ये किटें उन सूबों में भेजी गई थीं, जहां पर कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे थे। इसी बीच, राजस्थान और पश्चिम बंगाल सरकार ने दावा किया था कि इन किट्स में गड़बड़ और ये गलत नतीजे दे रही हैं।
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चूंकि, टेस्ट में गड़बड़ी पाई गई थी, लिहाजा Indian Council of Medical Research (ICMR) ने सभी राज्यों को इन किट्स के इस्तेमाल करने को लेकर अस्थाई रोक लगा दी थी। बाद में कहा गया कि इन किट्स का इस्तेमाल सर्विलांस के लिए किया जा सकता है।
ICMR ने यह तक कहा था कि अगर किट्स खराब पाई गईं, तब जिन कंपनियों से इन्हें मंगाया गया है, उनके साथ कॉन्ट्रैक्ट रद्द कर दिया जाएगा या फिर उन्हें टेस्ट किट्स की नई खेप भेजने के लिए कहा जाएगा।
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उधर, भारत में संक्रामक रोगों के विशेषज्ञ डॉ.मुबाशीर अली के हवाले से ‘इंडिया टुडे’ की रिपोर्ट में बताया गया कि चीनी कंपनियों ने इन किट्स को थोड़ा हड़बड़ी में लॉन्च किया है। ऐसा लगता है कि उन्होंने लॉन्चिंग से पहले इनकी टेस्टिंग भी नहीं की है। वैश्विक मांग को पूरा करने के लिए उन्होंने छोटे स्तर पर इनकी ह्यूमन टेस्टिंग की होगी।
देश में हो जांच किट का निर्माण- थरूरः कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने चीन से खराब जांच किट आने से जुड़ी खबरों को लेकर शुक्रवार को सरकार पर निशाना साधा और कहा कि अमेरिका, दक्षिण कोरिया और जर्मनी की तरह भारत में भी कोराना वायरस से जुड़ी जांच किट का निर्माण होना चाहिए। थरूर ने ट्वीट किया, ‘‘ उस सरकार को कितना समझदार माना जाए जो दूसरी सरकारों की गलतियों से नहीं सीखती है। क्या लोगों के स्वास्थ्य एवं सरकारी धन की कीमत पर उसी गलती को दोहराना मूर्खता नहीं है?’’
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र औषधि एजेंसी के दिशानिर्देशों के तहत जांच किट 80 फीसदी तक सटीक होनी चाहिए, लेकिन चीन से आयात की गई किट सिर्फ पांच फीसदी ही सटीक हैं। कांग्रेस नेता ने कहा कि अमेरिका, दक्षिण कोरिया और जर्मनी की तरह भारत में भी कोराना वायरस से जुड़ी जांच किट का निर्माण करने की जरूरत है।
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