लंबे अर्से से सत्ता से लगातार दूर हो रही कांग्रेस पार्टी लगता है अब अपने सुधारने में लग गई है। देश की सबसे पुरानी पार्टी अब अपने उन नियमों पर अमल करने की तरफ जाती दिख रही है, जिन नियमों को कभी महात्मा गांधी और पंडित नेहरू जैसे नेताओं के वक्त बनाया गया था। हालांकि इस पर अभी कोई फैसला नहीं हुआ है, लेकिन माहौल बनाना शुरू हो गया है।
पार्टी चाहती है कि नेता और कार्यकर्ता शराब से दूर रहें और सार्वजनिक रूप से खादी वस्त्रों को पहनें। मंगलवार को नई दिल्ली में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने राज्य प्रमुखों की मीटिंग में जब इस पर चर्चा की तो कई लोग असहज दिखे। इसी दौरान राहुल गांधी ने पूछा कि “कौन-कौन ड्रिंक करता है?” इसका जवाब देने के बजाए सभी लोग चुप हो गए। इस दौरान पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू बोले- मेरे यहां तो अधिकतर लोग पीनेवाले हैं।
बैठक देश भर में पार्टी के सदस्यता अभियान को तेज करने के लिए व्यवस्था बनाने पर चर्चा के लिए बुलाई गई थी। बैठक में शराब और खादी वस्त्रों को लेकर पूछताछ जरूर हुई, लेकिन पार्टी का सदस्य बनने के लिए इसे जरूरी बनाने को नियमों में संशोधन करने का निर्णय नहीं लिया जा सका। ऐसे फैसले केवल कार्य समिति ही ले सकती है। 14 साल पहले 2007 में भी राहुल गांधी ने कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में इस नियम की प्रासंगिकता और व्यावहारिक पहलू पर सवाल उठाया था।
फिलहाल सदस्यता अभियान के दौरान नए बनने वाले सदस्य को फार्म पर बने कॉलम में व्यक्तिगत रूप से यह वचन देना होगा कि वह शराब और नशीली दवाओं से परहेज करेंगे और सार्वजनिक मंचों पर पार्टी की नीतियों और कार्यक्रमों की कभी भी आलोचना नहीं करेंगे। सदस्यता अभियान 1 नवंबर से शुरू होने जा रहा है। यह फार्म प्रिंटेड और डिजिटल दोनों रूपों में उपलब्ध होंगे। वरिष्ठ नेता रणदीप सुरजेवाला ने मीडिया को बताया, “देश भर में ऊपर से नीचे तक सभी के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इसके अलावा 14 नवंबर से जमीनी स्तर पर देशव्यापी आंदोलन शुरू किया जाएगा।”
फिलहाल कांग्रेस पार्टी का सारा ध्यान अगले वर्ष के शुरू में पांच राज्यों में होने जा रहे चुनावों पर लगा है। पार्टी की कोशिश होगी कि इन राज्यों में उसकी स्थिति मजबूत हो और वह सत्ता पर काबिज हो सके। जहां न हो सके, वहां इतनी पकड़ हो कि बिना कांग्रेस के कोई दल सरकार नहीं बना सके।