पंजाब में कांग्रेस पार्टी का संकट खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। मंगलवार की सुबह पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने वैचारिक मतभेद और सिद्धांतों से समझौता नहीं करने की बात कहकर पद से इस्तीफा दे दिया तो इसके कुछ घंटों बाद ही उनकी समर्थक कैबिनेट मंत्री रजिया सुल्ताना और परगट सिंह ने भी इस्तीफे दे दिए। दोनों नेताओं ने दो दिन पहले ही पंजाब के कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली थी। रजिया सुल्ताना सिद्धू के सलाहकार मो. मुस्तफा की पत्नी हैं और पंजाब के मलेरकोटला क्षेत्र से पार्टी की विधायक हैं।
मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को भेजे अपने इस्तीफे में रजिया सुल्ताना ने लिखा, “मैं रजिया सुल्ताना पीपीसीसी अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू और राज्य भर के लाखों कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ एकजुटता दिखाते हुए पंजाब के कैबिनेट मंत्री पद से इस्तीफा दे रही हूं। मैं पंजाब के हित में एक कार्यकर्ता के रूप में पार्टी के लिए काम करती रहूंगी। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी जी और राहुल गांधी जी को मेरी और मेरे परिवार पर हमारी जरूरत की घड़ी में उनके अनगिनत आशीर्वाद के लिए हृदय से धन्यवाद।”
उन्होंने कहा कि, ”सिद्धू साहब सिद्धांतों के आदमी हैं. वह पंजाब और पंजाबियत के लिए लड़ रहे हैं।” हम हमेशा उनके साथ खड़े रहेंगे। उनके पहले पहले पंजाब काग्रेस कमेटी के कोषाध्यक्ष गुलजार इंदर चहल ने भी इस्तीफा दे दिया था।
हालांकि इस बीच चर्चा है कि नवजोत सिंह सिद्धू का इस्तीफा पार्टी हाई कमान ने स्वीकार नहीं किया और राज्य कांग्रेस में मचे उथल-पुथल को अपने स्तर से दुरुस्त करने को कहा है।
इस बीच योगिंदर ढींगरा ने “नवजोत सिंह सिद्धू के साथ एकजुटता में” पंजाब कांग्रेस के महासचिव के रूप में इस्तीफा दे दिया। सिद्धू के इस्तीफे के बाद मंत्री रजिया सुल्ताना और राज्य पार्टी के कोषाध्यक्ष गुलजार इंदर चहल के बाद पद छोड़ने वाले ढींगरा तीसरे कांग्रेसी नेता हैं।
पार्टी में मचे उथल-पुथल पर कांग्रेस विधायक सुखपाल सिंह खैरा ने भी चिंता जताई और नवजोत सिंह सिद्धू का समर्थन किया। कहा, “उन्होंने (नवजोत सिंह सिद्धू) पंजाब में भ्रष्टाचार के खिलाफ स्टैंड लिया था…, अगर उनके सुझावों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो वे बिना आवाज के अध्यक्ष नहीं बनना चाहेंगे। हम उनसे इस्तीफा वापस लेने और उनकी शिकायतों के निवारण के लिए आलाकमान से अनुरोध करते हैं।”