केंद्र ने आतंकवाद और सीमा पार से अपराधों पर लगाम लगाने के मकसद से सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) का अधिकार क्षेत्र बढ़ा दिया है। बीएसएफ अब पाकिस्तान और बांग्लादेश से लगी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर भारतीय क्षेत्र के अंदर 50 किलोमीटर तक तलाशी अभियान चला सकेगी। साथ ही, संदिग्धों को गिरफ्तार करने और संदिग्ध सामग्री को जब्त करने का भी अधिकार होगा। इसके लिए उसे किसी प्रशासनिक अधिकारी से अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी।
बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र में सरकार ने जो बदलाव किए हैं, उससे सीमावर्ती राज्यों के अधिकारों में कटौती का अंदेशा जताया जा रहा है। पंजाब और पश्चिम बंगाल में इस फैसले का राजनीतिक विरोध तेज हो गया है। सीमा सुरक्षा बल के अधिकारों को लेकर नए आदेश बनाम राज्यों के अधिकार का सवाल उठ खड़ा हुआ है।
सीमा सुरक्षा बल को लेकर क्या है नया आदेश? केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र में बदलाव किया है। यह बदलाव ‘बीएसएफ एक्ट, 1968’ की धारा 139 (1) के तहत किए प्रावधानों के आधार पर किया गया है। ये बदलाव 12 राज्यों गुजरात, पंजाब, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, असम, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, नगालैंड और मेघालय, केंद्रशासित जम्मू-कश्मीर और लद्दाख से जुड़ा है। इनमें से सिर्फ तीन राज्य-असम, पश्चिम बंगाल और पंजाब ऐसे हैं जहां सीमा सुरक्षा बल का अधिकार क्षेत्र पहले के मुकाबले बहुत ज्यादा बढ़ जाएगा। इन राज्यों में अब तक जो प्रावधान लागू थे, उनके मुताबिक बीएसएफ सीमा से 15 किलोमीटर भीतर तक कार्रवाई कर सकती थी। अब वह 50 किलोमीटर तक बिना मजिस्ट्रेट के आदेश या वारंट के कार्रवाई कर सकेगी।
बाकी राज्यों की बात करें तो नार्थ ईस्ट के पांच राज्यों मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, नगालैंड और मेघालय में बीएसएफ को पूरे राज्य में कारर्वाई का अधिकार रहेगा। इसी तरह जम्मू कश्मीर और लद्दाख में भी बीएसएफ कहीं भी आॅपरेशन कर सकती है। गुजरात में बीएसएफ की कारर्वाई का दायरा घट गया। यहां पहले वो बॉर्डर से 80 किलोमीटर अंदर के दायरे में कारर्वाई कर सकती थी। अब ये घटकर 50 किलोमीटर हो गया है। वहीं, राजस्थान में इस आदेश का कोई असर नहीं होगा। यहां पहले की तरह ही बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र का दायरा 50 किमी बना रहेगा।
दरअसल, बीएसएफ के पास भारत-बांग्लादेश और भारत-पाकिस्तान की सीमा की सुरक्षा की जिम्मेदारी है। इसके तहत बीएसएफ को अंतरराष्ट्रीय सीमा से निश्चित दूरी तक कारर्वाई करने का अधिकार दिया गया है। अलग-अलग राज्यों में ये अधिकार क्षेत्र अलग-अलग है। बीएसएफ का अधिकार क्षेत्र खत्म होने के बाद आगे की सुरक्षा की जिम्मेदारी राज्य पुलिस या किसी दूसरे बल के पास होती है।
असम, पंजाब और पश्चिम बंगाल में बीएसएफ के अधिकारों में इजाफा हुआ है। इन तीन राज्यों में से सिर्फ असम में भाजपा की सरकार है। इस वजह से वहां उस तरह का विरोध नहीं है। वहीं, पश्चिम बंगाल और पंजाब में दूसरी पाटिर्यों की सरकारें है। ये सरकारें केंद्र के इस फैसले को संघीय ढांचे पर हमला बता रही हैं।
दरअसल, नए प्रावधानों के तहत बीएसएफ के सबसे निचले रैंक का अधिकारी भी मजिस्ट्रेट के आदेश और वारंट के बिना भारतीय दंड विधान के तहत कार्रवाई कर सकता है। बीएसएफ के अधिकारी को अब ऐसे किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने का अधिकार है, जो किसी भी संज्ञेय अपराध में शामिल है, या जिसके खिलाफ शिकायत की गई है।