केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि कुंभ मेला हो या फिर रमजान…इनमें कोरोना के लिहाज से अमल में लाए जाने वाले नियम और बर्ताव का पालन नहीं हुआ है। यह हो भी नहीं सकता। यही वजह है कि उन लोगों को अपील करनी पड़ी और कुंभ अब सांकेतिक मेला में तब्दील हो चुका है।

शाह ने ये बातें अंग्रेजी समाचार चैनल ‘Times Now’ से बातचीत के दौरान कहीं। बकौल शाह, “पिछले तीन महीनों में हमने सूबों को विश्लेषण के आधार पर पाबंदियां लगाने की मंजूरी दी। हर राज्य अलग किस्म की जंग लड़ रहा है। इससे जुड़ा आकलन राज्य सरकारों को करना पड़ेगा और उनके पास पाबंदियां लगाने का अधिकार भी है। यह सूबों पर निर्भर करता है कि वह कोरोना संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिए क्या करते हैं।”

वह आगे बोले- चुनाव आयोग सभी दलों से बात कर चुका है और यह फैसला हो चुका है कि चुनाव प्रचार में एक दिन और कम हो जाएगा और दिन का प्रचार-प्रसार शाम सात बजे खत्म हो जाएगा। पार्टियों से अपील की गई कि वे रैलियों में मास्क और सैनिटाइजर मुहैया कराएं और मेरी पार्टी (भाजपा) इसकी शुरुआत 17 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली से कर चुकी है। वहां हम लोगों ने पांच करोड़ मास्क का वितरण किया। पर चुनावी रैली को लेकर क्या होगा, यह सिर्फ चुनाव आयोग ही तय कर सकता है।

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शाह ने इसके अलावा रविवार को बंगाल के पूर्वास्थली में एक रैली में इस बात पर जोर दिया कि सूबे में पांच चरणों में जिन 180 सीटों पर मतदान हुआ है, उनमें से 122 से अधिक सीटें भाजपा जीतेगी। उनके मुताबिक, शुभेंदु अधिकारी (भाजपा उम्मीदवार) नंदीग्राम से चुनाव जीत रहे हैं, जबकि तृणमूल कांग्रेस प्रमुख का एक ही एजेंडा है-‘‘उन्हें, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय सशस्त्र बलों (सीएपीएफ) को अपशब्द कहना।’’

गृह मंत्री ने आगे दावा किया कि देश के नागरिकों को प्रदत्त लाभ अवैध प्रवासी ले रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘आपके और मेरे जैसे लोग तो दीदी के लिए लिए दोयम दर्जे के नागरिक हैं, जो उनके वोट बैंक के लिहाज से कोई मायने नहीं रखते हैं।’’ उम्मीद जताई कि मुख्यमंत्री का चोटिल पैर जल्द ही ठीक हो जाएगा ताकि ‘‘वह दो मई के बाद जब राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंपने के लिए जाएं तो चल सकें।’’ शाह ने उस कथित आडियो टेप की ओर इशारा करते हुए कहा कि उनके सामने अभी तक ऐसा कोई व्यक्ति नहीं आया है जो ‘‘मृतकों पर राजनीति करता हो।’’ (पीटीआई-भाषा इनपुट्स के साथ)