Coronavirus lockdown: देशभर में लॉकडाउन 40 दिनों तक बढ़ाए जाने से रेस्तरां उद्योग पर बुरा प्रभाव पड़ा है, जिसके चलते अनुमानित 73 लाख नौकरियों पर संकट पैदा हो गया है। इस उद्योग ने शहरी क्षेत्रों में तेजी से विकास किया है और हालात को देखते इनमें से ज्यादातर रेस्तरां के हाल में खुलने की संभावना नहीं है। चूंकि छह शहरों (मुंबई, पुणे, दिल्ली, इंदौर, अहमदाबाद और हैदराबाद) में कोरोना वायरस से हुई कुल मौतों के 65 फीसदी मामले दर्ज किए जा चुके हैं। इसके अलावा दिल्ली में 33 और मुंबई में 300 से ज्यादा कोरोना से प्रभावित क्षेत्रों को हॉस्पॉट के रूप में चिन्हित किया गया है।
देशभर में मौजूद 5 लाख रेस्तरां केंद्र और राज्य सरकारों से उम्मीद कर रहे हैं कि जल्द ही उनके क्षेत्र के लिए राहत उपायों की घोषणा की जाए। इन लोगों को डर है कि सरकार की मदद ना मिलने के चलते इन्हें इस क्षेत्र से बाहर निकलने को मजबूर होना पड़ सकता है। इससे शेफ से लेकर कैप्टन, परोसनेवाले से लेकर सफाई कर्मचारियों को रेस्तरां उद्योग को निकालने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
बता दें कि इस क्षेत्र में वेतन कुल लागत के 15 से 25 फीसदी की बीच होता है और अधिकांश रेस्तरां ने मार्च के लिए कर्मचारियों को पूरा भुगतान किया था। लॉकडाउन में शून्य राजस्व के चलते रेस्तरां सुनिश्चित नहीं है कि वो कर्मचारियों को अप्रैल की मजदूरी का भुगतान कर पाएंगे।
लॉकाडउन में आपूर्तिकर्ताओं और विक्रेताओं से लेकर किसान तक प्रभावित है। राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि होटल और रेस्तरां में दूध की लगभग 12 फीसदी खपत होती है। इंडस्ट्री बॉडी फिक्की का अनुमान है कि होटल और रेस्तरां किसानों के कुल फलों और सब्जियों के उत्पादन का करीब एक फीसदी खरीदते हैं।
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9 अप्रैल को नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (NRAI) ने केंद्रीय वित्त मंत्रालय और NITI आयोग को एक नोट भेजा। इसमें बताया गया कि कैसे रेस्तरां पर्यटन, खुदरा और व्यापार के अभिन्न अंग हैं। इसमें रेस्टोरेंट एसोसिएशन ने सीमांत कर्मचारियों को 50 फीसदी वेतन और अतिरिक्त राशन के लिए तत्काल कदम उठाने को कहा है।