Congress ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली NDA सरकार को मास्क और हैंड सैनिटाइजर आदि को जरूरी चीजों की लिस्ट से हटाने को लेकर निशाने पर लिया है। शुक्रवार को पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कुछ सिलिसिलेवार ट्वीट्स में इसके साथ ही आरोप लगाया कि यह सरकार की मल्टी नेशनल कंपनियों (MNCs) के साथ मिली-भगत है, जिसके जरिए उन्हें फायदा पहुंचाया जा रहा है।
सुरजेवाला के मुताबिक, “पीएम ने कहा- ‘आपदा में अवसर’। BJP सरकार का एमएनसी/कंपनियों के साथ फायदा पाने का ‘अवपित्र मेल-जोल’ अब बेनकाब हो चुका है। सरकार फेस मास्क और हैंड सैनिटाइजरर्स को आवश्यक वस्तुओं की सूची से बाहर कर चुकी है। अब मास्क/हैंड सैनिटाइजर किसी भी एमआरपी (अधिकतम थोक मूल्य) पर बेचे जा सकते हैं!

बकौल कांग्रेसी नेता, “16 जून को बीजेपी सरकार ने कहा था- लॉकडाउन में ढील दी गई है, इसलिए हैंड सैनिटाइजर की मांग में बढ़ोतरी हो सकती है और इन्हें दिसबंर 2020 तक EC Act के तहत कवर होना चाहिए। इन चीजों का लगातार उपलब्ध रहना काफी अहम है वह भी उचित कीमतों पर।”

अगले ट्वीट में उन्होंने लिखा- अगर 16 जून को 30 दिसंबर 2020 तक के लिए सैनिटाइजर आवश्यक वस्तुओं में थे, तब आखिर 15 दिनों में क्या बदल गया? सरकार आखिर क्यों लोगों से इन चीजों के लिए अधिक दाम वसूलना चाहती है? कोरोना वायरस से लड़ने के लिए आखिर इन चीजों पर क्यों कोई दाम की सीमा नहीं तय की जाती है? क्या COVID-19 पर जंग खत्म हो चुकी है?

दरअसल, 13 मार्च को केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की ओर से फेस मास्क और हैंड सैनिटाइजर को आवश्यक वस्तुओं की श्रेणी में 100 दिन के लिए रखने का ऐलान हुआ था। ऐसा इसलिए किया गया था, ताकि कोरोना संकट के दौरान इन चीजों की किल्लत न हो और इस महामारी से मजबूती से निपटा जा सके।

मंत्रालय में सचिव लीना नंदन ने मंगलवार को बताया था- देश में फेस मास्क और हैंड सैनिटाइजर की पर्याप्त सप्लाई है और इसी को ध्यान में रखते हुए अब इन दोनों चीजों को एसेनशियल कमोडिटीज एक्ट, 1955 से बाहर किया जाता है। ये दोनों आइटम्स 30 जून तक जरूरी वस्तु घोषित किए गए थे।

इन दोनों आइटम्स का आवश्यक वस्तुओं की सूची से हटने के मसले पर कुछ जानकारों का मानना है कि इससे मास्क और हैंड सैनिटाइजर की कालाबाजारी बढ़ेगी, जिससे यह लोगों को पहले के मुकाबले महंगा पड़ेगा।