प्रधानमंत्री चांद और चीता की बात करते हैं, लेकिन मणिपुर पर नहीं बोले। ये बयान लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी ने दिया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को  मणिपुर हिंसा पर मन की बात करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वे ‘चांद से लेकर चीता तक’ हर चीज पर बोलते हैं, लेकिन पूर्वोत्तर के इस राज्य पर नहीं बोले।

अधीर रंजन चौधरी ने प्रधानमंत्री पर हमला करते हुए कुछ शब्दों और कहावतों का उपयोग किया जिस पर गृह मंत्री अमित शाह और सत्तापक्ष के कई अन्य सदस्यों से कड़ी आपत्ति जताई। हंगामे के बीच गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि विपक्ष के नेता अनर्गल बोल रहे हैं।

चौधरी ने कहा कि पीएम क्यों अड़े हुए थे कि वह सदन में नहीं आएंगे

उन्होंने कहा कि इस सदन की गरिमा है और देश के प्रधानमंत्री के बारे में जिस प्रकार के शब्दों का उल्लेख कर रहे हैं, वो विपक्ष के नेता को शोभा नहीं देता है। इस पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि इन बातों को कार्यवाही से हटा दिया गया है। चौधरी ने कहा कि पता नहीं कि प्रधानमंत्री क्यों अड़े हुए थे कि वह सदन में नहीं आएंगे। इसलिए हमें अविश्वास प्रस्ताव लाना पड़ा।

कांग्रेस नेता ने कहा कि आप (मोदी) एक बार नहीं, सौ बार प्रधानमंत्री बनें, हमें कोई फर्क नहीं, हमें कोई लेनादेना नहीं, हमें भारत की जनता के साथ लेना-देना है। हमने मणिपुर की दशा देखी। कम से कम देश का मुखिया होने के नाते मणिपुर के लोगों को संदेश देना चाहिए था। आपकी तरफ से शांति का कोई पैगाम लेकर कोई कार्रवाई होनी चाहिए थी।

उन्होंने कहा कि जिनके राजनीतिक पूर्वज अंग्रेजों के साथ थे वो ‘भ्रष्टाचार क्विट इंडिया’ और ‘परिवारवाद क्विट इंडिया’ की बात कर रहे हैं। उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा, कि क्विट इंडिया होना चाहिए। सांप्रदायिकता से क्विट इंडिया, ध्रुवीकरण से क्विट इंडिया, भगवाकरण से क्विट इंडिया।  उन्होंने कहा कि यह हमारी संसदीय प्रक्रिया की ताकत है कि प्रधानमंत्री को हम सदन में लेकर आए हैं।      

प्रधानमंत्री पर हमलावर कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी के भाषण के कई हिस्सों को कार्यवाही से हटा दिया गया। वे सत्ता पक्ष के लगातार निशाने पर रहे। उनको निलंबित भी कर दिया गया। लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी के निलंबन पर चर्चा के लिए सीपीपी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आज सुबह 10.30 बजे कांग्रेस के लोकसभा सांसदों की बैठक बुलाई है। बैठक संसद स्थित सीपीपी कार्यालय में बुलाई गई है।